नौकरी करो तो सरकारी नहीं तो बेचो तरकारी,करेला से किसान पप्पू ने की डेढ़ लाख की कमाई
वैशाली: बिहार में एक कहावत ग्रामीण इलाकों में काफी प्रचलित हैं। कहावत यह है कि जॉब करो तो सरकारी नहीं तो बेचो तरकारी। इस कहावत को वैशाली जिला भीतर लालगंज के रहने वाले पप्पू सिंह ने साबित किया है। पप्पू सिंह जॉब तो हासिल नहीं कर पाए, लेकिन खेती से जुड़कर अपनी एक अलग पहचान बनाने में सफल जरूर हो गए है। पप्पू सिंह बड़े पैमाने पर करेले की खेती कर रहे हैं। करेले का स्वाद भले ही कड़वा होता है, लेकिन यही करेला पप्पू सिंह के जीवन मे मिठास घोल रहा है। खास बात यह है कि बीज बोने के महज 70 दिन के बाद ही करेला के लत से फलन प्रारम्भ हो जाता है। जिसे बाजार में बेचकर वह अच्छी कमाई कर रहे हैं।
एक एकड़ से 10 क्विंटल तक निकलता है करेला
दरअसल, लालगंज प्रखंड क्षेत्र के रउदी पोखर गांव के रहने वाले किसान पप्पू सिंह पिछले पांच वर्ष से करेला की खेती कर रहें है। किसान पप्पू सिंह ने एक एकड़ में करेला की खेती की है। पप्पू सिंह ने कहा कि इस गांव में अधिकतर लोग खेती-बाड़ी से जुड़े हुए हैं। इसमें अधिकतर लोग सब्जी की खेती करते हैं। पप्पू सिंह ने कहा कि पहले सजेंटा वैरायटी के करेला की खेती करते थे। इस बार प्रगति वैरायटी के करेला की खेती कर रहे हैं। इस वैरायटी के करेला की विशेषता यह है कि इसमें 70 दिन ही फलन प्रारम्भ हो जाता है और लगातार 3 महीने तक करेला फलते रहता है। एक एकड़ खेत से एक बार में 10 क्विंटल तक करेला निकलता है।
तीन माह में डेढ़ लाख की हुई डेढ़ लाख की
पप्पू सिंह ने कहा कि खेत से निकलने वाले करेला को क्षेत्रीय मंडी में बिक्री कर देते हैं। 3 महीने तक लगातार फलने वाले करेला से सब खर्च काट कर डेढ़ लाख से अधिक का फायदा हो जाता है। पप्पू सिंह ने कहा कि परंपरागत खेती में कुछ रह नहीं गया है। इसलिए किसान नगदी फसल के तौर पर सब्जी की खेती करें तो कम लागत में बेहतर फायदा कमा सकते हैं। पप्पू सिंह ने कहा कि जब करेला की खेती की आरंभ की थी तो एक-दो किसान ही इसकी खेती करते थे। अब आलम यह है कि रउदी पोखर गांव में 70 प्रतिशत किसान करेला की हीं खेती कर रहे हैं। ऐसे में यदि आप भी अपने जीवन की कड़वाहट को दूर कर जीवन में मिठास लाना चाहते है तो करेला की खेती कर लाखों रुपए कमा सकते हैं।
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