UP Rajya Sabha Polls: सियासी खतरे की घंटी है 'अंतरात्मा की आवाज'! लोकसभा चुनावों से पहले होगी और बड़ी उठापटक
UP Rajya Sabha Polls
– फोटो : Amar Ujala/Sonu Kumar
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उत्तर प्रदेश में हुए राज्यसभा चुनाव में जिस तरह समाजवादी पार्टी के नेताओं की ‘अंतरात्मा की आवाज’ जागी है, वह यूपी के सियासत में बड़ा अलार्म है। सियासी गलियारों में कहा यही जा रहा है कि लोकसभा के चुनावों से पहले हुए राज्यसभा के चुनावों ने आगे की तस्वीर साफ कर दी है। अनुमान यही लगाया जा रहा है कि अगले कुछ दिनों के भीतर उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारों में अभी और ‘अंतरात्मा की आवाज’ जागने वाली हैं। फिलहाल समाजवादी पार्टी के विधायकों ने जिस तरीके से ‘अंतरात्मा की आवाज’ पर भारतीय जनता पार्टी को वोट दिया, उससे उत्तर प्रदेश में सियासत गर्मा गई है।
उत्तर प्रदेश में हुए राज्यसभा के मतदान के बाद राजनीति गर्म है। दरअसल सियासत की इस गर्मी की प्रमुख वजह प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के विधायकों का भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में मतदान करना है। राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार बृजेंद्र शुक्ला कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी ने जब अपने आठवें प्रत्याशी को सियासी मैदान में उतारा था, तभी इस बात के कयास लगाए जाने लगे थे कि यहां की सियासत में कुछ बड़ा होने वाला है। अब जब मतदान हुआ तो उत्तर प्रदेश की सियासत में उबाल आ गया। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री जैसे पदों पर रहे विधायक भाजपा के पाले में खड़े हो गए। नतीजतन सियासी परिणाम बदले ही नहीं, बल्कि आगे की सियासत के मायने भी बदलने लगे। कहा यही जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में अभी और बड़ी सियासी हलचल मचने जा रही है।
जानकारों की मानें तो भारतीय जनता पार्टी के पाले में जाने के लिए अभी कई अन्य दलों के कुछ और बड़े नेता संपर्क में हैं। पूर्वांचल के तकरीबन दो दर्जन से ज्यादा बड़े नेताओँ और कुछ विधायकों की भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेताओं और प्रदेश नेतृत्व से मुलाकातें भी चुकी हैं। सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की हो रही है कि पूर्वांचल में आजमगढ़, मऊ, बलिया, देवरिया समेत आसपास के अन्य जिलों के कुछ प्रमुख नेता जल्द ही भारतीय जनता पार्टी के खेमे में शामिल हो सकते हैं। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता इस बात को स्वीकार करते हैं कि चुनाव से पहले कई और बड़े नेता उनकी पार्टी का दामन थामने वाले हैं। सूत्रों की मानें तो इसमें कुछ नेता तो ऐसे हैं जो अपनी चुनिंदा सीटों पर लंबे समय से न सिर्फ चुनाव जीतते आए हैं, बल्कि आसपास की सीटों पर उनका अच्छा खासा असर भी रहता है। इनमें से कुछ नेता समाजवादी पार्टी और कुछ नेता बहुजन समाज पार्टी के साथ जुड़े रहे हैं।