4 साल की प्राइवेट नौकरी, अब मिली UPSC में सफलता
बेतिया। बिहार के पश्चिम चम्पारण के नरकटियागंज कस्बा के वार्ड संख्या-3 निवासी सेवानिवृत शिक्षक मोहम्मद रिजवनुल्लाह के बेटे शहंशाह सिद्दिकी ने यूपीएससी 2023 की परीक्षा में कामयाबी पाई है। अब शहंशाह सिद्दीकी सिविल सेवक बन राष्ट्र की सेवा करना चाहते हैं। पत्रकारिता को छोड़कर शहंशाह ने अपने छठे कोशिश में राष्ट्र की सबसे मुश्किल परीक्षा को पास किया। यूपीएससी ने जब मंगलवार को फाइनल परिणाम जारी किया तो शहंशाह के घर में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। शहंशाह एवं उसके परिवार वालों के आंखों में खुशी के आंसू निकल पड़े। अव्वल परीक्षार्थियों की सूची में शहंशाह भी शामिल था। उन्हें 762वां रैंक हासिल हुई है। शहंशाह के पिता रिटायर शिक्षक हैं और उनकी मां शबरून नेशा गृहिणी हैं। अपनी इस सफलता का श्रेय शहंशाह ने अपने माता-पिता, भाई शाहनवाज रिजवान और अपने गुरुजनों को दिया है। शहंशाह ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई नगर के ही प्लस टू उच्च विद्यालय से किया। इंटर तक की पढ़ाई उन्होंने टीपी वर्मा कॉलेज से किया। उसके बाद दिल्ली चले गए।
पढ़ाई के
साथ पत्रकारिता में रखते थे दिलचस्पीशहशांह सिद्दीकी ने कहा कि उन्होंने चेन्नई के विनायक मिशन यूनिवर्सिटी से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। इसके बाद वह पत्रकारिता जगत से जुड़ गए। उन्होंने एक न्यूज नेटवर्क में टीवी पत्रकारिता के क्षेत्र में चार वर्ष तक काम किया। शहंशाह तीन भाई हैं। उनके बड़े भाई शहनवाज रिजवान समाजिक कार्यकर्ता हैं जबकि छोटा भाई आजाद पढ़ाई कर रहा है। वहीं सबसे छोटी बहन खालिदा यास्मीन भी पढ़ाई कर रही हैं।
शहंशाह ने यूपीएससी में बाजी मारी तो उनके घर पर शुभकामना देने वालों की भीड़ लग गई। कॉलेज के प्राचार्य डा। लक्ष्मीकांत राय, प्लस टू उच्च विद्यालय के डा। अरविंद तिवारी, शिक्षक संध के भोट चतुर्वेदी, अवधेश तिवारी समेत नगर के शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों ने उन्हें शुभकामना दी। शहंशाह के पिता मोहम्मद रिजवानुल्लाह ने बेटे की सफलता को शहर की सफलता बताया।
शहंशाह ने कहा, ‘समाज में, राष्ट्र-निर्माण में और समाज के निचले पायदान पर खड़े लोगों की सेवा के लिए काम करूंगा। अभी तो यह यात्रा की आरंभ है। आगे भी कुछ लक्ष्य हैं, जिन्हें पूरा करने की प्रयास करूंगा। यह मेरा अंतिम कोशिश था लेकिन गंभीरता के साथ पहला कोशिश था।’