बिहार में लगने वाला गोदना सेमरिया मेला की जानें खास परंपरा
कार्तिक पूर्णिमा के दौरान छपरा के रिवीलगंज में लगने वाला गोदना सेमरिया मेला अपने आप में बहुत खास है। गोदना सेमरिया मेला इतिहास को अपने अंदर समेटे हुए हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए पहुंचते हैं। इस दौरान यहां एक खास परंपरा निभाई जाती है। कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान करने के दौरान महिलाएं मन्नत मांगती हैं। वहीं, मन्नत पूरी होने के बाद महिलाएं गंगा नदी में स्नान करने के बाद पूजा पाठ करती है। इसके बाद, गंगा तट पर कोसी भरने के बाद आंचल फैलाकर उस पर लौंडा नाच करवाती हैं। यह दृश्य गोदना सेमरिया मेला के अतिरिक्त कहीं आपको दिखने को नहीं मिलेगा।
भिखारी ठाकुर ने इस परंपरा को बढ़ाया था आगे
छपरा लौंडा नाच का जनक है और भिखारी ठाकुर ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया था। लेकिन, बाद में यह नाच लोगों की आस्था से भी जुड़ गया और हर शुभ मौके पर लोग लौंडा नाच करवाने लगे। बनियापुर की उमा देवी ने कहानी सांझा करते हुए कहा कि गंगा मैया से पोता मांगा था। पोते का जन्म हो जाने के बाद नाथ बाबा गंगा घाट पर कोसी भरकर मां गंगा की पूजा-अर्चना की। इसके बाद, अपनी श्रद्धा से आंचल फैलाकर उस पर लौंडा नाचवाए हैं। उन्होंने कहा कि जो भी लोग श्रद्धा से मन्नत मांगते हैं, उनकी गंगा मैया मन्नत पूरी करती है और लोग यहां नाच करवाते हैं।
मन्नत पूरी होने पर महिलाएं करवाती हैं लौंडा नाच
लौंडा नाच करने वाली पूजा ने कहा कि लोग श्रद्धा से गंगा मैया से जो भी मन्नत मांगते हैं, उनकी मन्नत पूरी हो जाती है। उसके बाद अपने आंचल पर स्त्री हम लोगों को नचवाती हैं और श्रद्धा के अनुसार, खाने-पीने के लिए पैसा देती है। इसके बदले हम लोग आशीर्वाद देते हैं। उन्होंने कहा कि कोई स्त्री कम तो कोई मजदूरी के मुताबिक पैसा देती है। लेकिन, हम लोग सभी को खुश रखते हैं और मनोरंजन करते हैं। इसके साथ हीं, मन से आशीर्वाद भी देते हैं।