सचिवालय में कार्यरत एक कर्मचारी का ऐसा कारनामा आया सामने,सुनकर रह जाएंगे आप भी दंग
आप अक्सर ही सरकारी कर्मचारियों के असर के किस्से सुनते होंगे। आप में से कई लोग ऐसे भी होंगे जो ऐसे बाबुओं के कारनामों के भुक्तभोगी भी होंगे। सरकारी अमले के लोगों के बारे में की गई कम्पलेन भी आमतौर पर गंभीरता से नहीं सुनी जाती है। प्रशासनिक अनदेखी के चलते ऐसे कर्मचारियों की हौसले और बुलंद हो जाते हैं और वे मनमानी पर उतर आते हैं। जिला प्रशासन पर दबाव बनवाकर कई तरह के कार्य भी कराते हैं। ऐसा ही एक मुद्दा उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में सामने आया है। उत्तर प्रदेश सचिवालय (लखनऊ) में कार्यरत एक कर्मचारी का ऐसा कारनामा सामने आया है, जिसके बारे में सुनकर आप भी दंग रह जाएंगे। इस कर्मचारी की दबंगई से ग्रामीण परेशान हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश सचिवालय में कार्यरत इस दबंग कर्मचारी का नाम प्रदीप पांडे है। प्रदीप पांडे सचिवालय में तैनात हैं, लेकिन उनकी हनक सीतापुर जिले में देखने को मिलती है। प्रदीप कसमंड ब्लॉक के बमहेरा ग्राम पंचायत के मूल निवासी हैं। कहा जाता है कि वह आए दिन जिला प्रशासन पर दबाव बनाकर अनुचित काम करवाते हैं। रिपोर्ट की मानें तो वह ग्रामीण पंकज सिंह के दरवाजे के सामने खड़ंजा बिछवाना चाहते हैं, जबकि संबंधित जमीन के स्वामित्व का मुद्दा न्यायालय में विचाराधीन है। मुद्दे की कम्पलेन मिलने के बाद डीडीओ सीतापुर हरिश्चंद्र प्रजापति जब छानबीन करने मौके पर पहुंचे तो कुछ मीडियाकर्मियों ने वीडियो बनाना प्रारम्भ किया था। इल्जाम है कि यह देखकर प्रदीप पांडे के घर की स्त्रियों ले अमर्यादित भाषा का प्रयोग करना प्रारम्भ कर दिया। इसके साथ वे छत से पत्थरबाजी भी करने लगीं। इसे देखते हुए जांच के लिए मौके पर पहुंचे ऑफिसरों को बैरंग लौटना पड़ा।
आबादी वाले भूखंड को घोषित कराया तालाब
जानकारी के मुताबिक, प्रदीप पांडे पिछले 4 सालों से लखनऊ स्थित सचिवालय में कार्यरत हैं। इल्जाम है कि वह अपने पद और असर का दुरुपयोग कर प्राय: प्रशासनिक ऑफिसरों पर अनुचित कार्य के लिए दबाव बनाते रहते हैं। बमहेरा गांव के ही एक अन्य निवासी कृष्ण कुमार सिंह भी प्रदीप पांडे से पीड़ित हैं। कहा जाता है कि कृष्ण कुमार सिंह की जमीन का एक टुकड़ा सरकारी रिकॉर्ड में जनसंख्या के अनुसार दर्ज है। इल्जाम है कि प्रदीप पांडे ने सिधौली के उप जिला अधिकारी पर दबाव बनाकर उस भूखंड को तालाब में परिवर्तित करा दिया और अब वहां तालाब खुदवाने का आदेश भी दिलवा दिया
ग्रामीणों का विरोध
गांव वालों की मानी जाए तो वे लोग पिछले कई वर्षों में कई बार ऑफिसरों के चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन मुनासिब कार्रवाई नहीं होती है। शासन के दबाव के चलते जब डीडीओ फिर से जांच करने पहुंचे तो गांव के लोगों के सब्र ने उत्तर दे दिया। ग्रामीणों का बोलना है कि यदि अधिकारी इसी तरह प्रदीप पांडे के आगे कठपुतली की तरह नाचते रहे तो उन्हें सीएम कार्यालय तक पैदल मार्च करने के लिए विवश होना पड़ेगा। उधर, कृष्ण कुमार सिंह की जनसंख्या वाले भूखंड पर तालाब बनवाने का आदेश देने का भी ग्रामीण विरोध कर रहे हैं।