बच्ची की हत्या कर कलेजा खाने के मामले में पति-पत्नी समेत चार लोगों को कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद की सजा
कानपुर में तांत्रिक के कहने पर बच्ची की मर्डर कर कलेजा खाने के मुद्दे में पति-पत्नी समेत चार लोगों को न्यायालय ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। दंपती पर 20-20 हजार तो दो अन्य दोषियों पर 45-45 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
घाटमपुर स्थित एक गांव में 14 नवंबर 2020 की शाम घर के बाहर खेल रही सात वर्ष की बच्ची अचानक लापता हो गई थी। रात भर तलाशने के बाद दूसरे दिन गांव के बाहर उसका क्षत-विक्षत मृतशरीर बरामद हुआ था। पिता ने गांव के अंकुल, वंशलाल, कमलराम, बाबूराम और सुरेश जमादार के विरुद्ध तंत्र-मंत्र के चक्कर में बेटी की मर्डर की एफआईआर दर्ज कराई।
तांत्रिक ने बच्चे का कलेजा खाने की राय दी थी विवेचना के दौरान पुलिस को पता चला कि वीभत्स काण्ड के पीछे निसंतान दंपति की किरदार है। सुरागों के आधार पर पुलिस ने इन नामों को आरोपियों की सूची से हटा दिया और गांव के परशुराम और उसकी पत्नी सुनैना को धर-दबोचा। जांच में पता चला कि विवाह के 19 वर्ष बाद भी दंपति को कोई संतान नहीं हुई थी। एक तांत्रिक ने उन्हें बच्चे का कलेजा खाने की राय दी थी।
फांसी होती तो ‘कलेजा’ ठंडा हो जाता साहब।।
बिटिया से हैवानियत के तीन वर्ष बीतने के बाद पहली बार माता-पिता की आंखों में संतोष के रेट दिखाई दिए। उधर न्यायालय ने निर्णय सुनाया, इधर दंपति की आंखें छलक पड़ीं। तीन वर्ष पहले बेटी संग हवस की घटना के दर्द पर मानों न्यायालय ने मरहम लगा दिया। हालांकि रुंधले गले से पिता एक ही बात कहे जा रहे थे कि हमें सजा से संतोष तो है, लेकिन दोषियों को फांसी होती तो कलेजे को और ठंडक मिल जाती।
शनिवार को निर्णय आते ही गांवभर में तीन वर्ष पुरानी घटना को लेकर चर्चा होती रही। किसी ने ऊपर वाले का शुक्र अदा किया तो कोई बिटिया को याद कर रो पड़ा। न्यायालय का निर्णय सुनने पहुंचे मासूम के माता-पिता बोले- इन लोगों ने मेरी नन्ही बेटी को बहुत बेरहमी से मारा था, अब हम घर में घी के दीये जलाएंगे।
पिता ने बोला कि उनकी किसी से कोई रंजिश नहीं थी, लेकिन इन लोगों ने तंत्र-मंत्र के चक्कर में बेटी की मर्डर कर दी और उसके पेट, सीने और सिर तक को फाड़ डाला। ऐसे नर पिशाचों को तो फांसी मिलती तभी बेटी की आत्मा को शांति मिलती। हालांकि जीवन भर जेल में भी अब इनकी जीवन कारावास में ही बीतेगी।
मासूम के मामा भी उनके साथ सजा सुनने न्यायालय पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि गांव के मंदिर में तांत्रिक आते-जाते रहते हैं, उन्हीं में किसी से इन लोगों को कलेजा खाने की राय मिली थी।
न हुई तांत्रिक की पहचान
मासूम की मर्डर के पीछे संतान के लिए दंपति के कलेजा खाने की बात सामने आई, लेकिन उनको किस तांत्रिक ने इसके लिए उकसाया यह बात पूरे मुकदमे में अनसुलझी रह गई। पीड़ित परिवार ने कहा कि गांव में भद्रकाली का मशहूर मंदिर हैं, जहां पर बड़ी संख्या में तांत्रिकों का आना-जाना रहता है।
दूर रहे दोषियों के परिजन
चारो आरोपियों परशुराम, सुनैना के साथ अंकुल और वीरन को सजा सुनाए जाने से लेकर उनके कारावास जाने तक उनके परिजन या सम्बन्धी नहीं दिखे।
नहीं मिल पाई थी जमानत
आरोपियों ने कोई ठोस साक्ष्य न होने की बात कहते हुए न्यायालय में जमानत प्रार्थना पत्र दिए थे, लेकिन न्यायालय में अभियोजन की पैरवी के कारण उनकी जमानतें नहीं हो पाईं।
हैवानियत की हदें पार
सात वर्ष की मासूम से साथ हैवानियत की सारी हदें पार की गई थीं। बच्ची की मर्डर के बाद उसे निर्वस्त्रत्त् कर गांव के बाहर खेत में फेंक दिया गया था जहां जंगली जानवर और कुत्ते उसके शरीर को नोंचकर खा रहे थे। दोषियों को सजा सुनाए जाने के बाद गांव के लोगों को वह दृश्य फिर याद आ गया, पूरे दिन गांव में तीन वर्ष पुरानी घटना पर ही चर्चा होती रही। गांव के हर नुक्कड़ और चौराहे पर दिन भर लोगों में एक ही चर्चा थी कि दोषियों को सजा तो हो गई लेकिन अभी भी आधी सच्चाई ही सामाने आई है।
बच्ची के साथ गैंगरेप
परशुराम ने अपने भतीजे अंकुल और उसके साथी वीरन को मोटी धनराशि का लालच देकर किसी बच्चे के कलेजे का व्यवस्था करने को कहा। अंकुल और वीरन ने गांव में खेल रही मासूम को अगवा किया और खेत पर ले गए। उसके साथ गैंगरेप कर मर्डर कर दी। इसके बाद पेट फाड़कर कलेजा निकाला और सुनैना और परशुराम को खाने के लिए दिया।