89 के दंगा में लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार की राजनीति को मिली संजीवनी
भागलपुर में 1989 में हिंदू-मुस्लिम दंगा हुआ. इस दंगे ने बिहार की पूरी राजनीति को बदलकर रख दिया. यह 1947 के बाद बिहार के इतिहास का सबसे बड़ा दंगा था. उस समय बिहार में कांग्रेस पार्टी की गवर्नमेंट थी.
बिहार के सीएम सत्येन्द्र नारायण सिंह थे. लोगों को शांत करने तत्कालीन पीएम राजीव गांधी यहां आए थे. उन्हें लोगों का आक्रोश झेलना पड़ा था. बिहार में लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार की राजनीति को यहां से जैसे संजीवनी मिल गई थी.
लालू प्रसाद माई समीकरण का कॉन्सेप्ट ले आए और उसके जरिए सालों बिहार पर राज किया. लालू प्रसाद यादव की गवर्नमेंट 90 में बन गई थी. अब सालों बाद भागलपुर में कांग्रेस पार्टी की तरफ से कोई सवर्ण उम्मीदवार लोकसभा चुनाव के मैदान में है. भागवत झा आजाद के बाद अजीत शर्मा.
भागलपुर कारावास में 31 विचाराधीन कैदियों की आंख फोड़ दी गई थी. वह दौर 78 का था. प्रकाश झा ने इस पर ‘गंगाजल’ फिल्म बनाई थी.
भागलपुर के कांग्रेस पार्टी विधायक अजीत शर्मा की ताकत यह है कि वे महागठबंधन के प्रत्याशी हैं. इस लिहाज से लालू प्रसाद के माई समीकरण का लाभ उन्हें मिल सकता है. स्वयं भूमिहार हैं, इसलिए भाजपा के भूमिहार वोट में सेंध लगा सकते हैं.
दूसरी तरफ जेडीयू के प्रत्याशी हैं, सीटिंग एमपी अजय मंडल. अजय मंडल की ताकत भागलपुर लोकसभा में सबसे अधिक वोट बैंक वाली गंगोता जाति है. वह इसी जाति से आते हैं. उनके साथ नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की ताकत भी है. इसलिए सवर्ण के साथ ही वैश्य वोट भी उनको मिल सकता है. हालांकि वैश्यों में अजय मंडल के प्रति एंटी इनकंबैंसिंग है, लेकिन राम मंदिर और मोदी फैक्टर इस डैमेज को कंट्रोल कर रहे हैं.
89 के दंगे को शहर जैसे सियासी रूप से भूल चुका है. इसलिए इसकी वजह से कांग्रेस पार्टी यहां कमजोर नहीं. दंगे के बाद लालू प्रसाद सत्ता में आए थे कांग्रेस पार्टी के खिलाफ, अब कांग्रेस-लालू साथ हैं.
डॉ। विष्णु किशोर झा बेचन भागलपुर को ‘भागता हुआ शहर’ कहते थे. यह क्षेत्र जगदीशपुर के चावल की महक वाला है और बिहुला विषहरी की कथा बताती है कि अन्याय के प्रतिकार की ताकत अंग रखता है. भागलपुर का सिल्क मशहूर है, जगदीशपुर का अरवा चावल और कहलगांव की मिठाई रसकदम का जोड़ नहीं. लोक कला मंजूषा अंतरराष्ट्रीय पहचान के लिए संघर्ष कर रही है.
अजीत शर्मा की बेटी नेहा शर्मा फिल्म अभिनेता हैं. वह पिता के लिए चुनाव प्रचार करेंगी. साथ ही राहुल गांधी जैसे कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता का भागलपुर दौरा 20 अप्रैल को होना है. इससे अजीत शर्मा की ताकत बढ़ेगी.
दूसरी तरफ जब भागलपुर सीट महागठबंधन के अंदर कांग्रेस पार्टी के पास चली गई और आरजेडी से 2014 में सांसद रहे बुलो मंडल को टिकट नहीं मिला तो उन्होंने बगावत का झंडा उठा लिया है. एनडीए में भी सीट जेडीयू को चली गई.
अब जब चुनाव सामने है तो बुलो मंडल ने नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू का तीर थाम लिया है. भागलपुर लोकसभा क्षेत्र में कुशवाहा समाज में भी एनडीए के प्रति आक्रोश है. वैश्यों और दलितों के वोट पर सभी की नजर है. यह वोट बैंक जीत-हार को तय करेगा.
प्रोफेसर योगेंद्र कहते हैं कि भागलपुर में क्लीन स्वीप का मुद्दा नहीं है, भिड़न्त जबरदस्त है. खास कर कांग्रेस पार्टी प्रत्याशी की जाति के ज्यादातर लोग भाजपा के वोटर हैं, लेकिन उनके खड़े होने से वह वोट अजीत शर्मा को पड़ने वाला है.
मुसलमानों की जनसंख्या यहां अच्छी है यह तीन-साढे़ तीन लाख है, और यादव बिरादरी का वोट पड़ेगा. पैसे के मुद्दे में भी अजीत शर्मा मजबूत उम्मीदवार हैं.
योगेंद्र कहते हैं- अजय मंडल के पास उनकी जाति के वोट हैं, वैश्यों के वोट हैं और भाजपा ओरिएंटेडेट वोट हैं. पिछली बार की तरह सरल नहीं है चुनाव. इस बार पुलवामा जैसा मामला नहीं है, राम मंदिर भी मामला नहीं रह गया है. यहां के सांसद अजय मंडल ने यहां का कोई प्रश्न ठीक से नहीं उठाया. विक्रमशिला यूनिवर्सिटी का मुद्दा हो, रेल मंडल यहां से चला गया, आयुर्वेदिक महाविद्यालय का मामला भी है.
डॉ। योगेंद्र के मुताबिक, अजीत शर्मा से भी लोगों को बहुत आशा नहीं है कि वे आएंगे तो बहुत कुछ कर पाएंगे. अजीत शर्मा कई बार भागलपुर के विधायक रहे, अजय मंडल कहलगांव के तीन बार विधायक रहे, सांसद रहे. तो दोनों लगातार राजनीति में हैं. लोग ऊपर की तरफ देख रहे हैं. समाज अनार की तरह बंटा हुआ है. जाति, संप्रदाय ही उभरा हुआ है.
चित्रशाला स्टूडियो में एक जमाने में नागार्जुन से लेकर रेणु आदि की बैठकी हुआ करती थी. यहां लेखक और आर्टिस्ट रंजन कुमार से हमने बात की. वे कहते हैं कि भागलपुर में जाति अधिक असर नहीं करता है.
विधानसभा में वोट सीएम को देखकर और लोकसभा में लोग पीएम को देखकर करते हैं. इस बार अलग बात यह है कि तेजस्वी की तरफ आकर्षण दिख रहा है, नीतीश कुमार ने अपनी इमेज खो दी है. इसलिए अजीत शर्मा कड़ी भिड़न्त देंगे.
अंगिका के चर्चित लेखक डाक्टर अमरेन्द्र कहते हैं कि पढ़े-लिखे वर्ग में काफी आक्रोश है. खास तौर से मैं शिक्षकों की बात कर रहा हूं. उनकी आंतरिक परेशानियों पर गवर्नमेंट का ध्यान ही नहीं जा रहा है. खास तौर से स्त्री शिक्षकों की परेशानियां चुनाव को प्रभावित कर सकती हैं.
इससे अलग इस क्षेत्र की लोक भाषा अंगिका को गवर्नमेंट ने काफी उपेक्षित किया. नीतीश कुमार ने अंगिका अकादमी बनाई लेकिन अकादमी निष्क्रिय है.
शिक्षकों की बहाली में अंगिका शिक्षक की बहाली नहीं हुई. जिस तरह से यहां के लोग, संस्कृति कर्मी जुड़ गए हैं इसका असर पड़ेगा. अंगिका को अष्टम अनुसूची में आज तक स्थान नहीं मिला इसका आक्रोश लोगों में हो. यह जाति से ऊपर की बात है.
वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र प्रसाद कहते हैं कि बड़ा मामला रोजगार का, जॉब का, महंगाई का है, जो राष्ट्र के स्तर पर है वह भागलपुर में भी है. लेकिन क्षेत्रीय स्तर पर आक्रोश सीटिंग एमपी के प्रति है. जनसंपर्क को उन्होंने कभी महत्व नहीं दिया. पूरे राष्ट्र में स्मार्ट सिटी की बात हो रही है, लेकिन बोर्ड लगा देने से भागलपुर स्मार्ट सिटी नहीं बन जाएगा.
बिजली मीटर की स्थिति यह है कि आप खांसिएगा तो भी यूनिट उठा लेगा. इसको लेकर मुसलमान इलाकों में तो काफी आक्रोश है. अजय मंडल के लिए कठिन है. गंगोता वोट बैंक के उत्तर में यादव का वोट है.
शंभू दयाल खेतान कहते हैं कि भागलपुर में भूमिहार, बीजेपी माइंडेड हैं. लेकिन इस पर 80 प्रतिशत भूमिहार कांग्रेस पार्टी को वोट कर दें तो ताज्जुब की बात नहीं होगी. 72 हजार भूमिहार यहां हैं. यादव और मुसलमान यहां काफी है. अन्य जातियों में बनिया और दलित हैं.
इसलिए बनिया और दलित का वोट जीत हार को डिसाइट करेगा. बनिया वर्ग सांसद अजय मंडल से क्षुब्ध हैं. राम मंदिर की इनर हवा काफी पॉजिटिव है यह नहीं दिख रही है. यह वोट में बदल जाएगा तो सारे कयास फेल हो जाएंगे.
टुनटुन साह कहते हैं कि भागलपुर से पिछली बार भी एनडीए प्रत्याशी जीते थे वे फिर जीतेंगे. अभी डबल इंजन की गवर्नमेंट है वैश्य-बनिया का वोट एनडीए को मिलेगा. अजय मंडल आसान स्वभाव के हैं, कभी भी मिल जाते हैं.
सहारा में काफी बुनकरों का रुपया डूब गया
भागलपुर के बुनकरों में काफी आक्रोश है. मुस्लिम बुनकर महागठबंधन को वोट करने जा रहे हैं और हिंदू बुनकर एनडीए को. नाथनगर के तांती टोला में सड़क से गुजरते हुए हर घर से करघा चलने की आवाज सुनाई देती रही.
करघा पर कपड़ा तैयार कर रहे संजय लाल से हमने बात की. वे कहते हैं कि लोकसभा के चुनाव के बाद कोई उम्मीदवार ध्यान नहीं देता है. बाद में तो पहचानेगा नहीं. बुनकर श्रमिकों को ठीक मजदूरी नहीं मिलती है. धागा समय पर नहीं मिलता है.
माल जाता है पर समय पर पैसा नहीं मिलता. GST ने तो कमर ही तोड़ दी है. कहते हैं कि हम तो किसी पार्टी को वोट नहीं देंगे. हमको मालूम है कि हम वोट दें कि नहीं दें प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ही रहेंगे, यह पक्का है.
हम तो कहते हैं कि कोई जनता किसी को वोट नहीं दे. कांग्रेस, भाजपा के कोस कर सत्ता में आई और वह भी वही कर रही है. सहारा इण्डिया में हजारों बुनकरों का पैसा डूब गया.
मार्च में घोषणा की कि 45 दिन में पैसा वापस आएगा, पर नहीं आया. मेरा आठ लाख रुपया फंसा है. कोई बुनकर परिवार नहीं है जिसका पैसा सहारा इण्डिया में नहीं फंसा हुआ हो.
दयालु कुमार महाराणा कहते हैं कि घर-घर करघा चल रहा है, लेकिन चुनाव की वजह से तीन-चार माह से माल आ-जा नहीं रहा है. मजदूर बहुत कठिनाई में हैं. भागलपुर के कारीगर हरियाणा आदि प्रदेशों से सिल्क का धागा लाते हैं और कपड़ा बनते हैं.
रेशम का धागा भागलपुर में तैयार नहीं होता है. वे कहते हैं कि वोट होना चाहिए विकास पर प्रारम्भ से जात पर वोट पड़ता रहा है. तांती मोहल्ला तो भाजपा का गढ़ है. कैंडिडेट बढ़िया नहीं मिलता है फिर भी लोग भाजपा को वोट करते हैं.
सिल्क उद्योग के बाद हम भागलपुर के जगदीशपुर पहुंचे, यहां का कतरनी चावल मशहूर है. जगदीशपुर में कई मिलें हैं जहां चावल तैयार होता है. राजकुमार पंजियारा, भागलपुरी कतरनी उत्पादन संघ के सचिव हैं. चार लोग मिलकर एक फैक्ट्री चलाते हैं. इसमें कई तरह के चावल तैयार किए जाते हैं. वे कहते हैं कि जगदीशपुर के कतरनी चावल का उत्पादन हो रहा है पर इसका ठीक दर नहीं मिल पा रहा है. इसकी मार्केटिंग नहीं हो पा रही है.
मार्केटिंग और विज्ञापन में गवर्नमेंट को सहायता करनी चाहिए. हम स्वयं 20 एकड़ जमीन में धान उत्पादन करते हैं. इसमें खाद अधिक लगता नहीं है. उपज रेट काफी कम है. अन्य से पचास प्रतिशत कम. जीआई टैग मिलने से यह हुआ कि इंटरनेशनल पहचान मिली. चावल प्लांट लगाने में गवर्नमेंट सब्सिडी दे रही है, इससे काफी राहत है.
मोदी को देखकर वोट करेंगे
अमरपुर के अमर प्रसाद मंडल कहते हैं कि लोग वोट जेडीयू के प्रत्याशी अजय मंडल को देख कर थोड़े ना करेंगे, लोग प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी को देखकर वोट करेंगे. जात-पात पर वोट नहीं पड़ेगा. वैश्य लोग पहले भी भाजपा को वोट करते रहे हैं.
हम लोग गुमराह हो रहे हैं, कहीं नोटा में वोट न गिरा दें
जगदीशपुर के चांदपुर में कुछ बुजुर्ग लोग बैठकी जमाए हुए हैं. हमें गांव में देखा तो कुछ युवा भी पहुंच गए. यह क्षेत्र चानन नदी किनारे का है. इस नदी की पहचान चंपा नदी के रुप में भी होती है. एक आदमी ने बोला कि हम लोग न तो जात पर न विकास पर जा रहे हैं, नेता ऐसा चाहिए जो हम लोग का दुख-सुख देखे. हमारे पीएम ऐसे ही नेता हैं. कांग्रेस पार्टी ने 40 वर्ष राज कर किया पर क्या किया? नरेन्द्र मोदी हर आदमी को पांच किलो अनाज दे रहे हैं.
प्रभाष कुमार पासवान कहते हैं कि नल-जल योजना सफल नहीं है. पाइप बिछा दिया पर पानी का साधन नहीं है. सरकारी चापाकल भी खराब है. एमपी तो कभी आए ही नहीं देखने.
मुनेश्वर पासवान कहते हैं कि पानी रुकावट के लिए व्यवस्था होना चाहिए. इससे कुंआ में पानी का लेयर ऊपर आएगा. उपज भी ठीक होगी. कैंडिडेट अच्छा नहीं है इसलिए हम लोग गुमराह हो रहे हैं. पांच किलो अनाज में चार किलो ही देता है. डीलर पर्ची देता ही नहीं है. कुछ नहीं समझ आएगा तो नोटा में वोट गिरा देंगे.
अजीत कुमार कहते हैं कि हम लोग युवा है. लेकिन हमें रोजगार नहीं मिल रहा है. पढ़ा-लिखा युवा रिक्शा चला रहा है. इस बार तेजस्वी को देखते हैं. अरिवंद दास कहते हैं कि युवा के लिए गवर्नमेंट कुछ नहीं कर रही है. रोजगार दे. पढ़ लिख कर हम बैठे हैं कोई सुनवाई नहीं है.
हम लोग इसी तरह फ्लाई एश की धूल फांकते रहेंगे क्या?
जगदीशपुर से हम कहलगांव की तरफ बढ़े. यहां के लोग एनटीपीएसी के फ्लाई एश से काफी परेशान हैं. लोगों की नाक में दम है. भागलपुर से कहलगांव, पीरपैंती जाने वाली सड़क की हालत पिछले 15-20 वर्ष से बदतर है. अब यहां फोर लेन बन रहा है. कहलगांव रेलवे स्टेशन के बाहर सड़क में गड्ढे दिखे.
यहां विनोद कुमार ने हमसे तपाक से पूछा हम लोग इसी तरह धूल फांकते रहेंगे क्या ? हमने निकट आकर उनसे दर्द पूछा. उन्होंने बोला कि एनटीपीसी की वजह से जो लोग 100 वर्ष जी सकते हैं वे 50 वर्ष में ही समाप्त हो जाएंगे. सुबह से शाम तक हम लोग गर्दा खाते रहते हैं. पानी का छिड़काव केवल एक-दो बार जनता को दिखाने के लिए किया जाता है. इसलिए विकास पर वोट पड़ेगा.
राख खेत बर्बाद कर रही, घर के खाने तक पहुंच जाती है-किसान
हम उस फ्लाई एश के पहाड़नुमा टीले पर पहुंचे जहां भारी मात्रा में फ्लाई एश पड़ा है. मशीन से पानी का नियमित छिड़काव तो हो रहा है पर तेज हवा से ये पूरे कहलगांव में फैलते रहते हैं.
राख के इस्तेमाल का मैनेजमेंट ठीक नहीं
प्रोफेसर पवन कुमार सिंह ने फ्लाई एश के प्रश्न पर काफी लड़ाई लड़ी. वे नागरिक संघर्ष मोर्चा के संयोजक हैं. वे फ्लाई एश से लोगों की कठिनाई को विस्तार से समझाते हैं. एनटीपीसी में कोयले से बिजली तैयार की जाती है. इससे दो तरह के राख निकलते हैं. एक का नाम बॉटम एश है और दूसरे का फ्लाई एश. बॉटम एश मोटा होता है और यह नीचे बैठ जाता है, लेकिन फ्लाई एश उड़ता रहता है.
एनटीपीसी कहलगांव से 40 हजार टन से अधिक राख रोज बनती है. जब एनटीपीसी प्रारम्भ हुआ था तब लोगों को नौकरियां भी मिली थीं लेकिन अब यहां ठेकेदारी प्रथा आ गई. क्षेत्रीय लोगों को रोजगार मिलना बंद हो गया. संविदा पर काम कराए जा रहे हैं.
पवन कुमार सिंह कहते हैं कि भागलपुर, मुंगेर जैसे इलाकों का विकास नहीं हुआ. कहलगावं, पीरपैंती की वही स्थिति है. बिजली है, सड़क ठीक नहीं है. कहलगांव से पटना छह घंटे में पहुंचने की गारंटी नहीं है. मार्च 2015 से केन्द्र गवर्नमेंट ने कहलगांव, विक्रमशिला खुदाई स्थल के पास केन्द्रीय यूनिवर्सिटी की स्थापना के लिए राशि दी, पर नौ- दस वर्ष में भी गवर्नमेंट जमीन मौजूद नहीं करवा सकी राज्य सरकार.
व्यवसायी मुखर रूप से नहीं बताएंगे कि वोट किसको करेंगे
बिहपुर में हमारी मुलाकात उमेश पोद्दार से हुई. वे कहते हैं कि वैश्य समाज स्थिर समाज है. ये समाज सुरक्षा चाहता है. वैश्य समाज एनडीए को योगदान करता रहा है. व्यवसायी लोग मुखर रूप से यह नहीं बताएंगे कि वे किसको वोट करेंगे. लेकिन अंदर से इन्होंने मन बनाया हुआ है कि किसको वोट करना है.
सभी बड़ी सड़कों का कायाकल्प हो रहा है- अजय मंडल, प्रत्याशी NDA
भागलपुर के सांसद अजय मंडल कहते हैं कि भागलपुर की जनता जाति पर वोट नहीं करती है. वह अच्छा सेवक चुनती है. आप क्षेत्र में कम जाते हैं यह इल्जाम आम लोगों का है , इससे लोगों में काफी नाराजगी है ऐसा क्यों? इस प्रश्न पर अजय मंडल कहते हैं कि ऐसा नहीं है.
विरोधियों को हम नहीं दिखते हैं, न मेरा काम दिखता है. भोला नाथ पुल की सालों पुरानी परेशानी दूर हो रही है.18 माह के अंदर यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा. चुनाव में कोई भिड़न्त ही नहीं है. जनता को सच्चा, निष्ठावान सेवक चाहिए. सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल यहां बनेगा. एम्स यहां आएगा.