उत्तराखण्ड

अब खत्म होगा सुरंग में फसे मजदूरों का इंतजार, रैट माइनिंग से होगा चमत्कार

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग में 16 दिनों से 41 मजदूर फंसे हैं सुरंग में फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए युद्ध स्तर पर बचाव अभियान चल रहा है, मगर अब तक कोई कामयाबी नहीं मिली है सुरंग में फंसी खराब ऑगर मशीन के टुकड़ों को बाहर निकाल लिया गया है और अब इंसीनी ताकत के सहारे ही श्रमिकों को बाहर निकालने की कवायद प्रारम्भ होगी जी हां, 12 दिसंबर से सुरंग में फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए हाथों से खुदाई प्रारम्भ होगी, जिसे रैट माइनिंग यानी चूहा खनन बोला जाता है बताया जा रहा है कि अब इंसानी ताकत यानी रैट माइनिंग से ही पहाड़ का सीनी चीरा जाएगा और सुरंग में फंसे श्रमिकों को बाहर निकाला जाएगा बता दें कि रैट माइनिंग एक मैनुअल ड्रिलिंग प्रक्रिया है, यानी इसमें हाथों से खुदाई की जाएगी

रैट माइनिंग से होगा चमत्कार!
रैट माइनिंग में चूहे की तरह की काम करना होता है इस प्रक्रिया में सबकुछ मैनुअली होता है इस रैट माइनिंग के लिए 5 लोगों की टीम बनाई गई है, जो सुरंग में आई बाधा को हटाने के लिए हाथ से खुदाई करेंगे कहा जा रहा है कि सुरंग के भीतर करीब 10 मीटर बिना किसी रुकावट के काम करने में 20 से 22 घंटे का समय लगेगा रैट माइनिंग के दौरान यदि कुछ मुद्दा फंसेगा तो मशीन का भी इस्तेमाल किया जा सकता है ये रैट माइनर्स क्षतिग्रस्त पाइपलाइन के सेक्शन को हटाने के लिए मैन्युअल ड्रिलिंग करेंगे

क्या है रैट माइनिंग?
दरअसल, रैट माइनिंग या रैट होल माइनिंग एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें बहुत छोटी सुरंगें खोदी जाती हैं ये सुरंगे आमतौर पर लगभग 3-4 फीट गहरी होती हैं, जिसमें मजदूर (अक्सर बच्चे) प्रवेश करते हैं और कोयला निकालते हैं दरअसल, मेघालय में जयंतिया पहाड़ियों के क्षेत्र में बहुत सी अवैध कोयला खदाने हैं लेकिन पहाड़ियों पर होने के चलते और यहां मशीने ले जाने से बचने के चलते सीधे श्रमिकों से काम लेना अधिक सरल पड़ता है मजदूर लेटकर इन खदानों में घुसते हैं चूंकि, मजदूर चूहों की तरह इन खदानों में घुसते हैं इसलिए इसे ‘रैट माइनिंग’ बोला जाता है बच्चे ऐसे काम के लिए मुफीद माने जाते हैं हालांकि कई एनजीओ इस प्रक्रिया में बाल मजदूरी का इल्जाम भी लगा चुके हैं 2018 में जब मेघालय में खदान में 15 मजदूर फंस गए थे, तब भी इसी रैट माइनिंग का सहारा लिया गया था

ऑगर मशीन के टूटे हिस्से निकाले गए
बता दें कि रेस्क्यू टीम और श्रमिकों के बीच में अब महज 8 से 10 मीटर की है इस दूरी को ही कम करने में अधिक समय लग रहा है उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में पिछले दो हफ्ते से फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए की जा रही ड्रिलिंग के दौरान मलबे में फंसे अमेरिकी ऑगर मशीन के शेष हिस्से भी सोमवार तड़के बाहर निकाल लिए गए ऑफिसरों ने यहां कहा कि फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए अब हाथ से ड्रिलिंग की जाएगी सुरंग के सिलक्यारा छोर से 25 टन वजनी अमेरिकी ऑगर मशीन के जरिए चल रही क्षैतिज ड्रिलिंग में ताजा अवरोध शुक्रवार शाम को आया जब उसके ब्लेड मलबे में फंस गए

12 नवंबर से ही फंसे हैं 41 मजदूर

यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था जिसके कारण उसमें काम कर रहे मजदूर फंस गए थे उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्ध स्तर पर कई एजेंसियों द्वारा बचाव अभियान चलाया जा रहा है बचाव कार्यों में योगदान के लिए उत्तराखंड गवर्नमेंट की ओर से नियुक्त नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल ने रविवार शाम सात बजे तक की स्थिति बताते हुए बोला था कि मलबे में ऑगर मशीन का सिर्फ़ 8.15 मीटर हिस्सा ही निकाला जाना शेष रह गया है मलबे में हाथ से ड्रिलिंग कर उसमें पाइप डालने के लिए ऑगर मशीन के सभी हिस्सों को पहले बाहर निकाला जाना महत्वपूर्ण था सुरंग में करीब 60 मीटर क्षेत्र में फैले मलबे को भेदकर मजदूरों तक पहुंचने के लिए अब 10-12 मीटर की ड्रिलिंग शेष रह गयी है

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