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देश की टॉप-10 कंपनियों में से 6 के मार्केट कैप में कंबाइंड रूप से ₹1,40,478.38 करोड़ की आई गिरावट

बीते व्यवसायी सप्ताह में बाजार कैपिटलाइजेशन के लिहाज से राष्ट्र की टॉप-10 कंपनियों में से 6 के बाजार कैप में कंबाइंड रूप से ₹1,40,478.38 करोड़ (₹1.40 लाख करोड़) की गिरावट आई है. इस दौरान बाजार का सबसे बड़ा लूजर टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) रहा है.

कंपनी का बाजार कैप ₹62,538.64 करोड़ गिरकर ₹13.85 लाख करोड़ रह गया है. TCS के अतिरिक्त इंफोसिस और ICICI बैंक का बाजार कैप भी ₹30,488.12 करोड़ और ₹26,423.74 करोड़ कम हुआ है.

वहीं, टॉप-10 में सिर्फ़ 4 कंपनियों ने पॉजिटिव ग्रोथ की है. इनमें बाजार की टॉप गेनर भारती एयरटेल रही है. कंपनी का बाजार कैप एक सप्ताह में ₹37,797.09 करोड़ बढ़ा है. अब कंपनी का बाजार कैप ₹7.31 लाख करोड़ हो गया है. एयरटेल के साथ-साथ HDFC बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज और LIC की बाजार वैल्यू बढ़ी है.

हफ्ते के अंतिम व्यवसायी दिन शुक्रवार को तेजी के साथ बंद हुआ था बाजार
शेयर बाजार आज सप्ताह के अंतिम व्यवसायी दिन यानी शुक्रवार (19 अप्रैल) को तेजी के साथ बंद हुआ. सेंसेक्स 599.34 अंक की तेजी के साथ 73,088.33 के स्तर पर बंद हुआ. निफ्टी में भी 151.15 अंक की तेजी रही, ये 22,147 के स्तर पर बंद हुआ. बाजार में आज करीब 700 अंकों की गिरावट के बाद यह बहुत बढ़िया रिकवरी देखने को मिली.

सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 22 में तेजी रही और केवल 8 में गिरावट देखने को मिली. आज के कारोबार में PSU बैंक, प्राइवेट बैंक और फाइनेंशियल सर्विसेज के शेयरों में सबसे अधिक तेजी रही.

मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?
मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो अभी उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है. इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटस नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है.

मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के मुताबिक उन्हें चुनने में सहायता मिले. जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां.

मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)

मार्केट कैप कैसे काम आता है?
किसी कंपनी के शेयर में फायदा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है. इनमें से एक फैक्टर बाजार कैप भी होता है. निवेशक बाजार कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है.

कंपनी का बाजार कैप जितना अधिक होता है उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है. डिमांड और सप्लाई के मुताबिक स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है. इसलिए बाजार कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है.

मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?
मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की मूल्य से गुणा करके इसे निकाला जाता है. यानी यदि शेयर का रेट बढ़ेगा तो बाजार कैप भी बढ़ेगा और शेयर का रेट घटेगा तो बाजार कैप भी घटेगा.

 

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