अजबगजब !नॉलेज सीरीज के तहत आज जानिए मंगल की कहानी…
पृथ्वी, सूर्य, चंद्रमा के बाद यदि किसी चौथे ग्रह के बारे में सबसे ज्यादा बातें हुईं होंगी तो वह है मंगल। एक ऐसा ग्रह जहां साइंटिस्ट भी मानते हैं कि वहां जीवन की मौजूदगी हो सकती है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA)तो सालों से इसकी आसार तलाश रही है। लेकिन अब तक आपने जितनी बातें सुनी होंगी, उससे भी आगे इस ग्रह के बारे में बहुत सी बातें हैं, जो बहुत दिलचस्प हैं। जैसे मंगल को रेड प्लेनेट क्यों कहते हैं? वहां की मिट्टी में ऐसी क्या खास चीज है, जिससे यह लाल नजर आता है? अजबगजब नॉलेज सीरीज के अनुसार आज जानिए मंगल की कहानी…
मंगल ग्रह के लाल दिखने के पीछे कई कारण हैं। नासा के मुताबिक, मंगल की सतह पर आयरन ऑक्साइड की मौजूदगी है। साधारण भाषा में ऐसे समझें तो जैसे धरती पर लोहे की वस्तुएं ऑक्सीजन और नमी के संपर्क में आने पर जंग खा जाती हैं, ठीक उसी तरह मंगल की मिट्टी में उपस्थित लौह खनिज में जंग लग गया है, जिसकी वजह से यह लाल नजर आती है। मंगल ग्रह पर चक्रवाती धूल भरी आंधियां चलती हैं। जब सूर्य का प्रकाश इनकी ओर आता है तो लाल रंग और चोखा हो जाता है। यहां ज्वालामुखी बहुत बड़े बड़े हैं, बहुत पुराने हैं और समझा जाता है कि निष्क्रिय हैं। मंगल पर जो खाई है वो धरती की सबसे बड़ी खाई से भी बहुत बड़ी है।
आकार में एस्पिरीन टैबलेट से भी छोटा
अब इसकी साइज की बात। यदि मान लीजिए की सूर्य एक दरवाजे जितना बड़ा है तो धरती एक सिक्के की तरह होगी। मंगल तो एक एस्पिरीन टैबलेट से भी छोटा होगा। उसका एक दिन 24 घंटे से थोड़ा ज्यादा का होता है। मंगल का एक वर्ष धरती के 23 महीने के बराबर होगा। यहां पानी बर्फ के रूप में उपस्थित है। इसके प्रमाण भी मिल चुके हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि करीब साढ़े तीन अरब वर्ष पहले मंगल ग्रह पर विशाल बाढ़ आई थी। इसी वजह से ऐसा हुआ होगा।
मंगल पर गुरुत्वाकर्षण धरती का एक तिहाई
सबसे महत्वपूर्ण बात। मंगल पर गुरुत्वाकर्षण धरती का एक तिहाई है। यानी यदि कोई चट्टान या आदमी वहां गिरे तो धरती के मुकाबले वह काफी धीमी रफ्तार से गिरेगा। वहां आदमी का वजन भी कम महसूस होगा। जैसे कोई व्यक्ति धरती पर यदि 45 किलो का है तो मंगल पर उसका वजन केवल 16 किलो का होगा। एक और खास बात, धरती की तुलना में वहां का वायुमंडल कार्बन डाईऑक्साइड से बना है और काफी कमजोर है। मंगल के दो चंद्रमा हैं। इनके नाम फोबोस और डेमोस हैं। फोबोस डेमोस से थोड़ा बड़ा है। नासा के मुताबिक, फोबोस मंगल की सतह से केवल 6 हजार किलोमीटर ऊपर परिक्रमा करता है। यह हर 100 वर्ष में 1.8 मीटर मंगल की ओर झुक रहा है। ऐसे में संभावना व्यक्त किया जा रहा कि 5 करोड़ वर्ष में फोबोस की मंगल से टक्कर होगी और वह मंगल को चारों ओर से घेर लेगा।