उत्तर प्रदेश

शिशुओं के लिए जॉन्डिस बन रहा आफत,ऐसे करें पहचान

हापुड़ उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में नवजात बच्चों के लिए पीलिया आफत बन रहा है अधिकतर बच्चे इस रोग से ग्रसित पाए जा रहे हैं सरकारी हॉस्पिटल सहित प्राईवेट अस्पतालों में नवजात बच्चों का इलाज कराने के लिए तीमारदार पहुंच रहे हैं ऐसे में वरिष्ठ बाल बीमारी जानकार ने पीलिया की इस रोग से सरल ढंग से निपटने की राय दी है डॉक्टरों ने कहा है कि नवजात शिशुओं में यदि पीलिया है, तो घबराने की जरूरत नहीं है

आपको बता दें कि हापुड़ जिले में हाल ही में 65 नवजात बच्चों में पीलिया की रोग देखी गई बच्चों के तीमारदार हापुड़ सीएचसी सहित प्राईवेट अस्पतालों में उपचार करा रहे हैं वरिष्ठ बाल बीमारी जानकार डाक्टर लवनीश मोहन ने कहा कि अक्सर नवजात शिशुओं में पीलिया हो जाता है, जिसे न्यूबोर्न जॉन्डिस भी कहते हैं यह नवजात शिशुओं को जन्म के 2 से 3 दिन के अंदर होता है

ऐसे करें पहचान
शिशुओं में होने वाले फिजियोलॉजिकल जॉन्डिस में शिशु की आंख का रंग सफेद या स्किन का रंग पीला हो सकता है ऐसा न्यूबॉर्न बेबी के रक्त में बिलीरूबिन का लेवल बढ़ने के कारण होता है पीलिया पहले बच्चे के चेहरे पर नजर आता है, इसके बाद शिशु की छाती, पेट, बांहों और पैरों पर दिखाई देने लगता है

60 फीसदी बच्चे पीलिया का शिकार
बाल बीमारी जानकार डाक्टर लवनीश मोहन का बोलना है कि 90 प्रतिशत बच्चों को पीलिया फोटोथैरेपी के माध्यम से ठीक हो जाता है और यदि किसी बच्चे को अधिक पीलिया है, तो उसे तुरंत बाल बीमारी जानकार चिकित्सक को दिखाना चाहिए न्यूबॉर्न बेबी में 55 से 60 फीसदी बच्चों में पीलिया होता है, लेकिन वो अधिक घातक नहीं होता है 90 प्रतिशत बच्चों में स्वयं ही पीलिया ठीक हो जाता है

शिशुओं को होती है परेशानी
शिशुओं के पीलियाग्रस्त होने के बारे में डाक्टर लवनीश मोहन ने बोला कि शिशु में बिलीरूबिन के हाईलेवल की वजह से नवजात को बहरापन, सेलेब्रल पाल्सी या अन्य किसी तरह का ब्रेन डैमेज होने की आसार रहती है, इसके अतिरिक्त लीवर में दिक्कत, इंफैक्शन, एंजाइम की कमी और शिशु की लाल रक्त कोशिशकाओं में असामान्यता आने की वजह से भी न्यूबॉर्न जॉन्डिस होता है

ऐसे होता है पीलिया
उन्होंने कहा कि नैचुरल रोशनी यानि की धूप में पीलिया को सरलता से पहचाना जाा सकता है और गहरे रंग की स्किन वाले शिशुओं में इसका पता लगाना कठिन हो सकता है बिलीरूबिन एक पीले रंग का पदार्थ है, जो लीवर में उपस्थित पित्त द्रव में पाया जाता है, जिसे पित्त भी कहते हैं यह लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने से बनता है बच्चों में जब बिलीरूबिन बनता है तो उनके कमजोर लीवर के कारण वह बाहर नहीं निकल पाया जिससे पीलिया होता है और वह ज्यादातर में स्वयं से ही ठीक हो जाता है

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