बिहार

24 साल बाद आदिवासियों ने भयमुक्त हो किया मताधिकार का प्रयोग

जमुई जिले का एक ऐसा पहला गांव है जहां 24 वर्ष बाद मतदाता भय मुक्त होकर अपने घरों से मतदान करने के लिए बाहर निकले है. बता दें कि अति नक्सल प्रभावित खैरा प्रखंड क्षेत्र के गोली पंचायत पूरी तरह से नक्सल प्रभावित क्षेत्र माना जाता है. 2000 के बाद इस क्षेत्र मैं उग्रवादियों की गतिविधि काफी बढ़ गई थी. उग्रवादी क्षेत्र में पहुंचने वाले सुरक्षा बलों के अतिरिक्त क्षेत्रीय लोगों को भी अपना टारगेट करने लगे थे. जिससे इस क्षेत्र में रहने वाले खासकर आदिवासी वर्ग के लोग काफी परेशान थे. कभी पुलिस तो कभी उग्रवादियों का दंस उन्हें झेलना पड़ता था. 2000 के बाद इन लोगों में 24 वर्ष बाद पहली बार 19 अप्रैल 2024 को भयमुक्त होकर मतदान किया है. इसको लेकर गोली पंचायत के बोझायत मतदान केंद्र संख्या 300 और 302 पर बड़े पैमाने पर मतदाताओं की लंबी लाइन शुक्रवार की सुबह से ही देखने को मिली. वहीं नाम नहीं छापने पर वृद्ध और युवाओं ने कहा कि वह 24 वर्ष बाद मतदान करने अपने बूथ पर पहुंचे है. साथ ही कहा कि 24 वर्ष के बाद वह पहली बार आज भयमुक्त होकर मतदान केंद्र पर पहुंचे हैं. साथ ही बोला कि ऐसा नहीं कि वह केवल गोली गांव ही इसकी चपेट में है. उक्त पंचायत के कई गांव के लोग मतदान के दिन अपने घरों में रहने को विवश हो जाते थे और उग्रवादी पोस्टर और धमकी देकर उसे मतदान का बहिष्कार करने का भी दबाव बनाता था. जिस कारण वह मतदान नहीं कर पाते थे. लेकिन 24 वर्ष बाद वह पहली बार मतदान करने अपने बूथ पर पहुंचे है. वहीं सुरक्षा में उपस्थित केंद्रीय सुरक्षा बल ने बोला कि चप्पे- चप्पे पर सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है. ताकि मतदाता भय मुक्त होकर अपने मताधिकार का प्रयोग कर सके. जबकि डीएम राकेश कुमार ने कहा कि जिले के नक्सल प्रभावित इलाकों में विशेष व्यवस्थाएं की गई थी. लगातार जागरूकता अभियान भी चलाया गया था. जिसका नतीजा है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र में वोट फीसदी भी बढ़ी है. जबकि एसपी शौर्य सुमन ने कहा कि लगातार केंद्रीय सुरक्षा बलों के द्वारा नक्सल प्रभावित क्षेत्र में उग्रवादियों के विरुद्ध सख्ति से कार्रवाई की गई थी. जिसका नतीजा यह निकला कि कई उग्रवादी मारे गए तो कई हाडर्कोर उग्रवादी सेरेण्डर कर दिया. लगातार उग्रवादियों के विरुद्ध की जा रही कार्रवाई से लोगों का भरोसा पुलिस पर हुआ. यही कारण है कि चुनाव में बड़े पैमाने पर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में वोटिंग हुई.

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