बेगूसराय में एक अजीबो गरीब मामला आया सामने

बेगूसराय: बिहार के बेगूसराय में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जिसने बिहार पुलिस की कार्यशैली पर प्रश्न खड़ा कर दिया है। पूरे मुद्दे का खुलासा तब हुआ जब ढाई वर्ष का मासूम अपनी मां की गोद में जज से न्याय मांगने न्यायालय पहुंचा। मां अपनी गोद में बच्चे को लिए जमानत के लिए न्यायालय में भटकती रही। इस दौरान उन्हें देखने की क्षेत्रीय लोगों की भीड़ लग गईं। मामला मुफस्सिल थाना क्षेत्र के सूजा गांव की है।
बताया जा रहा है कि बेगूसराय की पुलिस ने ढाई वर्ष के एक मासूम बच्चे पर कोविड-19 फैलाने के आरोप में केस दर्ज कर दिया था। पुलिस के इस कारनामे की अब जिले भर में चर्चा हो रही है। साथ हीं उनके कार्यप्रणाली पर भी प्रश्न खड़े हो रहे हैं।
2021 में दर्ज हुई थी प्राथमिकी, अब न्याय के लिए भटक रही है मां
बेगूसराय के वरीय अधिवक्ता अमरेंद्र कुमार ने बताया कि 10 अप्रैल 2021 को जिले के मुफस्सिल थाने की पुलिस ने कोविड-19 फैलाने के आरोप में ढाई वर्ष के मासूम बच्चे, उसके माता-पिता सहित 8 लोगों पर काण्ड संख्या 224/21 दर्ज किया था। जिसमें शंभू ठाकुर के लगभग ढाई वर्षीय पुत्र हर्ष कुमार का नाम भी शामिल था और यह मामला थाने के चौकीदार रूपेश कुमार के बयान पर कोविड-19 संक्रमण के दौरान लगाए गए बैरिकेडिंग से बाहर निकलने पर मामला दर्ज किया गया था। इस मुद्दे में धारा 268, 269, 34 और 314 एपेडेमिक डिजास्टर के अनुसार मामला दर्ज किया गया था।
पुलिस अनुसंधान पर उठने लगा है सवाल
बेगूसराय के एसपी योगेंद्र कुमार ने इस मुद्दे को जांच करने की बात बताते हुए तथ्यात्मक रूप से मामला गलत होने की जानकारी दे रहे हैं। उनके अनुसार वर्ष 2021 में बच्चे का नाम हटा दिया गया था। वहीं बेगूसराय के वरीय अधिवक्ता अमरेंद्र अमर ने न्यूज 18 लोकल को बताया कि यदि बच्चे का नाम हटा दिया गया था तो फिर न्यायालय को क्यों नहीं जानकारी दी गई। भारतीय दंड संहिता की धारा 82 में इस बात का जिक्र है कि 7 वर्ष से कम उम्र के बच्चों पर प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकती है। उन्होंने कानून प्रबंध पर प्रश्न खड़े करते हुए बताया कि बच्चे को देख सीजीएम ने बेल देने से मना कर दिया और आवेदन देकर बच्चे पर लगाए गए आरोप से बरी करने का निर्देश जारी किया है।