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भारत का कच्चा तेल आयात बिल 16% गिरा, लेकिन…

आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि 31 मार्च को खत्म वित्तीय साल में अंतर्राष्ट्रीय दरों में कमी के कारण हिंदुस्तान के कच्चे ऑयल के आयात में 16 फीसदी की गिरावट आई, लेकिन विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता नयी ऊंचाई पर पहुंच गई.

भारत ने 2023-24 वित्तीय साल (अप्रैल 2023 से मार्च 2024) में 232.5 मिलियन टन कच्चे ऑयल का आयात किया, जिसे पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन में परिष्कृत किया जाता है, जो लगभग पिछले वित्तीय साल के बराबर है. लेकिन ऑयल मंत्रालय के पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण सेल (पीपीएसी) के आंकड़ों से पता चलता है कि इसने वित्त साल 2024 में आयात के लिए 132.4 बिलियन अमेरिकी $ का भुगतान किया, जबकि 2022-23 में 157.5 बिलियन अमेरिकी $ के आयात बिल का भुगतान किया.

दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑयल आयातक और उपभोक्ता राष्ट्र अपने घरेलू उत्पादन में गिरावट लाने में सक्षम रहा है, जिससे उसकी आयात निर्भरता बढ़ गई है.

पीपीएसी के मुताबिक कच्चे ऑयल की आयात निर्भरता 2023-24 में 87.4 फीसदी से बढ़कर 87.7 फीसदी हो गई.

2023-24 में घरेलू कच्चे ऑयल का उत्पादन 29.4 मिलियन टन पर लगभग अपरिवर्तित रहा.

कच्चे ऑयल के अलावा, हिंदुस्तान ने एलपीजी जैसे 48.1 मिलियन टन पेट्रोलियम उत्पादों के आयात पर 23.4 बिलियन अमेरिकी $ खर्च किए. इसने 47.4 बिलियन अमेरिकी $ के 62.2 मिलियन टन उत्पादों का निर्यात भी किया.

तेल के अलावा, हिंदुस्तान तरल रूप में गैस का भी आयात करता है, जिसे एलएनजी बोला जाता है.

2022-23 के मूल्य झटके के बाद, 31 मार्च, 2024 को खत्म वित्तीय साल में 30.91 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस के आयात की लागत 13.3 बिलियन अमेरिकी $ थी.

इसकी तुलना 2022-23 में 26.3 बीसीएम गैस के आयात पर खर्च किए गए 17.1 बिलियन अमेरिकी $ से की गई, जब यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद ऊर्जा की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गईं.

शुद्ध ऑयल और गैस आयात बिल (कच्चा ऑयल प्लस पेट्रोलियम उत्पाद प्लस एलएनजी आयात बिल माइनस निर्यात) 2023-24 में 144.2 बिलियन अमेरिकी $ से कम होकर 121.6 बिलियन अमेरिकी $ रहा.

भारत के सकल आयात के फीसदी के रूप में पेट्रोलियम आयात (मूल्य के संदर्भ में) 25.1 फीसदी रहा, जो 2022-23 में 28.2 फीसदी से कम है.

इसी तरह, राष्ट्र के सकल निर्यात के फीसदी के रूप में पेट्रोलियम निर्यात 2023-24 में 12 फीसदी पर आ गया, जबकि पिछले साल यह 14 फीसदी था.

31 मार्च, 2023 को खत्म साल में हिंदुस्तान की ईंधन खपत 4.6 फीसदी बढ़कर रिकॉर्ड 233.3 मिलियन टन हो गई.

इसकी तुलना 2022-23 में 223 मिलियन टन और 2021-22 में 201.7 मिलियन टन से की गई.

जबकि राष्ट्र में कच्चे ऑयल का उत्पादन कम है, इसके पास अधिशेष शोधन क्षमता है जो डीजल जैसे पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात को सक्षम बनाती है.

पीपीएसी के आंकड़ों से पता चलता है कि 2023-24 में 233.3 मिलियन टन की खपत के मुकाबले पेट्रोलियम उत्पाद का उत्पादन 276.1 मिलियन टन था.

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