इस वैज्ञानिक तरीके से पपीता उगाने पर बनेंगे लखपति
समस्तीपुर। पपीता एक लाभ वाला फल है। इसे लगाना भी सरल है। लेकिन कई बार मौसम की बेरुखी और कभी कभी कीट का प्रकोप पेड़ और फल दोनों को नष्ट कर देता है। पपीता एक ऐसा पौधा है जो बहुत कम स्थान में लग जाता है। इसकी जड़ें न तो बहुत गहरी होती हैं और न ही अधिक फैलती हैं। इसकी बहुत देखरेख की भी आवश्यकता नहीं पड़ती। जब फलता है तो भारी फायदा दे जाता है। लेकिन बस आवश्यकता है इसे ठीक ढंग से लगाने की।
पपीता लगाने के लिए अप्रैल-मई एक आदर्श समय है। क्योंकि इसमें वायरल और फंगल रोगों का खतरा कम होता है। किसान वैज्ञानिक उपायों से पपीते की खेती कर अपना उत्पादन और फायदा बढ़ा सकते हैं। डॉ।राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि यूनिवर्सिटी पूसा के पादप बीमारी विभाग के प्रमुख और वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ।एस के सिंह ने इस बारे में विशेष जानकारी दी। इन्हें अपनाकर किसान बेहतर उत्पादन कर सकते हैं।
अगर ये तरीका किया तो खूब फलेगा पपीता
डॉ सिंह कहते हैं यदि किसान पपीते की खेती के संबंध में वैज्ञानिकों की राय का पालन करेंगे तो वे पपीता उगाने में सफल हो सकेंगे। कृषि वैज्ञानिक ने पपीते की सफल बागवानी के लिए सामान्य पीएच वाली गहरी, उपजाऊ मिट्टी के महत्व पर बल दिया। उच्च मूल्य वाली बलुआही, दोमट मिट्टी पपीते की खेती के लिए आदर्श मानी जाती है। डॉ सिंह बताते हैं कि जहां पौध लगायी हैं वहां पानी नहीं जमा होना चाहिए क्योंकि ये पपीते के पौधों को शीघ्र नष्ट कर सकता है। जलभराव रोकने के लिए जल निकासी जरूरी है। उष्ण कटिबंधीय फल होने के बावजूद पपीता बिहार की समशीतोष्ण जलवायु में भी सफलतापूर्वक उगाया जा रहा है।
पपीते के लिए खेत ऐसे करें तैयार
वैज्ञानिक ने सुझाव दिया कि किसान पपीता लगाने के लिए ऐसे खेत का चयन करें जिसमें बरसात का पानी एकदम भी नहीं लगता हो। पौधे लगाने से पहले जमीन की रोटावेटर या कल्टीवेटर से जुताई करके, खरपतवार हटाएं और फिर खाद डालकर जमीन तैयार करें। इसके बाद 1.8 x 1.8 मीटर की दूरी पर 60 x 60 x 60 सेंटीमीटर के आकार का गड्ढा तैयार कर उसमें पौध लगा दें। हालांकि उन्होंने यह भी बोला किसान पपीता लगाने से 15 दिन पहले ही अपने खेतों को तैयार कर उसमें गड्ढा खोदने का काम पूरा कर लें। गड्ढे में 15 दिन धूप और हवा लगने दें। बाद में बारिश प्रारम्भ होने से पहले हर गड्ढे के ऊपर की भुरभुरी मिट्टी में 20 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद, 1 किलोग्राम नीम की खल्ली, 1 किलोग्राम हड्डी का चूर्ण और 5 से 10 ग्राम फ्यूराडान मिलाकर गड्ढे को अच्छी तरह भर दें। इसके बाद विवि की नर्सरी से पौधे खरीदकर उसमें लगा दें। गड्ढे में लगाएं गए पौधे की ऊँचाई 15 से 20 सेंटीमीटर होनी चाहिए। इसके बाद प्रत्येक पौधे में समय समय पर हल्का हल्का पानी देते रहें।
बिहार में 1.90 हजार हेक्टेयर भूमि पर पपीता
बिहार में 1.90 हजार हेक्टेयर जमीन पर पपीते की खेती की जाती है। इसमें प्रति हेक्टेयर 22.45 टन पपीते के साथ कुल 42.72 हजार टन उत्पादन होता है। राष्ट्रीय स्तर पर पपीते की खेती 138 हजार हेक्टेयर में होती है। जिसके परिणामस्वरूप कुल उत्पादन 5989 हजार टन होता है। राष्ट्र में पपीते की औसत उत्पादकता 43.30 टन प्रति हेक्टेयर है। उन्होंने बोला कि कि विभिन्न बीमारियों, खासकर पपीता रिंग स्पॉट वायरस बीमारी के कारण बिहार में पपीते की उत्पादकता राष्ट्रीय औसत से कम है।