सिर्फ बारिश की पहली बूंदों को पीता है यह पक्षी,मॉनसून के आगमन की भी देता है जानकारी
बेतिया। जैकोबिन कोयल अर्थात चातक को हिंदुस्तान में भाग्यशाली पक्षी के तौर पर देखा जाता है। जानकारों का बोलना है कि चातक ऐसा पक्षी है जो सिर्फ़ बारिश का पानी पीता है। इसके अलावा, यह पक्षी मॉनसून के आगमन की भी जानकारी देता है। भारतीय साहित्य में इसके बारे में बोला गया है कि यह केवल बारिश की पहली बूंदों को पीता है। हिंदुस्तान में यह पक्षी मुख्यतः उत्तराखंड में पाया जाता है, लेकिन इसे बिहार के पश्चिम चम्पारण जिले के सरैयामन पक्षी विहार सहित वाल्मिकी टाइगर रिजर्व के जंगलों में भी देखा गया है। चातक पक्षी की विशेषता को जानने के बाद आप आश्चर्यचकित रह जाएंगे।
सरैयामन पक्षी विहार के वनकर्मी बताते हैं कि जैकोबीन कोयल अर्थात चातक पूरे वर्ष में केवल एक बार पानी पीता है। एक बार पानी पीने के बाद चाहे कुछ भी हो जाए, यह दोबारा पानी नहीं पीता है। इसके बारे में प्रचलित है कि यदि चातक पक्षी बहुत प्यासा हो और इसे एकदम साफ पानी के झील में भी छोड़ दिया जाए, तो भी यह पानी नहीं पिएगा। इस स्थिति में भी यह पानी पीने के लिए यह अपनी चोंच नहीं खोलेगा। बारिश के अतिरिक्त यह किसी भी दूसरे साधन से पानी नहीं पीता है। हालांकि, वनकर्मी इस बात की पुष्टि नहीं करते हैं।
भारत में चातक की 2 जनसंख्या मौजूद
भारत में चातक की दो जनसंख्या है। एक दक्षिणी भाग का निवासी है और दूसरा मॉनसूनी हवाओं के साथ अरब सागर को पार करते हुए अफ्रीका से उत्तर और मध्य हिंदुस्तान में अपनी राह बनाता है। गौर करने वाली बात है कि चातक पक्षी को पपीहा के नाम से भी जाना जाता है। बकौल वनकर्मी इसका वैज्ञानिक नाम क्लैमेटर जैकोबिनस (Clamator Jacobinus) है।
बता दें कि, क्लैमेटर का मतलब होता है चिल्लाना। यानी ऐसा पक्षी जो काफी मुखर है। यह पक्षी कीटभक्षी होते हैं, जिसका मतलब है कि ये टिड्डे-भृंगे खाते हैं। हालांकि, कई बार इन्हें फल और जामुन भी खाते हुए देखा गया है।
सरैयामन पक्षी विहार सहित VTR में देखा गया
चातक की एक अनोखी बात यह भी है कि यह अपने अंडे दूसरे पक्षियों के घोंसले में देते हैं। दरअसल, यह पक्षी बब्बलर और बुलबुल जैसे आकार वाले पक्षियों को अपने मेजबान के तौर पर पसंद करती हैं और उनके घोंसलों में अपने रंगीन अंडे रख देती हैं। चातक पक्षी मुख्य तौर पर एशिया और अफ्रीका महाद्वीप का पक्षी है। यदि बात करें हिंदुस्तान की तो यह मुख्य रूप से उत्तराखंड में पाया जाता है। हालांकि इसे पश्चिम चंपारण जिले में स्थित सरैयामन पक्षी विहार सहित वाल्मिकी टाइगर रिजर्व के जंगलों में भी देखा गया है।