GST वसूली पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, सरकार को दिया ये कड़ा निर्देश
GST: वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) की वसूली के लिए कारोबारियों के विरुद्ध तलाशी और जब्ती के अभियानों पर उच्चतम न्यायालय ने गवर्नमेंट को कठोर निर्देश दिया है। उसने बुधवार को गवर्नमेंट से जोर-जबरदस्ती और धमकी का तरीका न अपनाने का निर्देश दिया है। मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय ने GST की वसूली के लिए कारोबारियों के विरुद्ध तलाशी और जब्ती अभियानों के दौरान ‘धमकी और जोर-जबरदस्ती’ का तरीका इस्तेमाल न करने का गवर्नमेंट को निर्देश देते हुए बोला कि उन्हें स्वेच्छा से बकाया चुकाने के लिए मनाया जाए।
अधिकारियों के पास बल के इस्तेमाल का अधिकार नहीं
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने बोला कि GST कानून के अनुसार ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो ऑफिसरों को बकाया राशि के भुगतान के लिए बल के इस्तेमाल का अधिकार देता हो। सर्वोच्च न्यायालय की यह पीठ GST अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों की जांच कर रही है।
जबरिया कार्रवाई का न करें इस्तेमाल
पीठ ने बोला कि तलाशी और जब्ती के दौरान किसी भी आदमी को टैक्स देनदारी का भुगतान करने के लिए बाध्य करने की इस अधिनियम के अनुसार कोई शक्ति नहीं है। अपने विभाग से कहें कि भुगतान स्वेच्छा से किया जाना चाहिए और किसी भी बल का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। आपको कथित क्रिमिनल को सोचने-समझने, राय लेने और देनदारी पूरी करने के लिए तीन-चार दिन का समय देना होगा. यह स्वैच्छिक होना चाहिए और किसी भी तरह की धमकी या जबरिया कार्रवाई का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
जबरन वसूली मानक नहीं
केंद्र की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने GST वसूली के दौरान अतीत में बल प्रयोग होने की संभावना को खारिज न करते हुए बोला कि तलाशी और जब्ती के दौरान ज्यादातर भुगतान स्वैच्छिक ही हुए हैं। उन्होंने GST अधिनियम पर चली लंबी सुनवाई में बोला कि वसूली के दोनों उपायों की आसार है, लेकिन ज्यादातर भुगतान स्वेच्छा से या वकील से परामर्श लेने के कुछ दिनों के बाद किए जाते हैं। हां, अतीत में कुछ उदाहरण हो सकते हैं, लेकिन यह मानक नहीं है।
कारोबारियों को धमकी और अरैस्ट में नहीं रख सकते
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के उत्तर पर पर पीठ ने बोला कि कई याचिकाकर्ताओं ने ऑफिसरों पर तलाशी और जब्ती अभियान के दौरान धमकी और जबरदस्ती करने के इल्जाम लगाए हैं। पीठ ने बोला कि हम जानते हैं कि किसी आदमी की तलाशी और जब्ती के दौरान क्या होता है। यदि कर भुगतान से इनकार किया जाता है, तो आप संपत्तियां अस्थायी रूप से कुर्क कर सकते हैं, लेकिन आपको परामर्श करने, सोचने और विचार करने के लिए कुछ समय देना होगा। आप उसे धमकी और गिरफ्तारी के दबाव में नहीं रख सकते हैं।
कानूनी प्रक्रिया के अनुसार करें कार्रवाई
जब अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने बोला कि कई बार कथित क्रिमिनल करों से बचने के लिए विभिन्न ढंग अपनाते हैं, तो पीठ ने बोला कि उन्हें अरैस्ट करें, लेकिन यह कठोरता से कानून के अनुसार निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार होना चाहिए। GST अधिनियम की धारा 69 के अनुसार गिरफ्तारी का प्रावधान है। एक याचिकाकर्ता के वकील सुजीत घोष ने बोला कि कानून के अनुसार प्रदान किए गए सुरक्षा तरीकों को लागू नहीं किया गया है और इसके बजाय लोगों को भुगतान करने के लिए गिरफ्तारी की धमकी दी जाती है।
विधायिका के तरीकों को कड़ाई से लागू करें
जीएसटी अधिनियम, सीमा शुल्क अधिनियम और धनशोधन निवारण अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देने वाली 281 याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल से बोला कि GST कानून में नियंत्रण एवं संतुलन का प्रावधान है। इस पर उच्चतम न्यायालय ने बोला कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि सुरक्षा तरीका किए गए हैं। धारा 69 (गिरफ्तार करने की शक्ति) और धारा 70 (समन करने की शक्ति) का कड़ाई से अनुपालन होना चाहिए। जब विधायिका ने सुरक्षा तरीका किए हैं, तो उन्हें कड़ाई से लागू करने की आवश्यकता है। इस मुद्दे में सुनवाई पूरी नहीं हो पाई है और यह गुरुवार को भी जारी रहेगी।