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अमेरिकी अंतर‍िक्ष एजेंसी NASA समेत कई देशों ने नए स्‍पेस मिशन का किया ऐलान

Chandrayaan-3 की सफल उड़ान के बाद पूरी दुनिया एक बार फ‍िर चांद पर जाने के लिए उतावली नजर आ रही अमेरिकी अंतर‍िक्ष एजेंसी नासा समेत कई राष्ट्रों ने नए स्‍पेस मिशन का घोषणा कर दिया है बहुत-सी कंपनियों ने तो मंगल ग्रह पर इंसानों को बसाने की योजना भी तैयार कर ली है यदि आप सोच रहे होंगे कि सभी कंपन‍ियां अमेरिका-रूस की होंगी तो आप ठीक नहीं हैं इनमें से कई कंपन‍ियां आपको यूरोप के एक छोटे से मुल्‍क लक्ज़मबर्ग में मिल जाएंगी एक ऐसा मुल्‍क जो सालों से अंतर‍िक्ष में महाशक्‍त‍ियों को चुनौती दे रहा है यहां स्‍पेस के लिए खास कानून बनाए गए हैं आर्थिक सहायता दी जाती है यही वजह है कि पूरी दुनिया से स्‍पेस एजेंसियां इस मुल्‍क में आकर काम कर रही हैं यहां तक क‍ि हिंदुस्तान को भी यह राष्ट्र अंतर‍िक्ष में सहायता कर रहा है

लक्ज़मबर्ग दुनिया की कई स्‍पेस कंपन‍ियों का ठिकाना है बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां काम कर रही कंपन‍ियां केवल चांद पर इंसानों को बसाने तक सीमित नहीं है बल्कि वो तो चांद की खदानों से दुर्लभ खनिज निकालने के मिशन पर लगी हुई हैं आईस्पेस जैसी कंपन‍ियां तो वहां इंडस्‍ट्री लगाने के बारे में भी सोच रही है कंपनी के सीईओ ताकेशी हाकामाडा ने कुछ दिनों पहले बोला था, जल्‍द हम चांद से सामान ढोकर लाने की अपनी क्षमता दुनिया को दिखाएंगे

10 से ज्‍यादा कंपन‍ियां रजिस्‍टर्ड
आप जानकर दंग होंगे कि लक्ज़मबर्ग की जनसंख्या महज 6.4 लाख है लेकिन यहां स्‍पेस में काम करने वाली 10 से ज्‍यादा कंपन‍ियां रजिस्‍टर्ड हैं यह अंतरिक्ष में खनन के क्षेत्र में कारोबार करने की प्रयास कर रही हैं आख‍िर ऐसा कैसे हुआ? तो बता दें कि लक्ज़मबर्ग दुनिया के उन चुनिंदा राष्ट्रों में शामिल है, जिसके पास स्पेस रिसोर्स लॉ यानी खगोलीय संसाधन कानून है यह अमेरिका के बाद दूसरा राष्ट्र है जो अंतर‍िक्ष में संसाधनों की खोज को कानूनी तौर पर ठीक मानता है गवर्नमेंट ने 20 करोड़ यूरो का एक फंड बनाया है, जिसके जर‍िए स्पेस रिसर्च का काम कर रही कंपनियों को सहायता दी जाती है पैसे की कमी नहीं आने दी जाती अंतरिक्ष में कारोबार करने वाली कंपनियों को काफी टैक्स छूट भी दी जाती है

अमेरिकी कंपन‍ियां भी यहां बना रहीं ठिकाना
अमेरिका की भी कई कंपन‍ियां यहां अपना मुख्‍यालय बना रही हैं डीप स्पेस इंडस्ट्रीज (डीएसआई) और प्लैनेटरी रिसोर्सेज पहले ही इसका घोषणा कर चुकी है गवर्नमेंट ispace नाम की एक जापानी कंपनी और Blue Horizon नाम की एक जर्मन कंपनी के साथ भी काम कर रही है इन कंपनियों का मकसद केवल चांद पर खनन नहीं, बल्‍क‍ि चांद और धरती के बीच चक्‍कर लगा रहे उल्‍कापिंडों में दुर्लभ खनिज की तलाश भी करनी है नवंबर 2020 में हिंदुस्तान ने भी लक्जमबर्ग (Luxembourg)के साथ साइंस और स्‍पेस क्षेत्र में विशेष करार किया कुछ दिनों पहले भारतीय अंतर‍िक्ष एजेंसी इसरो ने लक्‍जमबर्ग के चार सेटेलाइट्स लॉन्च किए थे हिंदुस्तान और लक्ज़मबर्ग के बीच सैटेलाइट प्रसारण और संचार के क्षेत्र में एक सतत अंतरिक्ष योगदान है

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