गणेश चतुर्थी को लेकर बरेली शहर के बाजारों में इको फ्रेंडलीट्री गणपति मूर्तियों की है धूम
बरेली : गणेश चतुर्थी को लेकर बरेली शहर के बाजारों में इको फ्रेंडलीट्री गणपति मूर्तियों की धूम है। खासतौर पर कोलकाता से आए ईश्वर गणेश की यह कच्ची मिट्टी से बनी हुई मूर्तियां लोगों को काफी पसंद आ रही है। इन इको फ्रेंडली मूर्तियों की खास बात यह है कि विसर्जन के बाद इनके पानी में घुलने में सरलता होगी और यह पर्यावरण को भी हानि नहीं पहुंचायेंगी। नदियों में पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) से बनी मूर्तियों के विसर्जन से होने वाले हानि को बचाने के लिए अब लोग इन खास मूर्तियों को खूब पसंद कर रहे हैं।
आपको बता दें आकार के हिसाब से यह मूर्तियां बाजार में ₹150 से लेकर ₹21 हजार तक की मूल्य में मौजूद है, तो वहीं औनलाइन भी इनकी मांग सबसे अधिक है।इको फ्रेंडली मूर्तियों में ट्री गणेशा और पंचगव्य के गणपति भी कई औनलाइन शॉपिंग साइट्स पर उपस्थित है। इन हस्त निर्मित मूर्तियों की मूल्य ₹700 से ₹800 के बीच रखी गई है। इन गणेश जी की मूर्तियों को आम, जामुन, नीम आदि के बीजों से बनाया गया है।इनके विसर्जन के बाद इनमें उपस्थित बीज अंकुरित होकर पौधे का रूप ले लेंगे।वहीं पंचगव्य की गणपति मूर्तियां गाय के गोबर, गोमूत्र, गाय के घी, दही और विशेष जड़ी बूटियां से तैयार की गई हैं। इन्हें नदियों में विसर्जित करने की स्थान अपने घरों के गमले में भी विसर्जित किया जा सकता है।
इको फ्रेंडली मूर्तियों की सबसे अधिक डिमांड
मूर्ति व्यवसायी शोभित ने कहा कि इस बार पीओपी से बनी मूर्तियां बाजार में बहुत कम डिमांड में है, क्योंकि इन मूर्तियों से जल प्रदूषित होता था। जिसके चलते अब लोग कच्ची मिट्टी से बनी गणपति की मूर्तियों को ही घर ले जाना अधिक पसंद कर रहे हैं और इन मूर्तियों के इको फ्रेंडली होने से पर्यावरण पर भी कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा।मूर्ति व्यापारी महेंद्र कहते हैं पीओपी से बनी मूर्तियों की तुलना में इको फ्रेंडली मूर्तियां महंगी तो है। लेकिन बाजार में इन मूर्तियों को लोग खूब पसंद कर रहे हैं। इसके साथ ही यह मूर्तियां छोटे-बड़े आकार में भी मौजूद हैं। मूर्ति बनाने वाले उमेश कुमार बताते हैं कि इको फ्रेंडली मूर्तियां इस बार सबसे अधिक बनाई गई है।