नेपाल जाने के लिए काली नदी पर बना पुल करना होगा क्रॉस

उत्तराखंड का पिथौरागढ़ जिला यूं तो अपने प्राकृतिक सौंदर्य, नदियों, हिमालय और खूबसूरत हरी भरी वादियों के लिए जाना जाता है। इसका दीदार करने पर्यटक यहां राष्ट्र विदेश से आते हैं, लेकिन आप पिथौरागढ़ की यात्रा पर आ रहे हैं, तो यहां अनुभव करने के लिए काफी चीजें हैं जैसे कि आप यहां से सरलता से पड़ोसी राष्ट्र नेपाल भी घूम सकते हैं, वहां शॉपिंग कर सकते हैं, एक दूसरे राष्ट्र की सभ्यता को जान सकते हैं। सीधे शब्दों में कहा जाए तो आप पिथौरागढ़ से नेपाल की विदेश यात्रा कर सकते हैं, जो कि कुछ मिनटों की दूरी के फासले पर है। हम बात कर रहे हैं नेपाल के दार्चुला शहर की, जो पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से 90 किलोमीटर दूर धारचूला से मात्र 5 मिनट की दूरी पर है। यहां नेपाल पहुंचने के लिए बस एक पुल पार करना पड़ता है।
पुल पार करते ही नेपाल के दार्चुला शहर में सरलता से पहुंचा जा सकता है और नेपाली संस्कृति और सभ्यता के साथ दोनों राष्ट्रों के मैत्री संबंध यहां देखने को मिलते हैं। धारचूला कैलाश मानसरोवर मार्ग पर आखिरी शहर है। यही वजह है कि यहां राष्ट्र के कोने कोने से लोग पहुंचते हैं और साथ ही नेपाल की विदेश यात्रा भी भारतीय सरलता से कर सकते हैं। यहां नेपाल पहुंचे पर्यटकों ने वार्ता में इसे अपना सुखद अनुभव और यहां के क्षेत्रीय लोगों ने दोनों राष्ट्रों के महत्व को बताया है।
पिथौरागढ़ जिला नेपाल से लगा हुआ है। यहां अभी नेपाल जाने के लिए धारचूला, जौलजीबी और झूलाघाट के रास्ते नेपाल आया और जाया जा सकता है। यदि पर्यटक नेपाल में ही रुकना चाहते हैं, तो वे भी सरलता ने वहां रुक सकते हैं। यदि आप धारचूला आए हैं और नेपाल जाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपने अपना आधार कार्ड दिखाकर बस एक पुल पार करना है, जो कि काली नदी पर बना है।
काली नदी ही यहां दो राष्ट्रों का विभाजन करती है, जिसे पार करते ही नेपाल के दार्चुला शहर पहुंचा जाता है। यहां से नेपाल की राजधानी काठमांडू की दूरी 960 किलोमीटर है। यहां की खास बात यह है कि यहां के लोगों की सुबह हिंदुस्तान मे होती है, तो शाम नेपाल में। दोनों राष्ट्रों के लोग एक दूसरे पर निर्भर रहते हैं, चाहे वह व्यापार हो या रोटी बेटी के सम्बंध या यहां की मिलती जुलती सांस्कृतिक सभ्यता। केवल काली नदी ही इन्हें दो राष्ट्रों में बांटती है।