मऊ की घोसी विधानसभा के उपचुनाव का परिणाम आज कर दिया जाएगा जारी
उत्तर प्रदेश के मऊ की घोसी विधानसभा के उपचुनाव का रिज़ल्ट आज जारी कर दिया जाएगा। इसके लिए काउंटिंग जारी है और आठवें चरण की मतगणना के बाद समाजवादी पार्टी प्रत्याशी सुधाकर सिंह आगे चल रहे हैं। सुधाकर सिंह 29030 के साथ आगे चल रहे हैं। दूसरे नंबर पर बीजेपी के प्रत्याशी दारा सिंह चौहान 22145 वोटों के साथ हैं। दोनों के बीच 6885 वोटों का फासला है। जहां समाजवादी पार्टी और बीजेपी के बीच कड़ी भिड़न्त में कौन जीतेगा इसकी अटकलें हैं वहीं नोटा पर भी लोगों की नजरें बनी हुई हैं। कारण हैं मायावती। दरअसल, बीएसपी प्रमुख मायावती ने घोसी में उपचुनाव की वोटिंग से पहले लोगों से अपील की थी कि मतदान से दूर रहें। उन्होंने ये भी बोला था कि यदि किसी को वोट देना ही है तो नोटा का बटन दबाएं।
मायावती ने बीएसपी से घोसी उपचुनाव के लिए प्रत्याशी नहीं उतारा। उन्होंने बीएसपी समर्थकों से अपील करते हुए बोला था कि मतदान न करें और करें भी तो नोटा दबाएं। आज मतगणना में देखा गया कि घोसी सीट से खड़े 10 प्रत्याशियों में से 6 को नोटा ने पछाड़ दिया। नोटा 6 प्रत्याशियों से आगे निकलकर 4 नंबर पर कब्जा जमाए हुए है। तीसरे नंबर पर निर्दलीय प्रत्याशी विनय कुमार के बाद नोटा चौथे नंबर पर है। सांतवे चरण की गिनती के बाद नोटा को 475 वोट मिले हैं। 5 सिंतबर को हुई वोटिंग में कुल 50.30 फीसदी वोट पड़े थे। इनमें से 475 नोटा को मिले।
क्या मायावती की अपील का असर?
घोसी विधानसभा सीट पर दो बार बीएसपी जीत हासिल कर चुकी है। सबसे पहले 1993 में और दूसरी बार 2007 में बीएसपी प्रत्याशी इस सीट से जीते थे। इस बार पार्टी चुनाव से बाहर रही। पार्टी ने कोई भी उम्मीदवार चुनाव में नहीं उतारा और मताधिकार का प्रयोग न करने की बात कही। इसके बाद मायावती ने भी अपील करते हुए वोट न देने या नोटा का बटन दबाने की बात कही। हालांकि पिछले चुनावों के परिणामों के मुताबिक इस सीट पर बीएसपी के वोटर बड़ी संख्या में हैं। ऐसे में मायावती की अपील का असर कहें या वोटरों की मर्जी लेकिन इस सीट पर मतदान कम फीसदी में भी हुआ और नोटा अन्य प्रत्याशियों को पछाड़ता भी दिखा।
मायावती की इस अपील को राजनीति में उनके नए दांव की तरह देखा जा रहा है। कम मतदान होने और नोटा को वोट मिलने से ये भी धारणा बन रही है कि दलित वोटर अभी भी मायावती के साथ हैं। मायावती ने इस कदम से दलितों को साधने का काम किया है। कम मतदान और नोटा को वोट मिलने से स्थिति साफ होती दिख रही है कि दलित वोटर बीएसपी खेमे में ही हैं।