आयुष्मान भारत स्कीम के जरिए अस्पतालों ने सरकार को लूटना किया शुरू
आयुष्मान हिंदुस्तान स्कीम के जरिए अस्पतालों ने गवर्नमेंट को लूटना प्रारम्भ कर दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूपी के कुछ निजी हॉस्पिटल सरलता से पैसा कमाने के लिए आयुष्मान हिंदुस्तान योजना के अनुसार फर्जीवाड़ा कर रहे हैं। इसके लिए बिलों को बढ़ाकर दिखाया जा रहा है। कई मुकदमा सामने आए हैं जहां जनरल वॉर्ड के रोगियों को आईसीयू में भर्ती करके उनकी फोटो खींची जा रही है और फिर उन्हें वापस जनरल वॉर्ड भेजा गया है। ऐसा करने से हॉस्पिटल जनरल वार्ड के बिल की स्थान आईसीयू का बिल बढ़ाकर आयुष्मान स्कीम से पैसा कमा रहे हैं। फर्जीवाड़ा पकड़ में आने के बाद से 369 अस्पतालों को योजना से बाहर कर दिया गया है।
लगभग 160 ऐसे मुद्दे सामने आए हैं जहां अस्पतालों ने पैसा कमाने के लिए आयुष्मान हिंदुस्तान योजना के अनुसार फर्जी बिल दिखाए हैं। इनमें से पांच मुद्दे लखनऊ के भी मिले। हालांकि गवर्नमेंट इन फर्जीवाड़ों से निपटने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। इस बारे में जानकारी देते हुए सीईओ सैकिस (स्टेट एजेंसी फॉर कॉम्प्रिहेंसिव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज), संगीता सिंह ने बोला कि धोखेबाजों को पकड़ने के लिए हमारे पास एआई से लेस सॉफ्टवेयर के साथ एक मजबूत स्क्रीनिंग प्रक्रिया है। इसके अनुसार फर्जीवाड़ा करने वालों को पकड़ने के लिए नए ढंग अपना जा रहे हैं। इसकी के साथ फर्जीवाड़ा के मामलों में गुनेहगार पाए जाने पर अस्पतालों को पकड़ा जा रहा है और पैनल से हटाया जा रहा है। इतना ही नहीं बल्कि उन्हें भुगतान की गई राशि की वसूली भी उनसे की जा रही है।
आयुष्मान हिंदुस्तान में निजी अस्पतालों के अतिरिक्त सरकारी हॉस्पिटल भी शामिल हैं। ऐसे में सिर्फ़ निजी ही नहीं बल्कि सरकारी अस्पतालों की भी नज़र की जा रही है। 88 निजी अस्पतालों को भी नज़र सूची में रखा है। नज़र सूची में आने वाले अस्पतालों को हर बिल जमा करने पर एक जांच प्रक्रिया से गुजरना होगा। उनके बिलों का सत्यापन किया जाएगा। इसके लिए टेलीफोन से रोगियों के साथ क्रॉस चेक भी किया जाता है। सभी मानक पूरे होने पर ही अस्पतालों के बिल का भुगतान किया जाता है।