यहां लोग लोहे के छड़ को शरीर से आर पार करते हैं और उस जगह से खून नहीं निकलता, जानें रहस्य
अक्सर आपने सड़क किनारे जादू दिखाने वालों को ‘सरिया’ शरीर के इस पार से उस पार करते हुए देखा होगा। इसमें में न तो दर्द और न ही शरीर से खून बहता है। असल में यह हाथ की सफाई होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बिहार में कुछ ऐसी भी परंपराएं हैं, जिसमें पंजर (सरिया) को शरीर में आर पार किया जाता है। जी हां, पंजर भोकवा मेला अपने आप में काफी खास है। खास इसलिए, क्योंकि यहां लोग लोहे के छड़ को शरीर से आर पार करते हैं और उस स्थान से खून भी नहीं निकलता है।
स्थानीय अजय मेहता बताते हैं कि पटना सिटी में ही यह मेला हर वर्ष लगता है। कई वर्ष से पंजर मेले की यह प्रथा लगातार चली आ रही है। जिसका आज भी लोग निर्वहन करते हैं। क्षेत्रीय सिकंदर बताते हैं कि बचपन से ही इस मेले का हिस्सा रहे हैं। हालांकि, समय के साथ उसका आकर्षण समाप्त होता जा रहा है। अब बहुत ही कम संख्या में लोग पंजर भोंकने के लिए तैयार होते हैं। कई वर्ष तक पंजर भोंक चुके विनोद शर्मा बताते हैं कि पंजर भोंकने की प्रक्रिया में सुई चुभने जितना दर्द होता है। विनोद ये भी बताते हैं कि पंजर भोंकने वाले लोगों को खाने पीने में खट्टे चीजों की मनाही होती है।
जानिए क्या है मान्यता?
स्थानीय लोगों की माने तो यह प्रथा 500 वर्ष पुरानी है। रानीपुर के सती सत्यवान मंदिर से संबंधित है। कई लोग तो यहां तक कहते हैं कि उन्होंने अपनी आंख से ऐसा देखा है कि कुछ लोग भरी हुई बैलगाड़ी के पहिए को अपने गले के ऊपर से पार करवा लेते थे और उन्हें कुछ भी नहीं होता था। वहीं, कुछ लोग ये भी बताते हैं कि जलती हुई खप्पर को लोग धवलपुरा से रानीपुर तक हाथों में लेकर चलते हैं। ऐसा घातक काम करने के बावजूद लोगों को कुछ हानि नहीं होता है। इस कारण लोग इसे ईश्वर का करिश्मा समझते हैं।