बिहार

हाईकोर्ट : सक्षमता परीक्षा न देने या फेल होने पर भी नहीं छिनेगी नौकरी

पटना हाई कोर्ट ने बोला कि नियोजित शिक्षकों (पंचायत शिक्षकों) के लिए नवीनतम सेवा नियमों में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो यह कहे कि सक्ष्मता परीक्षा उत्तीर्ण करने में असफल रहे शिक्षकों को उनकी सेवाओं से हटाया जाएगा. हाई कोर्ट ने मंगलवार को कई याचिकाओं का निपटारा करते हुए यह टिप्पणी की. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति हरीश कुमार की पीठ ने बोला कि जिन लोगों ने सक्ष्मता परीक्षा को पास कर लिया है, उनके लिए सेवा शर्तें बेहतर होंगी. बेहतर सेवा शर्तें मात्र उनकी क्षमता की मान्यता है. इसके अलावा, जो परीक्षा पास नहीं कर पाए या फिर जिन्होंने परीक्षा देने से इंकार कर दिया, उनकी जॉब अभी भी जारी रहेगी.

विशिष्ट शिक्षक नियम-2023 के अनुसार यह हैं नियम

दरअसल, बिहार के सरकारी विद्यालयों में 3.5 लाख संविदा शिक्षक है, जिन्हें सक्ष्मता परीक्षा पास करने के बाद सरकारी कर्मचारी का दर्जा प्राप्त होगा. बिहार गवर्नमेंट के विशिष्ट शिक्षक नियम-2023 के अनुसार सरकारी कर्मचारी का दर्जा प्राप्त करने के लिए सक्ष्मता परीक्षाओं को उत्तीर्ण करना जरूरी है. प्रत्येक शिक्षक को परीक्षा पास करने के लिए पांच कोशिश दिए जाते हैं, जिनमें तीन औनलाइन और दो ऑफलाइन माध्यम से होते हैं. विशिष्ट शिक्षक नियम-2023 के अनुसार सक्ष्मता परीक्षा में अनुत्तीर्ण होते हैं, उन्हें भी बर्खास्त नहीं किया जा सकता है.

बता दें, नियोजित शिक्षकों की नियुक्ति बिहार पंचायत प्राथमिक शिक्षक (नियुक्ति एवं सेवा शर्तें) नियमावली, 2006 (संक्षेप में प्राथमिक शिक्षक नियमावली 2006) के अनुसार की गई थी और बाद में इन्हें बिहार पंचायत शिक्षक नियमावली, 2012 (संक्षेप में ‘पंचायत शिक्षक नियमावली-2012) द्वारा विनियमित किया गया था.

कैबिनेट मंत्री बोले- भ्रामक जानकारियों पर लगेगी रोक

जदयू के वरिष्ठ नेता और बिहार के संसदीय मामलों के मंत्री विजय कुमार चौधरी ने पटना एचसी के आदेश पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने बोला कि राज्य गवर्नमेंट ने कभी भी उन नियोजित शिक्षकों को बर्खास्त करने के बारे में नहीं सोचा था, जो सक्ष्मता परीक्षा पास नहीं कर पाए या जो परीक्षा में शामिल नहीं हुए. उन्होंने कहा कि नियोजित शिक्षकों और विशिष्ट शिक्षक नियमावली-2023 के संबंध में कुछ भ्रामक जानकारियां फैल रही थीं, इन्हीं खबरों पर हाई कोर्ट ने आदेश जारी किया है, जिससे भ्रामक जानकारी पर रोक लगाई जा सके.

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