बिहार में अब नौकरी के साथ रेगुलर मोड में कर सकते हैं पीजी कोर्स
पटना। अब स्नातकोत्तर (पीजी) करने में सरकारी अथवा निजी कंपनी में जॉब अड़चन नहीं बनेगी। नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार बिहार के सभी यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्राएं एक साथ एक से अधिक पीजी कोर्स में नामांकन ले सकते हैं। च्वाइस बेस्ड क्रेडिट कोर्स के अनुसार चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम करने वाले विद्यार्थियों के लिए एक वर्षीय पीजी रेगुलर मोड में पीजी कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त जॉब के साथ भी रेगुलर मोड में कोर्स करने की स्वीकृति दी गई है। हालांकि, जॉब और रेगुलर वर्ग संचालन का समय भिन्न भिन्न होना चाहिए।
दोनों की कक्षाओं का समय अलग होना अनिवार्य
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के लागू होने के बाद यूनिवर्सिटी आर्थिक सहायता आयोग की ओर से इसको लेकर करिकुलम एंड क्रेडिट फ्रेमवर्क तैयार किया गया है। झंझारपुर कॉलेज के प्राचार्य डॉ नारायण झा ने कहा कि चार वर्षीय स्नातक करने वाले विद्यार्थियों के लिए एक वर्षीय पीजी की पढ़ाई और जॉब करने वाले विद्यार्थियों को भी रेगुलर मोड में कोर्स करने की छूट दी गई है। इसके लिए निर्धारित शर्त के मुताबिक जॉब और क्लास का समय भिन्न-भिन्न होना चाहिए। तीन वर्षीय स्नातक करने वाले विद्यार्थियों के लिए दो सालों का पीजी और चार वर्षीय स्नातक आनर्स विथ रिसर्च करने वाले विद्यार्थियों के लिए एक साल का पीजी कोर्स होगा। तीन वर्षीय स्नातक कोर्स करने वाले विद्यार्थियों के लिए दो वर्षीय पीजी का दूसरा पूरा साल रिसर्च गतिविधियों पर आधारित होगा।
एकेडमिक बैंक आफ क्रेडिट की होगी स्थापना
एक वर्षीय पीजी में दो और दो वर्षीय पीजी में कुल चार सेमेस्टर होंगे। एकेडमिक बैंक आफ क्रेडिट फार हायर एजुकेशन की भी स्थापना होगी। विद्यार्थियों को अंक की स्थान क्रेडिट मिलेंगे। यह इसी एकेडमिक बैंक में जमा रहेगा। यदि विद्यार्थी किसी अतिरिक्त विषय की पढ़ाई करते हैं, तो उसका भी क्रेडिट बैंक में जुड़ जाएगा। तीन वर्षीय स्नातक करने वाले विद्यार्थियों के लिए दो सालों का पीजी और चार वर्षीय स्नातक आनर्स के साथ रिसर्च करने वाले विद्यार्थियों के लिए एक साल का पीजी कोर्स होगा। तीन वर्षीय स्नातक कोर्स करने वाले विद्यार्थियों के लिए दो वर्षीय पीजी का दूसरा पूरा साल रिसर्च गतिविधियों पर आधरित होगा।
नौकरी करने वालों को क्यों आती थी समस्या?
राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होने के बाद इसको लेकर यूनिवर्सिटी आर्थिक सहायता आयोग ने करिकुलम और क्रेडिट फ्रेमवर्क तैयार किया है। चार वर्षीय स्नातक के लिए एक वर्षीय पीजी और तीन वर्षीय स्नातक करने वालों को दो वर्षीय पीजी होगा। इसके अतिरिक्त विद्यार्थी दो रेगुलर पाठ्यक्रम में नामांकन ले सकता है। अब तक ऐसा प्रावधान नहीं था। हालांकि, कई विद्यार्थी छिपकर दो स्थान रेगुलर पढ़ाई करते थे। बाद में इसपर जब कोई विरोध जताता था, तो जॉब करने वालों को परेशानी हो जाती थी। आरा यूनिवर्सिटी के कुलसचिव प्रो रण विजय कुमार ने कहा कि नये कोर्स प्रारम्भ करने को लेकर प्रस्ताव तैयार कर एकेडमी काउंसिल और सिंडिकेट में रखा जाएगा।
नौकरी के बावजूद करते हैं रेगुलर पाठ्यक्रम
वीर कुंवर सिंह यूनिवर्सिटी में भोजपुर, रोहतास, कैमूर और बक्सर जिले के विद्यार्थियों का नामांकन होता है। इसमें जो छात्र-छात्राए इंटर के बाद जॉब में चले जाते हैं। इसमें कई विद्यार्थी -छात्राएं चोरी-छिपे स्नातक और पीजी में नामांकन लेते हैं। जॉब में रहते हुए रेगुलर पाठ्यक्रम में नामांकन नहीं ले लेने का प्रावधान है। नई शिक्षा नीति के अनुसार यूजीसी का नया फरमान मील का पत्थर साबित होगा, क्योंकि की लोगों की डिग्री रेगुलर पाठ्यक्रम में नामांकन के कारण रद्द हो गई।
मेजर और माइनर विषयों को बदलने की रहेगी छूट
पीजी के लिए तैयार किए गए करिकुलम फ्रेमवर्क के मुताबिक विद्यार्थियों ने यदि स्नातक में मेजर और माइनर विषय अलग रखा है। साथ ही उसी में से किसी भी मेजर और माइनर विषय से पीजी कर सकता है। इसके साथ ही अपनी रुचि के मुताबिक विषयों का चयन भी किया जा सकता है। विद्यार्थियों को संकाय में बदलाव की भी छूट इस फ्रेमवर्क के अनुसार दी जाएगी।