इस राज्य की जनता पर पड़ रही महंगाई की सबसे अधिक मार
फरवरी में खुदरा महंगाई रेट में हल्की कमी आई है, लेकिन गुजरात, आंध्र प्रदेश, असम, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, ओडिशा और राजस्थान सहित 12 राज्यों में अखिल भारतीय औसत से अधिक खुदरा मुद्रास्फीति दर्ज की गई। फरवरी में ओडिशा में खुदरा महंगाई रेट 7.55% पर सबसे अधिक थी। जबकि दिल्ली में सबसे कम 2.42% थी।
मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार खुदरा महंगाई रेट घटकर 5.09 पर्सेंट पर आ गई है, जो जनवरी 2024 में 5.10 पर्सेंट रही थी। वहीं, यह रेट दिसंबर 2023 में 5.69 पर्सेंट पर रही थी। हालांकि, फरवरी 2024 में खाद्य महंगाई रेट में हल्की बढ़ोत्तरी देखने को मिला है। फरवरी में खाद्य महंगाई रेट 8.66 पर्सेंट रही, जो जनवरी में 8.30 पर्सेंट रही थी।
गौरतलब है कि खाद्य महंगाई रेट ने ही आरबीआई की चिंता को बढ़ा रखा है। खुदरा महंगाई रेट में भले ही कमी आई हो, लेकिन खाद्य महंगाई रेट में उछाल आया है। आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति दो पर्सेंट घट-बढ़ के साथ चार पर्सेंट पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है।
आरबीआई के अनेक प्रयासों के बावजूद खुदरा महंगाई रेट लगातार 5 फीसद के आसपास बनी हुई है। केंद्रीय बैंक ने पिछले महीने मौद्रिक नीति समीक्षा में मुद्रास्फीति के 2023-24 में 5.4 पर्सेंट रहने का अनुमान जताया था।
फरवरी के खुदरा महंगाई के आंकड़ों के अनुसार खाद्य महंगाई रेट 8.30% से बढ़कर 8.66% पर आ गई। इसके अतिरिक्त ग्रामीण महंगाई रेट बिना किसी परिवर्तन के 5.34% रही है। साथ ही शहरी महंगाई रेट 4.92% से घटकर 4.78% पर आ गई।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से तय होती है महंगाई: एक ग्राहक के तौर पर आप और हम रिटेल बाजार से सामान खरीदते हैं। इससे जुड़ी कीमतों में हुए परिवर्तन को दिखाने का काम कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक करता है। हम सामान और सेवाओं के लिए जो औसत मूल्य चुकाते हैं, यह सूचकांक उसी को मापता है।
कच्चा तेल, कमोडिटी की कीमत, विनिर्माण लागत के अतिरिक्त कई अन्य चीजें भी होती हैं, जिनकी खुदरा महंगाई रेट तय करने में अहम किरदार होती है। करीब 300 सामान ऐसे हैं, जिनकी कीमतों के आधार पर खुदरा महंगाई की रेट तय होती है।