बिहार

झारखंड के मंत्री आलमगीर आलम दिनों के लिए ईडी की रिमांड पर…

 

रांची : झारखंड के मंत्री आलमगीर आलम को गुरुवार दोपहर पीएमएलए न्यायालय में पेश किया गया जहां प्रवर्तन निदेशालय ने न्यायालय से 10 दिनों की रिमांड की मांग की लेकिन प्रभात कुमार शर्मा की विशेष न्यायालय ने 6 दिनों के लिए रिमांड पर लेने की अनुमति दी वे 22 मई तक प्रवर्तन निदेशालय की रिमांड पर रहेंगे इससे पहले उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच न्यायालय में पेश किया गया जहां समर्थकों ने जमकर नारे लगाये उल्लेखनीय है कि प्रर्वतन निदेशालय ने बुधवार देर शाम 15 घंटे की लंबी पूछताछ के बाद आलमगीर को अरैस्ट कर लिया था इसके बाद उनका मेडिकल चेकअप कराया गया जहां डॉक्टरों की टीम ने उनका शुगर लेवल बढ़ा हुआ बताया इसके बाद उन्हें दवाई दी गयी

इससे पहले बुधवार शाम जैसे ही मंत्री आलमगीर आलम को अरैस्ट किये जाने की सूचना मिली प्रवर्तन निदेशालय कार्यालय के बाहर गहमा गहमी तेज हो गयी कांग्रेस पार्टी कार्यकर्ता और मीडिया कर्मियों का जमावड़ा लग गया प्रवर्तन निदेशालय कार्यालय के बाहर झारखंड पुलिस और सीआईएसएफ के अतिरिक्त जवानों को तैनात कर दिया गया कुछ देर बाद मंत्री की पत्नी, मां और उनकी बेटी भी प्रवर्तन निदेशालय कार्यालय पहुंचे और बिना कुछ कहे कार्यालय के अंदर चले गये

आप्त सचिव के कारनामों की जानकारी होने से इनकार करते रहे थे मंत्री

बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय कार्यालय में पूछताछ के पहले दौर में मंत्री आलमगीर आलम अपने आप्त सचिव के कारनामों की जानकारी होने से इनकार करते रहे थे जहांगीर के पास मिले करोड़ों रुपये के बारे में भी अनभिज्ञता जतायी थी उन्होंने बोला कि उन्हें जहांगीर के पास रुपये होने की जानकारी नहीं थी उन्हें तो छापेमारी के बाद मीडिया में प्रकाशित खबरों से उसके पास करोड़ों रुपये होने की जानकारी मिली बुधवार को भी वह यही दलील देते रहे

पर प्रवर्तन निदेशालय को मिले सबूतों के सामने उनकी कोई दलील काम नहीं आयी प्रवर्तन निदेशालय ने 14 मई को पूछताछ बाद उन्हें घर जाने की अनुमति दी थी 15 मई को दोपहर 12:00 बजे पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय कार्यालय पहुंचने का निर्देश दिया गया था इसके आलोक में 15 मई को आलमगीर आलम दिन के करीब 12 बजे प्रवर्तन निदेशालय कार्यालय पहुंचे पूछताछ के दौरान उन्हें हर मुद्दे में स्वयं को बेगुनाह बताने की प्रयास की हालांकि, उन्हें इसमें सफलता नहीं मिली इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हें विभाग में जारी कमीशनखोरी और हिस्सेदारी के इल्जाम में उन्हें अरैस्ट कर लिया

 

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