समाजवादी पार्टी को दो बड़े झटके लगे हैं. बदायूं सीट से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी शिवपाल यादव ने मैदान छोड़ने का घोषणा कर दिया है. जब से टिकट फाइनल हुआ था, तब से ही टिकट बदलने की चर्चा प्रारम्भ हो गई थी. उन्होंने स्वयं चुनाव से हटने का घोषणा किया, साथ ही बदायूं लोकसभा सीट से बेटे को उम्मीदवार बनाने का घोषणा किया. हालांकि अभी तक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. उधर, समाजवादी पार्टी विधायक आशुतोष मौर्य के परिवार ने भी पाला बदल लिया है. उनकी पत्नी और बहन ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली है. आशुतोष ने स्वयं बगावती रुख अपनाया हुआ है, ऐसे में बदायूं सीट पर समीकरण बदलेंगे.
दरअसल, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव ने रविवार को बड़ा घोषणा करते हुए सबको चौंका दिया. उन्होंने घोषणा किया कि उनकी स्थान अब बदायूं लोकसभा सीट से उनके बेटे आदित्य यादव मैदान में होंगे. वह बहुत ही शीघ्र नवरात्र में नामांकन करेंगे. नवरात्र में शुभ और अच्छा होता है.
शिवपाल ने रविवार को बिसौली विधानसभा क्षेत्र के अहमदगंज की चुनावी सभा में बोला कि यह चुनाव बहुत ही जरूरी है. साथ ही आदित्य यादव का नाम लिए बगैर ही कहा, चुनाव में सपा के प्रत्याशी अब तो बन गए हैं… पता है, पता है, इसके बाद लोगों की ओर से नाम आया आदित्य यादव. आदित्य यादव जिंदाबाद के नारे भी लगे फिर शिवपाल सिंह यादव ने स्थिति साफ की. उन्होंने कहा- देखिए, पहले तो लखनऊ से उनका ही नाम चला था. लेकिन खासतौर से युवाओं की मांग पर अब आदित्य यादव प्रत्याशी हो गए हैं.
20 फरवरी को हुआ था शिवपाल के नाम का एलान
20 फरवरी को समाजवादी पार्टी मुखिया ने शिवपाल सिंह यादव को बदायूं लोकसभा सीट से उम्मीदवार घोषित किया था. उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद भी वह निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव प्रचार करने नहीं पहुंचे थे, तब चर्चा चली थी कि वह चुनाव नहीं लड़ना चाहते, शिवपाल सिंह यादव विधानसभा क्षेत्र की राजनीति में एक्टिव रहना चाहते हैं. हालांकि 14 मार्च को शिवपाल सिंह बदायूं आए.
बदायूं, सहसवान और गुन्नौर में हुए कार्यकर्ता सम्मेलन में युवाओं ने शिवपाल सिंह को उम्मीदवार बनाने का प्रस्ताव पारित किया. तब शिवपाल सिंह ने बोला था कि युवाओं की मांग पर वह राष्ट्रीय अध्यक्ष से वार्ता करेंगे. अब रविवार को उम्मीदवारी के मामले पर उन्होंने स्वयं ही स्थिति साफ की है. हालांकि बदायूं के समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष आशीष यादव का बोलना है कि अधिकृत तौर पर घोषणा राष्ट्रीय अध्यक्ष ही करेंगे.
सीट पर समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका
उधर,
समाजवादी पार्टी विधायक आशुतोष मौर्य के अपनी ही पार्टी का साथ छोड़ने से बदायूं लोकसभा सीट पर समीकरण प्रभावित होना तय
बताया जा रहा है
. यहां से
अभी पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव
समाजवादी पार्टी प्रत्याशी हैं
. आशुतोष मौर्य ने राज्यसभा चुनाव में
बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी
. अब लोकसभा चुनाव के दौरान उनकी पत्नी बिल्सी नगर पालिका परिषद की पूर्व चेयरमैन सुषमा मौर्य और बहन पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मधु चंद्रा
बीजेपी में शामिल हो गई हैं
.
फरवरी में हुए राज्यसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के कुल सात विधायकों ने बीजेपी के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी. इनमें आशुतोष मौर्य के अतिरिक्त मनोज पांडेय, अभय सिंह, राकेश सिंह, पूजा पाल, विनोद चतुर्वेदी और राकेश पांडेय शामिल हैं.
उसके बाद से ही बीजेपी इन विधायकों पर अपनी नजर गढ़ाए हुए है. हालांकि, यह बात दीगर है कि दल-बदल कानून के कारण ये विधायक आधिकारिक तौर पर समाजवादी पार्टी छोड़ने की घोषणा नहीं कर रहे हैं. समाजवादी पार्टी ने भी उन्हें पार्टी से न निकालने का निर्णय किया है. समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव पहले ही कह चुके हैं कि क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों को पार्टी से निकालने पर उन्हें अभयदान मिल जाएगा, जोकि समाजवादी पार्टी नहीं चाहती है.
वहीं, खास रणनीति के अनुसार उप सीएम ब्रजेश पाठक ने आशुतोष मौर्य के परिवार को लखनऊ में बीजेपी में शामिल करा दिया. बताते हैं कि आशुतोष मौर्य भी बदायूं में समाजवादी पार्टी के किसी कार्यक्रम में शामिल नहीं हो रहे हैं. उनके तेवर पूरी तरह से बगावती हैं, लेकिन विधायकी जाने के डर से स्वयं समाजवादी पार्टी से त्याग-पत्र नहीं दे रहे हैं. आशुतोष मौर्य बदायूं लोकसभा क्षेत्र के भीतर आने वाली बिसौली विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे. इस सीट पर यादव, मुसलमान और मौर्य समीकरण कारगर माने जाते हैं. मौर्य-शाक्य मतदाताओं की संख्या दो लाख से अधिक है.
पिछले लोकसभा चुनाव में भी वहां से बीजेपी के टिकट पर संघमित्रा मौर्य चुनाव जीती थीं. इस बार भी बीजेपी ने बदायूं से दुर्विजय सिंह शाक्य को चुनाव मैदान में उतारा है. जाहिर है कि आशुतोष मौर्य और उनके परिवार के बीजेपी के पक्ष में जाने से मौर्य-शाक्य बिरादरी में बीजेपी की स्थिति मजबूत होगी. बीजेपी की रणनीति का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि संघमित्रा का टिकट कटने के बावजूद पार्टी ने उन्हें अपने साथ जोड़े रखा है. जबकि, संघमित्रा के पिता और पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य लगातार बीजेपी के विरुद्ध ताल ठोंके हुए है.