17 शोधार्थियों के खिलाफ की गई सभी कार्रवाई को डीडीयू प्रशासन ने ली वापस
DDU withdrew action from 17 students: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी के सत्र 2019-20 के प्री पीएचडी के विद्यार्थियों के भलाई में कुलपति प्रो। पूनम टंडन ने पूर्व कुलपति प्रो। राजेश सिंह के एक निर्णय को खारिज कर दिया है। जनवरी 2021 में 17 शोधार्थियों के विरुद्ध की गई सभी कार्रवाई को डीडीयू प्रशासन ने वापस ले लिया है। इसके साथ ही चार वर्ष से उनके कोर्स को लेकर चल रही ऊहापोह की स्थिति भी खत्म हो गई है।
डीडीयू में सत्र 2019-20 के प्री पीएचडी के विद्यार्थियों का छह महीने का कोर्स पूरा करने में डीडीयू प्रशासन को करीब दो वर्ष लग गए थे। विद्यार्थियों के लंबे संघर्ष के बाद 10 जनवरी 2022 को दो पाली में उनकी परीक्षा कराने का फैसला लिया गया था। निर्धारित मानक के उल्टा प्रश्न पत्र आने का इल्जाम लगाते हुए कई विद्यार्थियों ने बवाल खड़ा कर दिया था। डीडीयू प्रशासन ने कुल 17 विद्यार्थियों को नामजद करते हुए उनके विरुद्ध कैंट पुलिस स्टेशन में गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था।
इसके बाद शोधार्थी उच्च न्यायालय चले गए थे। उच्च न्यायालय से उन्हें राहत मिली ही, कैंट पुलिस ने भी इस मुद्दे में करीब छह महीने पहले एफआर लगा दिया था। लेकिन उसके बाद भी डीडीयू प्रशासन ने उन शोधार्थियों पर की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई वापस नहीं ली। वर्तमान कुलपति प्रो। पूनम टंडन के संज्ञान में मुद्दा आने के बाद उन्होंने इसे अहमियत के रूप में लिया। नतीजा सुखद रहा।
ये विद्यार्थी बनाए गए थे आरोपी
मंदीप राय, कमलकांत राव, राधा विश्वकर्मा, अन्नू जायसवाल, कृतिका सिंह, राम भरोसा तिवारी, राजन दूबे, अमन यादव, सुधीर मद्धेशिया, अंजली पाण्डेय, राजन विश्वकर्मा, प्रशांत मौर्या, आनंद मिश्र, श्वेता पाण्डेय, दीप्ति, अर्चना, प्रियंका।
कोरोना महामारी और डीडीयू की ढिलाई रही जिम्मेदार
इस मुद्दे में कोविड-19 महामारी के कारण विद्यार्थियों का छह महीने होने वाली परीक्षा पूरी नहीं हो सकी थी। बाद में डीडीयू प्रशासन इसे लेकर पूरी तरह लापरवाह दिखा। इसे लेकर विद्यार्थियों को करीब एक महीने तक लगातार अनशन करना पड़ा था। विद्यार्थियों की सही मांगों पर विवि प्रशासन ने उनकी प्री पीएचडी की परीक्षा तो कराई लेकिन उसके प्रश्न पत्र पर प्रश्न खड़े हो गए।