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केंद्र ने कोर्ट में दायर की 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के फैसले में संशोधन के लिए दायर किया आवेदन

अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि केंद्र की ओर से 22 अप्रैल 2024 को उच्चतम न्यायालय द्वारा 2 जी  स्पेक्ट्रम घोटाले में दिए गए आदेश में संशोधन के लिए आवेदन दाखिल किया गया है. इसमें न्यायालय से पूछा गया है कि क्या 2जी स्पेक्ट्रम को प्रशासनिक प्रबंध के जरिए दिया जा सकता है. यह उस आदेश का विरोधाभास है जिसमें न्यायालय द्वारा 2जी घोटले के बाद सभी स्पेक्ट्रम नीलामी प्रक्रिया के जरिए देने की बात कही गई थी.

क्या था 2जी घोटाला? 

2जी भ्रष्टाचार उस समय राष्ट्र के सबसे चर्चित घोटाले में से एक था. 2008 में तत्कालीन टेलीकॉम मंत्री ए राजा ने ‘पहले आओ पहले पाओ’ के आधार पर 122 निजी टेलीकॉम कंपनियों को 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन दिया था. 2009 से इल्जाम लगने प्रारम्भ हुए कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में बड़ी हेराफेरी हुई है. इसके बाद CBI ने एफआईए दर्ज कर जांच प्रारम्भ की. 2010 में कैग ने एक रिपोर्ट निकाली थी, जिसमें कहा गया था कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है और इससे राष्ट्र को करीब 1.76 लाख करोड़ का हानि हुआ है. घोटले में ये बात भी निकलकर आई थी कि  2008 में 122 लाइसेंस 2001 की मूल्य पर दे दिए गए हैं.

सरकार ने क्यों दाखिल किया आवेदन? 

सुप्रीम न्यायालय के 2 जी  स्पेक्ट्रम घोटाले के आदेश के अनुसार,  स्पेक्ट्रम का आवंटन सिर्फ़ नीलामी के आधार पर ही किया जाएगा. लेकिन केंद्र गवर्नमेंट ने बोला कि स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल सिर्फ़ कमर्शियल नहीं है. जनता की सुरक्षा, आपदा और अन्य कार्यों में स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल होता है. ऐसे में स्पेक्ट्रम की नीलामी करना आर्थिक रूप से ठीक नहीं है. जहां सिर्फ़ वन टाइम या कुछ समय के लिए ही स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल होता है.

इसके अतिरिक्त उच्चतम न्यायालय ने 2 जी  स्पेक्ट्रम घोटाले के आदेश में बोला था कि सभी प्राकृतिक संसाधनों की बिक्री नीलामी के जरिए होना कानूनी सिद्धांत नहीं है. न्यायालय इस मुद्दे में जानकारों के ज्ञान का सम्मान करता है. इस फैसला का हवाला देते हुए, केंद्र ने इस पर स्पष्टता मांगी है कि क्या वह भविष्य में 2जी स्पेक्ट्रम को प्रशासनिक प्रक्रिया के माध्यम से आवंटित कर सकता है (यदि ऐसा कानून के मुताबिक मुनासिब प्रक्रिया के माध्यम से निर्धारित किया जाता है). उन स्थितियों में जहां सार्वजनिक या तकनीकी और आर्थिक कारणों से नीलामी भलाई में नहीं है.

 

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