नीतीश सरकार के विश्वास मत के दौरान विधायकों की खरीद फरोख्त मामले की अब ईडी करेगी जांच
Bihar MLA Horse Trading: बिहार में नीतीश गवर्नमेंट के विश्वास मत के दौरान विधायकों की खरीद फरोख्त मुद्दे में शामिल लोगों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. दरअसल, इस मुद्दे की जांच अब पीएमएलए एक्ट के अनुसार प्रवर्तन निदेशालय को सौंप दी गई है. प्रवर्तन निदेशालय की दिल्ली इकाई ने पूरे मुद्दे को अपने हाथो में ले लिया है. जिसके बाद आशा जताई जा रही है कि जांच एजेंसी जल्द इस मुकदमा में कोई गिरफ्तारी करेगी.
मंत्री पद लालच और 10 करोड़ रुपये दिए
जानकारी के मुताबिक बिहार में 28 जनवरी को सत्ता बदलाव हुआ था. इसके बाद 12 फरवरी को विश्वास मत के दौरान विधायकों की खरीद फरोख्त का मुद्दा सामने आया था. जदयू विधायक सुधांशु शेखर ने इस मुद्दे में एनडीए विधायकों को मंत्री पद और 10-10 करोड़ रुपये का प्रलोभन देने का इल्जाम लगाते हुए कोतवाली पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की थी. मुद्दे की जांच पुलिस की आर्थिक क्राइम इकाई को दी गई थी. अब मुकदमा प्रवर्तन निदेशालय को सौंप गया है.
EOU को ये मिले थे साक्ष्य
जानकारी के मुताबिक प्रवर्तन निदेशालय को भेजी रिपोर्ट में EOU ने इस मुद्दे में इंजीनियर सुनील द्वारा बड़ी धनराशि के लेन-देन के साक्ष्य सौंपे हैं. इसके अतिरिक्त एफआईआर में पूर्व एमएलसी सुबोध राय और उनके सहयोगियों पर भी धन शोधन का इल्जाम है. प्रवर्तन निदेशालय के पास मुकदमा आने के बाद अब इस मुद्दे की जांच में तेजी आने की आशा है. आशा है कि जांच एजेंसी जल्द इस मुकदमा में कोई गिरफ्तारी करेगी.
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पुलिस सुत्रों के मुताबिक मुद्दे में बिहार के अतिरिक्त झारखंड और नेपाल के कुछ लोगों के शामिल होने के साक्ष्य हैं. इन लोगों ने गैर कानूनी रूप से धन शोधन किया, जिसका इस्तेमाल विधायकों की खरीद-फरोख्त में किया गया. मुद्दे में दी गई कम्पलेन में इल्जाम लगाया गया था कि पार्टी विधायकों को 5 करोड़ रुपए एडवांस और 5 करोड़ रुपए बाद में देने का ऑफर दिया गया था. इसके अतिरिक्त जेडीयू विधायक की तरफ से पैसों के अतिरिक्त मंत्री पद लालच दिया गया था.