बिहार

बिहार में 272 फर्जी लाभुकों के नाम पर 30 लाख 48 हजार घोटाले का मामला आया सामने

बिहार के कैमूर जिला के भभुआ प्रखंड में शौचालय निर्माण योजना के अनुसार 272 फर्जी लाभुकों के नाम पर 30 लाख 48 हजार के घोटाले का मुद्दा सामने आया है मुद्दे में एक तरफ बीडीओ द्वारा चार सरकारी कर्मियों पर सरकारी राशि हड़पने की प्राथमिकी दर्ज करायी गयी वहीं, दूसरी तरफ जांच टीम ने इस घोटाले में हाथ बंटाने को लेकर बीडीओ भभुआ को भी लपेट लिया है मुद्दे में रुपये गबन समेत कार्यों में ढिलाई के इल्जाम में बीडीओ को सस्पेंड कर दिया गया है ग्रामीण विकास विभाग के सचिव डॉ एन सरवन कुमार ने बुधवार को इस संबंध में आदेश जारी किया है

इस वजह से बीडीओ किए गए सस्पेंड

मनोज कुमार के विरुद्ध भभुआ के डीएम ने शांति समिति की बैठक में शामिल नहीं होने, जाति आधारित गणना की बैठक में अनुपस्थित रहने, शौचालय कार्य में ढिलाई बरतने वाले दोषियों पर कार्रवाई नहीं करने का इल्जाम लगाया था साथ ही लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान में 30 लाख 48 हजार रुपये के गबन में संलिप्त रहने, उच्च ऑफिसरों के आदेश का उल्लंघन करने तथा पुलिस और न्यायालय पर अमर्यादित टिप्पणी का भी इल्जाम लगाया था इस इल्जाम की समीक्षा की गयी इसमें पाया गया कि बीडीओ मनोज कुमार अग्रवाल पर लगे इल्जाम गंभीर हैं और इसकी जांच की आवश्यकता है जांच के दौरान वे यदि अपने पद पर रहते हैं तो इससे कागजातों में छेड़छाड़ की आसार है इस कारण मनोज अग्रवाल को सस्पेंड करते हुए उनके विरुद्ध जांच का आदेश जारी किया गया है निलंबन अवधि तक के लिए मनोज कुमार का मुख्यालय जिला ग्रामीण विकास अभिकरण पटना निर्धारित किया गया है ग्रामीण विकास विभाग के संयुक्त सचिव नंदकिशोर साह को जांच के लिए संचालन पदाधिकारी बनाया गया है

भभुआ बीडीओ ने जिलास्तरीय टीम की जांच पर उठाये सवाल

वहीं इससे पहले बीडीओ मनोज अग्रवाल ने शौचालय भ्रष्टाचार को लेकर गठित की गयी जिलास्तरीय टीम की जांच पर ही प्रश्न उठाते हुए जांच करने वाले ऑफिसरों से दर्ज करायी गयी शौचालय भ्रष्टाचार की प्राथमिकी में पूछताछ करने के लिए पुलिस स्टेशन को पत्र लिखा था, साथ उक्त भ्रष्टाचार की जांच आर्थिक क्राइम इकाई या नज़र से कराने की मांग की थी

273 लाभुकों के नाम पर फर्जी भुगतान

गौरतलब है कि भभुआ प्रखंड में 273 लाभुकों के नाम पर किये गये शौचालय निर्माण भुगतान को फर्जी करार देते हुए भभुआ बीडीओ द्वारा बीते दिनों सदर पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी उसमें फर्जी भुगतान किये जाने के मुद्दे में प्रखंड के कार्यपालक सहायक नीतीश कुमार, तत्कालीन जिला समन्वयक हेमंत कुमार, तत्कालीन जिला सलाहकार यशवंत कुमार सहित डीआरडीए के कार्यपालक सहायक पंकज कुमार को आरोपित बनाया गया था

जिलास्तरीय जांच टीम ने बीडीओ भभुआ को ठहराया जिम्मेदार

जबकि, इस मुद्दे में जिला स्तर पर डीआरडीए निदेशक पम्मी रानी की अध्यक्षता में गठित की गयी टीम ने शौचालय के फर्जी भुगतान में बीडीओ भभुआ को भी उत्तरदायी ठहराते हुए अन्य चार को गुनेहगार बता जिला पदाधिकारी को अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी थी इस आलोक में डीएम ने भभुआ बीडीओ के विरुद्ध प्रपत्र क गठित करने को ले एसडीएम भभुआ को निर्देश देते हुए जिला जांच टीम द्वारा गुनेहगार पाये गये कार्यपालक सहायक नीतीश कुमार तथा पवन कुमार चौबे और प्रखंड समन्वयक अनिल कुमार राम की सेवा खत्म करने का आदेश जारी कर दिया था साथ ही तत्कालीन जिला समन्वयक हेमंत कुमार पर भी कार्रवाई के लिए विभाग को पत्र भेजने का निर्देश दिया गया था

बीडीओ ने डीएम के साथ वरीय पदाधिकारियों को भी भेजी प्राथमिकी की प्रतिलिपि

बहरहाल, जिला स्तरीय टीम की जांच पर प्रश्न उठाते हुए बीडीओ ने सदर पुलिस स्टेशन के प्रभारी को आवेदन दिया जिसमें बोला गया कि शौचालय भुगतान में कौन लोग गुनेहगार हैं, इसे सब जानते हैं पिछले सात माह से मैं इसी शौचालय भ्रष्टाचार की जांच में लगा रहा लेकिन, पांच सदस्यीय जिला जांच टीम ने मात्र एक हफ्ते से भी कम समय में इसकी जांच कर ली और वास्तविकता के उल्टा रिपोर्ट दे दी गयी जबकि, मेरे द्वारा जिला जांच टीम को यह फर्जी भुगतान कैसे हुआ, कौन गुनेहगार है आदि हरेक पहलू पर विस्तार से जानकारी दी गयी थी मेरे द्वारा जो प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है सौ-फीसदी ठीक है आवेदन में यह भी बोला गया है कि इस घोटाले में तकनीक का दुरुपयोग करते हुए सभी चरणों में गड़बड़ी की गयी है शौचालय निर्माण की प्रक्रिया के विभिन्न चरण हैं इसमें लाभुक के एलएसबीए में आवेदन की इंट्री, आवेदन की जांच, एसबीएम में इंट्री, जिला से अप्रूवल, जियो टैगिंग, फिर जिला से अप्रूवल, आधार अपग्रेडेशन फिर पेमेंट, पेमेंट में बीडीओ के डिजिटल सिग्नेचर द्वारा भुगतान स्वाभाविक है अत: जिन पांच सदस्यों द्वारा जांच रिपोर्ट दी गयी है, उन सभी पांचों पदाधिकारियों से जरूर पूछा जाये कि उन्होंने क्या रिपोर्ट दी और किस आधार पर दी है ऐसी क्या हालात थी कि उनके द्वारा ऐसी भ्रामक रिपोर्ट डीएम और डीडीसी को दी गयी, जो बिलकुल ही सच्चाई के उल्टा है

शौचालय घोटाले ने लूट-खसोट की खोल दी पोल

भभुआ प्रखण्ड में फर्जी लाभुकों के नाम पर 30 लाख के खुलासा हुए भ्रष्टाचार ने किस तरह शौचालय बनाने के नाम पर लूट खसोट हुआ है, इसकी पोल खोल कर रख दी है उक्त खुलासा भ्रष्टाचार ने यह साबित कर दिया है कि जिला से लेकर प्रखंड स्तर तक सरकारी कर्मियों और पदाधिकारियों द्वारा एक रैकेट बनाकर गवर्नमेंट की महत्वाकांक्षी योजना की राशि का लूट खसोट की जा रही थी

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