उत्तराखण्ड

अब इस पहाड़ी सब्जी से तैयार किए जा रहे हैं सूप

मशरूम से अब कई वैरायटी के प्रोडक्ट बनाए जा रहे हैं इसमें बिस्किट, सूप पाउडर समेत कई उत्पाद शामिल हैं उत्तराखंड के श्रीनगर में स्थित गढ़वाल यूनिवर्सिटी के ग्रामीण प्रौद्योगिकी विज्ञान विभाग के प्रोफेसर और अध्ययन विद्यार्थियों ने मशरूम से कई प्रोडक्ट तैयार किए हैं यहां रिसर्च के बाद मशरूम से कई उत्पाद तैयार किए गए हैं, जो खाने में जितने टेस्टी हैं, उनकी पैकेजिंग भी उतनी ही सुन्दर है

वर्तमान में प्रदेश के कई युवा मशरूम की खेती कर स्वरोजगार अपना रहे हैं ऐसे युवा उद्यमियों को समय-समय पर गढ़वाल यूनिवर्सिटी का ग्रामीण प्रौद्योगिकी विज्ञान विभाग ट्रेनिंग देने के साथ-साथ मशरूम की वैरायटी में किस तरह परिवर्तन कर सकते हैं और इसमें क्या कुछ नया हो सकता है, इसके बारे में भी जानकारी देते रहता है इन दिनों भी विभाग में ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन किया गया है, जिसमें मशरूम कल्टीवेशन की जानकारी युवाओं को मौजूद कराई जा रही है विभाग द्वारा उत्पादित मशरूम के कई प्रोडक्ट हर किसी को आकर्षित कर रहे हैं

ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग की अध्ययन छात्रा नेहा ने कहा कि ग्रामीण प्रौद्योगिकी विज्ञान विभाग द्वारा मशरूम के पाउडर और उड़द दाल को मिक्स कर बड़ी तैयार की गई है यह खासतौर पर दाल बनाने के लिए प्रयोग में लाई जाती है वहीं मशरूम की कुकीज, सूप पाउडर और नार्मल पाउडर भी तैयार किया गया है उन्होंने कहा कि सूप पाउडर को सब्जियों के साथ मिक्स कर इंस्टेंट सूप तैयार हो जाएगा वहीं मशरूम का अचार यहां हर किसी के लिए पसंदीदा बना हुआ है इन प्रोडक्ट के लिए मशरूम को ड्राई कर पाउडर के फार्म में परिवर्तित किया गया है ये सभी उत्पाद विभाग के ही लैब में तैयार किए गए हैं

मशरूम सूप शुगर रोगियों के लिए फायदेमंद
शुगर के रोगी यदि सब्जी में दो चम्मच मशरूम सूप पाउडर मिलाकर इसका सेवन करेंगे, तो यह उनके लिए लाभ वाला साबित हो सकता है, क्योंकि सन ड्राई करने से मशरूम विटामिन डी को बहुत अधिक मात्रा में अवशोषित कर लेता है वहीं स्त्रियों में अक्सर विटामिन डी की कम्पलेन रहती है, जिससे पीठ में दर्द होने जैसी परेशानियां सामने आती हैं, ऐसे में मशरूम के ये उत्पाद उनके लिए गुणकारी साबित हो सकते हैं

बाजार में मशरूम प्रोडक्ट पहुंचाने की तैयारी
प्रोफेसर आरएस नेगी ने कहा कि मशरूम प्रोडक्शन को लेकर ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाया जा रहा है इसके बाद मशरूम कल्टीवेशन को लेकर भी प्रशिक्षण करने पहुंचे लोगों को प्रशिक्षण दिया जाएगा प्रो चौहान ने कहा कि देहरादून से ऊपर पहाड़ की तरफ यह पहला मशरूम स्पॉन यूनिट स्थापित किया गया है मशरूम को ओवन ड्राई और सोलर ड्राई करने के बाद पाउडर, बिस्कुट, जैम, अचार, समेत अन्य प्रोडक्ट तैयार किए गए हैं ये सभी उत्पाद विद्यार्थियों और प्रोफेसरों के योगदान से तैयार किए गए हैं उन्होंने आगे कहा कि यूनिवर्सिटी से यदि आर्थिक सहायता उन्हें मिलती है, तो इन प्रोडक्ट को बाजार में भी उतारा जाएगा इसके साथ ही मशरूम की खेती करने वालों को इसका प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है

एक तरह का फंगस है मशरूम
अधिकतर लोग मशरूम को सब्जी समझते हैं, लेकिन यह एक तरह का फंगस का है सब्जी में इसका प्रयोग किया जाता है बाजार में इसकी भिन्न-भिन्न किस्में मौजूद हैं, जिसमें ओएस्टर, बटन और पोर्सिनी सबसे आम प्रजाति हैं अधिकांश लोग इन्हीं का उत्पादन करते हैं मशरूम में उमामी स्वाद (मांस के जैसा) होता है, इसलिए इसे शाकाहारी मांस भी बोला जाता है कई स्वास्थ्य फायदा होने के चलते मशरूम की डिमांड काफी रहती है वहीं अब उत्तराखंड में भी कई लोग मशरूम की खेती कर अपनी आर्थिकी को मजबूत कर रहे हैं

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