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आप भी बैंक खाते से करते हैं ऑनलाइन लेन-देन तो हो जाएं अलर्ट

अगर आप भी अपने बैंक खातों से पैसे का ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करते हैं तो सावधान हो जाइये. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर औनलाइन बैंक खातों से होने वाले अंतर्राष्ट्रीय फ्रॉड पर इंटरपोल ने बड़ा खुलासा किया है. इंटरपोल की यह रिपोर्ट औनलाइन ट्रांजेक्शन के दौरान सावधानी नहीं बरतने वाले सभी लोगों की नींद उड़ा देगी. क्या आप जानते हैं कि आपके औनलाइन बैंक खाते से आपकी गाढ़ी मेहनत की कमाई को मिनटों में कौन उड़ा रहा है?…अगर नहीं तो जान लीजिए. खातों से औनलाइन पैसा उड़ाने वाले गैंग केवल राष्ट्र में ही नहीं, बल्कि विदेश में भी एक्टिव हैं. यदि आप भी उनके किसी झांसे या लालच में आए तो मिनटों में आपका बैंक एकाउंट भी खाली हो सकता है.

“इंटरपोल” ने अपनी इस सनसनीखेज रिपोर्ट में यह भी कहा है कि इस तरह के फ्रॉड के बाद कितने प्रतिशत पीड़ितों का पैसा वापस हो पाता है और कितने लोगों की धनराशि हमेशा के लिए डूब जाती है. इंटरपोल के अनुसार वैश्विक स्तर पर बात करें तो गैरकानूनी लेनदेन का केवल दो-तीन फीसदी हिस्सा ही पकड़ में आता है. बाकी फ्रॉड के बारे में कुछ पता नहीं चल पाता. वैश्विक बैंकिंग नेटवर्क के जरिये लेनदेन किए गए 96 फीसदी से अधिक धन का पता नहीं चल पाता है और अनुमानित 2,000 से 3,000 अरब अमेरिकी $ के गैरकानूनी व्यापार में से सिर्फ़ 2-3 फीसदी धन का ही वर्तमान में पता लगाया जाता है और उसे वापस किया जाता है.

196 राष्ट्रों के प्रवर्तन निदेशालय के साथ काम करता है इंटरपोल

इंटरपोल के महासचिव जुर्गन स्टॉक ने यहां पत्रकारों से बोला कि इंटरपोल अपने 196 सदस्य राष्ट्रों में कानून प्रवर्तन एजेंसियों और निजी वित्त क्षेत्रों के साथ काम करता है. इसका लक्ष्य पूरे विश्व में गैरकानूनी व्यापारियों, नशीला पदार्थों, मानव तस्करी, हथियारों और वित्तीय संपत्तियों की बड़ी मात्रा में धन से जुड़ी बढ़ती फर्जीवाड़ा को नियंत्रित करना है. अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग नेटवर्क के जरिये गैरकानूनी व्यापार से व्यापक रूप से अनुमानित 2,000 से 3,000 अरब अमेरिकी $ के वार्षिक लेनदेन को नियंत्रित करने के लिए, ‘‘ हम लेनदेन की जांच करने के वास्ते एक तंत्र स्थापित करने के लिए पूरे विश्व के बैंकिंग संघों से बात कर रहे हैं.

फ्रॉड की केवल 2 से 3 प्रतिशत धनराशि का ही चल पाता है पता

जुर्गन स्टॉक ने कहा, ‘‘ वर्तमान में सिर्फ़ दो से तीन फीसदी पैसे का ही पता लगाया जाता है और पीड़ितों को लौटाया जाता है. अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग नेटवर्क के जरिये लेनदेन वाले 96 फीसदी से अधिक धन का पता नहीं चल पाता’’ स्टॉक ने बोला कि कृत्रिम मेधा (एआई) इसे और बदतर बना रही है. यह वॉयस क्लोनिंग की अनुमति देती है. पूरे विश्व के क्रिमिनल इसका लाभ उठा रहे हैं. उन्होंने बोला कि ‘सिंगापुर एंटी-स्कैम सेंटर’ एक ऐसा मॉडल है जिसका अन्य राष्ट्रों को अनुसरण करना चाहिए.

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