कुशीनगर के नारायणी नदी में मगरमच्छों व विलुप्तप्राय घड़ियालों का बढ़ रहा कुनबा
Gandak River: पवित्र शालिग्राम पत्थरों के लिए विख्यात बड़ी गंडक यानि नारायणी नदी मगरमच्छों और विलुप्तप्राय घड़ियालों का कुनबा बढ़ा रही है। कुशीनगर में लंबे समय से पौष्टिक चेपुआ मछली के प्रजनन का केंद्र बनी नारायणी में अब मगरमच्छों और घड़ियालों का परिवार बढ़ रहा है। भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट के आंकड़ों से यह बात सामने आई है। वर्ष 2013-14 से बड़ी गंडक नदी में लुप्तप्राय हो चुके घड़ियालों का नदी में संरक्षण भी प्रारम्भ हो चुका है।
नारायणी नदी नेपाल की पहाड़ियों में स्थित अपने उद्गम स्थल से 1310 किलोमीटर तक उत्तर प्रदेश और बिहार में बहती है। कुशीनगर जिले से होकर बिहार में दाखिल होती है और पटना में गंगा में समाहित हो जाती है। कुशीनगर जिले के दो तहसील क्षेत्रों से होकर गुजरने वाली इस नदी में पिछले दिनों तमकुही वन रेंज क्षेत्र के अहिरौलीदान में भी घड़ियालों के घोंसले पाए गए थे। भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट, पर्यावरण, वन एवं जलवायु बदलाव विभाग तभी से बड़ी गंडक नदी में लुप्तप्राय घड़ियालों का संरक्षण कर रहा है।
साल 2016 में संरक्षण करने वाले विभागों ने इस नदी में घड़ियालों के प्रजनन की खोज की, जिसमें उन्हें कामयाबी भी मिली। भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट का दावा है कि बड़ी गंडक नदी दुनिया में मछली खाने वाले इन सरीसृपों की दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या का घर है। पिछले वर्ष हुई खोज के दौरान घड़ियालों के आठ घोंसले बिहार प्रांत के पश्चिमी चंपारण जिले में मिले थे। एक घोंसला कुशीनगर जिले के अहिरौलीदान से ढूंढकर निकाला गया था। वन विभाग के डिप्टी रेंजर अमित तिवारी का बोलना है कि मगरमच्छ और घड़ियालों का बड़ी गंडक नदी में ही वास है। नदी में पानी बढ़ने के बाद इन्हें सरलता से देखा जा सकता है। प्रभागीय वन अधिकारी अनिल श्रीवास्तव के अनुसार बड़ी गंडक नदी मगरमच्छ और घड़ियालों के प्रजनन का केंद्र बन चुका है।
मुख्य गंडक नहर में पहुंचे गए थे तीन विशालकाय मगरमच्छ
इस वर्ष बड़ी गंडक नदी से निकलकर बहने वाली मुख्य गंडक नहर में तीन विशालकाय मगरमच्छ पहुंच गए थे। दो महीने पहले इनमें एक पडरौना के नजदीक गंडक नहर में देखा गया था। बाद में खड्डा क्षेत्र में एक विशालकाय मगरमच्छ ने मुख्य गंडक नहर में नहाने गए पुरुष को शिकार बना लिया था। एक महीने पहले तीसरा मगरमच्छ खड्डा क्षेत्र के एक निजी पोखरे में पहुंच गया था। वन विभाग ने उसे फिर से नारायणी में छोड़वाया था।
अब असुरक्षित हो गया गंडक नहर में नहाना
वन विभाग ने मुख्य गंडक नहर में एक के बाद तीन विशालकाय मगरमच्छ मिलने और पुरुष की नहाते समय मगरमच्छ के हमले में मृत्यु के बाद अपील जारी की है कि अब नहर के पानी में नहाना असुरक्षित है। लोगों को इसमें नहाने से परहेज करना चाहिए।
पौराणिक कथाओं में भी ‘गज’ और ‘ग्राह’ का उल्लेख
नारायणी यानि बड़ी गंडक नदी से घड़ियालों का पुराना नाता है। पौराणिक कथाओं में भी इस नदी का जिक्र है। महाभारत काल के दौरान हुई कई घटनाएं इस नदी से जुड़ी हुईं हैं। मान्यता है कि ‘गज’ और ‘ग्राह’ यानि हाथी और घड़ियाल का युद्ध भी इसी नदी में हुआ था। हाथी के गुहार लगाने पर ईश्वर श्रीकृष्ण ने आकर उसकी जान बचाई थी। इसके अतिरिक्त अन्य पौराणिक कथा के मुताबिक जरासंध वध के बाद पांडवों ने भी इसी गंडक नदी में स्नान किया था। यहां पाए जाने वाले शालिग्राम पत्थरों की पूजा होती है।