अगर गुरु ग्रह गैस का प्लैनेट है, तो यह सबसे भारी ग्रह क्यों है, जानिए वजह
हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह गुरु है। यह पृथ्वी, बुध, मंगल और शुक्र जैसे पथरीले ग्रहों के मुकाबले भी काफी बड़ा और बहुत भारी है। पर क्या आपने सोचा है कि आखिर ऐसा क्यों है? एक गैसीय ग्रह होने और पथरीला ग्रह ना होने पर भी यह पृथ्वी जैसे पथरीले ग्रहों से कई गुना भारी क्यों है? और यदि इतना ही भारी है तो यह अब तक गैसीय ग्रह ही क्यों है।
तो पहले बाद करते हैं गुरु ग्रह के भारीपन। यह वास्तव में बहुत ही अधिक बड़ा है। इसके बड़े आकार में समाई गैसों को भार ही इसे पृथ्वी से गुना भारी है। यह आकार में पृथ्वी से 11 गुना अधिक बड़ा है। लेकिन इसका भार 318 गुना अधिक है। इसकी एक सबसे बड़ी वजह यह जिस पर हम ध्यान नहीं देते हैं वह गैस का घनत्व।
गुरु ग्रह पर गुरुत्व के असर के कारण गैस भारी दबाव में रहता है। गुरु ग्रह पर मानव वायुमंडलीय दबावब बहुत अधिक होता है। यानी यदि पृथ्वी पर 760 मिमी वाले सामान्य वायुमंडलीय दबाव हो तो गुरु ग्रह पर हमें 10 मीटर लंबी ट्यूब की आवश्यकता होगी। वैसे धनत्व के लिहाज से देखा जाए तो पृथ्वी का घनत्व गुरु से 5 गुना अधिक है। लेकिन यह गुरु ग्रह का आकार है जो उसे बहुत बड़ा और भारी बना देता है।
ऐसे में प्रश्न उठता है कि यदि गुरु ग्रह इतना ही भारी है तो स्वयं ही पथरीला ग्रह क्यों नहीं बन गया। इसके उत्तर गुरु ग्रह के बनने के इतिहास में हैं। वैज्ञानिक बताते हैं यदि कोई ग्रह बनने के समय आकार में पृथ्वी से 1.5 गुना भी बड़ा हो, तो वह गैसीय ग्रह ही बन कर रह जाएगा और पथरीला ग्रह नहीं बन सकेगा। इसीलिए गुरु बड़ा होने के कारण गैसीय ग्रह बना रह गया।
पथरीले ग्रह बनने के लिए खास प्रक्रियाओं के आवश्यकता होती है जिससे कोई ग्रह ठोसा केंद्र बना सके ग्रह बनने के दौरान इसके लिए केंद्र से हाइड्रोजन गैस का निकलना महत्वपूर्ण है। ऐसा बड़े आकार के ग्रह के साथ नहीं होता है। इसके अतिरिक्त पथरीला होने के लिए तारे से एक खास दूरी भी महत्वपूर्ण है। गुरु इस दायरे से बाहर था।