बिहार

सीमित जमीन पर मौसमी सब्जी की खेती कर किसान कमाए अच्छा मुनाफा

 सब्जी की खेती किसानों के तकदीर बदल रही है सीमित जमीन पर मौसमी सब्जी की खेती कर किसान अच्छा फायदा कमा करे हैं यही वजह है कि पारंपरिक खेती को तबज्जो न देकर किसान अब नगदी फसल पर फोकस कर रहे हैं सीतामढ़ी के किसान भी अब पारंपरिक खेती को छोड़कर कम समय में अधिक फायदा देने वाली सब्जी सहित अन्य प्रकार के फसलों की खेती करने लगे हैंसीतामढ़ी के रमनगरा गांव के रहने वाले किसान बाबूलाल सिंह भी अपने 10 कट्ठे की जमीन पर सब्जी की खेती प्रतिदिन कमाई कर रहे हैं

खास बात यह है कि बाबूलाल सिंह स्वयं से जैविक खाद भी तैयार करते हैं बाबूलाल सिंह अभी घीया, खीरा, झिमनी की खेती कर रहे हैं किसान बाबू लाल सिंह ने कहा कि सब्जी की खेती अलग हटकर करते हैं वहीं जैविक खाद बनाने के लिए विशेष तरह का फसल ढईंचा खेत में लगाते हैं उसको गलाकर गोबर के साथ जैविक खाद बनाते हैं और फसलों में उसका इस्तेमाल करते हैं उन्होंने कहा कि अभी 10 कट्ठे में घीया, खीरा, झिमनी की खेती कर रहे हैं

रासायनिक और जैविक फसल का कर रहे है इस्तेमाल
सब्जी की फल बेहतर हो इसके लिए मचान भी बनाया है जिस पर लत वाली फसल का फैलाव अधिक हो जाता है, जिससे उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी होती है उन्होंने कहा कि 4 कट्ठे की जमीन पर एक मचान बनाने में पूरे दिन का समय लग जाता है साथ हीं खेती करने के लिए रासायनिक और जैविक दोनों ही खाद का इस्तेमाल करते है अभी प्रतिदिन खेत से सब्जी निकल रहा है और बाजार में स्वयं से बिक्री कर रहे हैं

सब्जी बेचकर हर माह 50 से 60 हजार की कर रहे हैं कमाई
किसान बाबू लाल सिंह ने कहा कि सब्जी किसी व्यापारी को नहीं देते हैं बल्कि स्वयं बाजार ले जाकर बेचते हैं इससे अधिक कमाई हो जाती है प्रतिदिन बजार में सब्जी बेचकर लगभग दो हजार की कमाई कर ले रहे हैं उन्होंने कहा कि महीने में आराम से 50 से 60 हजार की बचत हो जाती है, जो छोटे स्तर के किसान के लिए बड़ी बात है उन्होनें कहा कि वर्ष में दो बार सब्जी की खेती करते हैं

जिसमें बैसाख और भादो का महीना शामिल है बैसाख में सब्जी की उपज बेहतर होता है जबकि बारिश के समय में सब्जी की खेती प्रभावित हो जाती है, जिससे फायदा घट जाता है किसान बाबू लाल सिंह ने कहा कि वैसे तो एक बीघा में सब्जी की खेती करते हैं इस बार 10 कट्ठे में हीं कर रहे हैं और अच्छी कमाई हो जा रही है

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