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ओला-ऊबर ने सब्सक्रिप्शन बेस्ड प्लान किया रोल-आउट

अब ओला और ऊबर से टेक्सी की सर्विस देने वाले ऑटो रिक्शा ड्राइवर्स को अब हर राइड का पूरा पैसा मिलेगा. इसके लिए दोनों कैब सर्विस देने वाली कंपनियों ने सब्सक्रिप्शन बेस्ड प्लान रोल-आउट किया है.

इस प्लान का लाभ ऑटो ड्राइवर्स को मिलेगा, क्योंकि इससे उन्हें अब राइड के बाद कंपनियों को कमीशन नहीं देना पड़ेगा. इस तरह की सर्विस की आरंभ नम्मा यात्री और रैपिडो पहले ही कर चुकी हैं.

ओला ने दिल्ली-NCR, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद सहित कुछ बड़े शहरों में इस मॉडल की आरंभ की है. वहीं, ऊबर की ये सर्विस चेन्नई, कोच्चि और विशाखापट्टनम सहित 6 शहरों में मिलेगी.

हर दिन या हफ्ते में देना होगा फीस
इस नए प्लान के अनुसार अब दोनों ऑटो सर्विस एग्रिगेटर्स हर राइड पर कमशीन लेने की बजाय ऑटो ड्राइवर से प्रति दिन या हफ्ते का निर्धारित फीस वसूलेंगी. इससे ड्राइवर को प्लेटफॉर्म फीस के अतिरिक्त दूसरा कोई चार्ज नहीं देनी होगा. इसमें ग्राहक की ओर से बुक कराए गए ऑटो का किराया सीधा ड्राइवर की जेब में जाएगा. हालांकि, सब्सक्रिप्शन प्लान की फीस नहीं बताई गई है.

रिपोर्ट्स के अनुसार, रैपिडो से सर्विस देने वाले ड्राइवर्स डेली फीस के रूप में 9 से 29 रुपए के बीच चुका रहे हैं, जबकि नम्मा यात्री 25 रुपए प्रति दिन या दस सवारी तक 3.5 रुपए/राइड पर अपनी सर्विस दे रहे हैं, इसके बाद यह निःशुल्क है.
सब्सक्रिप्शन स्कीम के लाभ और नुकसान
ओला और उबर कई शहरों में कमीशन-बेस्ड मॉडल पर सर्विस दे रही हैं. इसमें प्लेटफॉर्म हर राइड के लिए किराए का एक हिस्सा कमीशन या बुकिंग शुल्क के रूप में लेती है और बाकी ड्राइवर की जेब में जाता है. इसमें राइडिंग की मूल्य और औनलाइन पेमेंट की सुविधा प्लेटफॉर्म ही देता है.

सब्सक्रिप्शन प्लान में ओला और उबर को औनलाइन पैमेंट की परमिशन नहीं देता है और वे राइड्स के लिए मूल्य भी तय नहीं करती हैं. इसका एक हानि ये हो सकता है कि ड्राइवर राइड के लिए मनमाना किराया ले सकते हैं.

सर्विस प्रोवाइडर को मिल सकता है 5% जीएसटी का फायदा
इस निर्णय से ओला और ऊबर को सर्विस पर लगने वाली 5% जीएसटी में लाभ मिल सकता है. हालांकि टैक्स एक्सपर्ट के अनुसार, इस मॉडल से ऐप ऑपरेटरों और टैक्स ऑफिसरों के बीच टकराव हो सकता है.
क्योंकि, सितंबर 2023 में एडवांस्ड टैक्स रूलिंग ने नम्मा यात्री से बोला था कि जीएसटी इकट्ठा करने और पैमेंट करने की जरुरत नहीं है. लेकिन, अन्य प्लेटफार्मों पर ये लागू होगा या नहीं, इस पर स्पष्टता की कमी है.

केंद्रीय जीएसटी अधिनियम की धारा 9(5) के तहत, जो ई-कॉमर्स ऑपरेटर्स जैसे- राइड-हेलिंग प्लेटफॉर्म, फूड-डिलीवरी कंपनियां, औनलाइन रिटेल बाजार सर्विस प्रोवाइडर्स को 5% जीएसटी टैक्स के रूप में टैक्स इकट्ठा करने और पैमेंट करना होता है. उनके ऐप्स पर लिस्टेड ड्राइवर, रेस्तरां और ई-मार्केट प्लेस सेलर्स भी शामिल हैं.

 

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