Rudraprayag News: रुद्रप्रयाग के इस मंदिर में होती है अस्थियों की पूजा, हर वर्ष बढ़ रही श्रद्धालुओं की संख्या

रुद्रप्रयाग। कार्तिक स्वामी मंदिर (Kartik Swami Temple in Uttarakhand) उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यह रुद्रप्रयाग-पोखरी मार्ग पर कनक चौरी गांव के पास 3050 मीटर की ऊंचाई पर क्रौंच पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव के बड़े पुत्र कार्तिकेय को समर्पित है। जबकि यह उत्तर हिंदुस्तान का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां कार्तिकेय बाल्य रूप में विराजमान हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव ने अपने दोनों पुत्रों कार्तिकेय और गणेश की परीक्षा लेने के उद्देश्य से उनसे बोला कि दोनों में से जो भी सबसे पहले ब्रह्मांड का चक्कर लगाकर वापस आएगा, उसकी पूजा समस्त देवी-देवताओं में सबसे पहले की जाएगी। कार्तिकेय तो ब्रह्मांड का चक्कर लगाने चले गए, लेकिन गणेश ने माता पार्वती और पिता शंकर के चारों ओर चक्कर लगाकर उनसे बोला कि मेरे लिए तो आप ही पूरा ब्रह्मांड हैं, इसलिए आपकी परिक्रमा करना मेरे लिए ब्रह्मांड का चक्कर लगाने के समान ही है। गणेश की इस बुद्धिमत्ता से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उन्हें अपने वचनानुसार वरदान दिया कि किसी भी शुभ कार्य से पहले समस्त देवी-देवताओं के इतर सबसे पहले गणेश की ही पूजा की जाएगी। स्वयं को हारा हुआ देखकर कार्तिकेय क्रोधित हो गए और अपने शरीर का मांस माता-पिता के चरणों में समर्पित कर स्वयं हड्डियों का ढांचा लेकर क्रौंच पर्वत चले गए। भगवान कार्तिकेय की अस्थियां आज भी मंदिर में उपस्थित हैं, जिनकी पूजा करने लाखों भक्त हर वर्ष कार्तिक स्वामी मंदिर आते हैं।
हर वर्ष बढ़ रही श्रद्धालुओं की संख्या
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में कार्तिक स्वामी मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या काफी बढ़ी है। भगवान कार्तिक स्वामी को हिंदुस्तान के दक्षिणी भाग में कार्तिक मुरुगन स्वामी के रूप में भी जाना जाता है। मंदिर में टंगी सैकड़ों घंटियों की लगातार आवाज वहां से करीब 800 मीटर की दूरी पर भी सुनी जा सकती है। मुख्य सड़क से 80 सीढ़ियां चढ़कर आप मंदिर के गर्भगृह तक पहुंच सकते हैं। संध्या आरती, मंत्रोच्चारण और कभी-कभी मंदिर में आयोजित महा-भंडारा या भव्य भोज भक्तों और पर्यटकों के लिए एक विशेष आकर्षण है।
कार्तिक स्वामी मंदिर कैसे पहुंचे?
भगवान कार्तिकेय को समर्पित इस मंदिर तक कनक चौरी गांव से तीन किलोमीटर पैदल एक सुंदर कच्चे ट्रैक से होते हुए पहुंचा जा सकता है। गांव में होम स्टे आदि की सुविधा आपको मिल जाएगी।