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कच्चे तेल और महंगी सब्जियों ने लगाया महंगाई का तड़का

थोक मुद्रास्फीति में मार्च में हल्की बढ़ोतरी देखी गई है. इसकी वजह  राष्ट्र में सब्जियों, आलू, प्याज और कच्चे ऑयल की कीमतों में बढ़ोतरी होना है. थोक मुद्रास्फीति मार्च में हल्की रूप से बढ़कर 0.53 फीसदी हो गई, जो फरवरी में 0.20 फीसदी थी. थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल से अक्टूबर तक लगातार शून्य से नीचे बनी हुई थी. नवंबर में यह 0.26 फीसदी थी. दिसंबर, 2022 में यह 5.02 फीसदी के स्तर पर थी.

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान में बोला कि अखिल भारतीय थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आंकड़ों पर आधारित मुद्रास्फीति की वार्षिक रेट मार्च 2024 में 0.53 फीसदी (अस्थायी) रही. आलू की मुद्रास्फीति मार्च 2023 में 25.59 फीसदी थी जो मार्च 2024 में 52.96 फीसदी रही. प्याज की मुद्रास्फीति 56.99 फीसदी रही जो मार्च 2023 में शून्य से नीचे 36.83 फीसदी थी. आंकड़ों के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे ऑयल की कीमतों के बढ़ने से इस वर्ष मार्च में कच्चे पेट्रोलियम खंड में मुद्रास्फीति 10.26 फीसदी बढ़ गई.

ब्रेंट क्रूड 90 $ प्रति बैरल पर

बता दें, पिछले दिन यूक्रेन की ओर से रूस की ऑयल सुविधाओं को हानि पहुंचाने के कारण कच्चे ऑयल की मूल्य में उछाल देखने को मिला था. मौजूदा समय में ब्रेंट क्रूड बढ़कर 90 $ प्रति बैरल के आसपास चल रहा है.

खुरदा महंगाई में आई कमी

मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट के कारण इस वर्ष मार्च में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर पांच महीने के निचले स्तर 4.85 फीसदी पर आ गई. खुदरा या उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति मार्च में बढ़कर 5.66 फीसदी हो गई. यह फरवरी में 5.09 फीसदी थी. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा पिछले हफ्ते जारी आंकड़ों के अनुसार, खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति मार्च में 8.52 फीसदी रही जो फरवरी में 8.66 फीसदी थी

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