सम्राट अशोक पर बिहार में सियासत, राजद करा रही परिचर्चा: सम्राट चौधरी बोले-अखंड भारत बनाने का सपना भाजपा पूरा कर रही, आरजेडी बोली…
मौर्य शासक सम्राट अशोक एक बार फिर से चर्चा में हैं. 5 सिंतबर को आरजेडी ने जगदेव प्रसाद के वीरगति दिवस के अवसर पर एक परिचर्चा का आयोजन रखा. विषय है- ‘सम्राट अशोक से आर.एस.एस. और बीजेपी को नफरत क्यों है?’ हाल के सालों में बिहार की राजनीति में जिस राजा की सबसे अधिक चर्चा हुई वे सम्राट अशोक हैं. वजह यह कि इन्हें कुशवाहा वोट बैंक के आइकॉन के रूप में माना गया. सत्ताधारी पार्टी जेडीयू ने अशोक पर गर्व किया और बिहार गवर्नमेंट ने सम्राट अशोक के नाम पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की.
तब सबसे अधिक चर्चा में सम्राट अशोक आए थे
सम्राट अशोक उस समय सबसे अधिक चर्चा में आए थे, जब लेखक दया प्रकाश सिन्हा ने सम्राट अशोक की तुलना मुगल आततायी औरंगजेब से कर दी थी. तब उस समय जदयू में रहे उपेन्द्र कुशवाहा और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने दया प्रकाश सिन्हा से पद्म श्री और साहित्य अकादमी पुरस्कार वापस लेने की मांग तक कर दी थी. अब उपेन्द्र कुशवाहा जेडीयू में नहीं हैं उनकी अपनी अलग पार्टी है. अशोक के बारे में बोला गया कि उन्होंने 99 भाइयों की मर्डर कर गद्दी हासिल की थी. हालांकि इसको लेकर विरोधाभास रहा है.
‘तब आरजेडी और कांग्रेस पार्टी ने ही सबसे अधिक विरोध किया था’
आरजेडी ने जो विषय परिचर्चा के लिए रखा है कि सम्राट अशोक से आर.एस.एस. और बीजेपी को नफरत क्यों है? इस पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी कहते हैं कि राष्ट्र के पीएम नरेन्द्र मोदी ने जब अशोक स्तंभ को स्थापित किया था तो राजद और कांग्रेस पार्टी के लोगों ने विरोध किया था. नए संसद भवन में अशोक स्तंभ की स्थापना एनडीए की गवर्नमेंट ने की. सम्राट अशोक और चंद्रगुप्त ने हिंदुस्तान को अखंड हिंदुस्तान बनाना का सपना पूरा किया. आज भाजपा पूरी तरह सम्राट अशोक के साथ खड़ी है.
बीजेपी पर राजद ने कसा तंज
आरजेडी उपाध्यक्ष मधु मंजरी कुशवाहा कहती हैं कि हम लोगों ने सम्राट अशोक से जुड़ी परिचर्चा का विषय ऐसा इसलिए रखा है कि जब से भाजपा की गवर्नमेंट आई है, सम्राट अशोक की अवहेलना की गई है. जबकि सम्राट अशोक को पूरी दुनिया ने माना. उनका जो चिह्न है अशोक स्तंभ और चक्र उसकी अवहेलना हुई. संसद भवन में स्पीकर के पीछे सम्राट अशोक का प्रतीक हटाकर संगोल को लाया गया. कुछ दिन पहले पासपोर्ट से हटाकर अशोक स्तंभ की स्थान कमल रख दिया था. बवाल के बाद वापस लाया गया. उन्होंने बोला कि इनकी कार्यशैली सम्राट अशोक के विरोध में जाती है. दिल्ली में G-20 का आयोजन हो रहा है. उसमें हिंदुस्तान का प्रतीक अशोक स्तंभ को होना चाहिए था, लेकिन उसकी स्थान कमल लगा दिया गया है. वो हिंदुस्तान का प्रोग्राम है भाजपा या नरेन्द्र मोदी का नहीं. भाजपा इससे अधिक सम्राट अशोक की अवहेलना और क्या कर सकती है.