सिर्फ 24 घंटे में तैयार हुआ था सदियों पुराना यह शिव मंदिर
भारत में रहस्यमयी और प्राचीन मंदिरों की कोई कमी नहीं है। राष्ट्र के कोने-कोने में कई प्रसिद्ध मंदिर आपको देखने को मिल जाते हैं। इनमें से कई मंदिरों को तो लोग चमत्कारी और रहस्यमयी भी मानते हैं। आज हम आपको बलिया के ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसे यदि रहस्यमयी कहें तो गलत नहीं होगा। मंदिर के पुजारी संतोष पांडेय ने बोला कि यह बाबा क्षितेश्वर नाथ का मंदिर है। जो बलिया के छितौनी गांव में है। सैकड़ों साल पुराना है। इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग पृथ्वी के अंदर से स्वयं प्रकट हुआ है। सबसे ख़ास बात यह है कि इस मंदिर का निर्माण 24 घंटे के अंदर हुआ है।
सैकड़ों वर्ष पहले जिले के छितौनी से कुछ दूरी पर स्थित बहुवारा गांव के एक तपस्वी थे। जो हमेशा ब्रह्मपुर (बिहार) में ब्रह्मेश्वर नाथ महादेव के दर्शन हेतु गंगा पार जाते थे। तपस्वी को एक दिन सपने में भोलेनाथ ने छितौनी में होने का संकेत दिया।कहा कि इतनी दूर मत जाओ मैं यही हुं। फिर आस पास के ग्रामीणों के योगदान से उक्त जगह पर खुदाई की गई। खुदाई के उपरांत छितौनी में ही इस शिवलिंग का विग्रह प्राप्त हुआ।
ऊपर आने के वजाय नीचे जाता रहा शिवलिंग
इस शिवलिंग को ऊपर लाने का बहुत कोशिश किया गया। जब शिवलिंग को ऊपर लाने का कोशिश होता था। तब तब शिवलिंग उतना ही नीचे चला जाता। अंततः लोगों ने महादेव के इस करिश्मा को देखकर शिवलिंग को उसी प्रकार रहने दिया। जमीन के अंदर स्थापित कर लोग पूजा याचना करने लगे। कालांतर में यह मंदिर लोगों के आस्था का बड़ा केंद्र बन गया।
कैसे पड़ा मंदिर का नाम क्षितेश्वर नाथ महादेव
क्षिति ईश्वर: क्षितेश्वर: क्षिति यानी पृथ्वी और ईश्वर: यानी भगवान। यह शिवलिंग जमीन के अंदर से निकला इसलिए इनका नाम क्षितेश्वर नाथ महादेव पड़ा। जब मंदिर का निर्माण होने लगा तो मंदिर के निर्माण के लिए जो दीवाल जोड़ी जाती थी। वह जोड़ने के बाद गिर जाती थी। अंततः लोग परेशान होकर के काशी के विद्वानों के पास गए। तो उन्होंने कहा कि यदि 24 घंटे के अंदर इस मंदिर का निर्माण हो जाता है तो नहीं गिरेगा। उन विद्वानों के मतानुसार इस मंदिर का निर्माण 24 घंटे के अंदर हुआ और काम सफल हो गया