कल से पटना में चलने वाले सरकारी और निजी करीब 200 से अधिक डीजल बसे हो जाएंगी बंद
पटना में लोगों को जहरीली हवा से निजात दिलाने के लिए पटना नगर निगम, फुलवारी, खगौल और दानापुर नगर परिषद् क्षेत्रों में 30 सितंबर की आधी रात से सरकारी एवं प्राइवेट डीजल सिटी बसों का परिचालन पूरी तरह बंद करने की घोषणा कर दी गई है।आदेश नहीं मानने पर बसों को बरामद भी किया जाएगा।
इसके अनुसार पटना में चलने वाले सरकारी और निजी करीब 200 से अधिक डीजल बसे बंद हो जाएंगी। 1अक्टूबर से डीजल बसें ना चले इसके लिए जिला परिवहन कार्यालय की ओर से सारी तैयारियां कर ली गई हैं। यदि डीजल बसें दिखी तो कार्रवाई की जाएगी। दोबारा वहीं बस दिखने पर उसे बरामद कर लिया जाएगा।
20 फीसदी कम होगा कार्बन का उत्सर्जन
परिवाहन विभाग के इस निर्णय से डीजल इंजन बसों से हाेने वाले कार्बन का उत्सर्जन में 20 प्रतिशत कम हो जाएगा। शहर में बढ़ते वायु प्रदूषण को नियंत्रण करने के लिए 1 अक्टूबर 2023 से पटना में डीजल बसों के परिचालन पर रोक लगाने का निर्णय किया गया है।
2019 में ही लिया गया था निर्णय
बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिए डीजल कॉमर्शियल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला 2019 में ही लिया गया था। गवर्नमेंट ने डीजल गाड़ियाें के परिचालन पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया था। बाद में डीजल गाड़ियों के मालिकों की संख्या को देखते हुए इसे 31 मार्च, 2021 तक के लिए डेट बढ़ा दिया गया। इसके बाद 30 सितंबर को नयी तारीख तय की गई थी। इसके बाद 31 मार्च 2022 तक की माेहलत दी गई ताकि लाेग अपनी डीजल गाड़ियाें काे सीएनजी में कन्वर्ट करा सकें। साथ ही साथ विद्यालयों में चलने वाले डीजल बसों को भी नोटिस दिया गया था।
सीएनजी बसों और डीजल बचत में अंतर
डीजल बसाें और ऑटो से अधिक धुआं निकलता है। जबकि सीएनजी में ये परेशानी नहीं है। सीएनजी बस की मूल्य डीजल बसों से अधिक है। डीजल बसों का मेंटेनेंस अधिक है, वहीं सीएनजी बस का मेंटेनेंस डीजल बसों की अपेक्षा बहुत कम है। डीजल की अपेक्षा में सीएनजी का मूल्य काफी कम है। एक लीटर डीजल में जहां बस 5.5 किमी चलती है, वहीं एक किलाे सीएनजी से 7.5 किमी से 8 किमी चलती है। डीजल बस के मुकाबले सीएनजी बस 20 फीसदी कम कार्बन का उत्सर्जन करती है।