भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ाया कदम
नई दिल्ली: हिंदुस्तान दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अपने कदम बढ़ा रहा है। इसके साथ ही साथ पीएम मोदी के नेतृत्व में हिंदुस्तान सेमी कंडक्टर शक्ति के रूप में उभर रहा है। Covid-19 महामारी ने ग्लोबल सप्लाई चेन को प्रभावित किया और इसमें सेमीकंडक्टर आपूर्ति भी प्रभावित हुआ। इसके कारण अंतरराष्ट्रीय और भारतीय अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई। इसके बाद प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिसंबर 2021 में एक गंभीर चर्चा प्रारम्भ की और चिप और डिस्प्ले निर्माण के लिए 76,000 करोड़ रुपये की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना लेकर आई।
अत्यधिक पूंजी-गहन और तकनीकी रूप से जटिल चिप निर्माण क्षेत्र में चीन, ताइवान, कोरिया आदि जैसे पूर्वी एशियाई दिग्गजों का एकाधिकार था। अंतरराष्ट्रीय सप्लाई चेन को टूटने से बचने के लिए विविधीकरण की जरूरत थी। हालांकि हिंदुस्तान सेमीकंडक्टर चिप्स डिजाइन में अंतरराष्ट्रीय नेता है, लेकिन वर्तमान में यह लगभग 100 फीसदी सेमीकंडक्टर आयात करता है।
इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग द्वारा जारी एक आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, हिंदुस्तान का सेमीकंडक्टर चिप्स का कुल आयात 2020-21 में 67,497 करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-23 में 129,703 करोड़ रुपये हो गया। इसके अतिरिक्त, 2022-23 में चीन से आयात 24,604 करोड़ रुपये से बढ़कर 37,681 करोड़ रुपये हो गया। भारतीय सेमीकंडक्टर उद्योग 2026 तक 55 बिलियन $ तक पहुंचने का अनुमान है।
दुनिया के शीर्ष सेमीकंडक्टर फैब्रिकेटर्स को हिंदुस्तान में आकर्षित करने में हाल की सफलताओं से आयात में पर्याप्त कमी आने और हिंदुस्तान दुनिया के भू-अर्थशास्त्र में एक जरूरी खिलाड़ी के रूप में उभरने की आशा की जा रही है। कोविड महामारी के दौरान सेमीकंडक्टर चिप्स की आपूर्ति में गिरावट ने न सिर्फ़ हिंदुस्तान को बल्कि अमेरिका जैसी बड़ी ग्लोबल शक्तियों को भी सबक सिखाया, जिन्हें अपनी सेमीकंडक्टर चिप्स सोर्सिंग रणनीति को फिर से व्यवस्थित करना पड़ रहा है।
भारत 2021 में “भारत सेमीकंडक्टर मिशन” लेकर आया, जिससे हिंदुस्तान को सेमीकंडक्टर हब बनाने की आशा है। इसके लिए राष्ट्र में उत्पादन को सुविधाजनक बनाने के लिए एक उपयुक्त पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करने की जरूरत है। इसमें विश्वसनीय बिजली, जल संसाधन, परिवहन नेटवर्क और दूरसंचार जैसे पर्याप्त बुनियादी ढांचे, इंजीनियरिंग, सामग्री विज्ञान और इलेक्ट्रॉनिक्स में विशेषज्ञता जैसी कुशल जनशक्ति, प्रमुख ग्राहकों से निकटता, आपूर्ति श्रृंखला और लक्ष्य बाजार, लीड समय और शिपिंग जोखिम, और सबसे महत्वपूर्ण, भौगोलिक शामिल हैं। सियासी स्थिरता भी इसके लिए महत्वपूर्ण है।
पीएम मोदी ने उठाए कई कदम
भारत 70 के दशक में ग्लोबल चिप निर्माण का हब बनने से चूक गया। कोविड-19 के कारण ग्लोबल सप्लाई चैन के प्रभावित होने के कारण हिंदुस्तान ने इस दिशा में अपने कदम बढ़ाए हैं और इसके अनुसार पीएम मोदी ने 13 मार्च को तीन बहुत ही जरूरी सेमीकंडक्टर परियोजनाओं की आधारशिला रखी। गुजरात में धोलेरा विशेष निवेश क्षेत्र (डीएसआईआर) में सेमीकंडक्टर निर्माण सुविधा, और मोरीगांव में आउटसोर्स सेमीकंडक्टर असेंबली और टेस्ट (ओएसएटी) सुविधाएं असम में और साणंद गुजरात में। सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन यूनिट की स्थापना पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉर्पोरेशन (PSMC), ताइवान के साथ साझेदारी में की जा रही है।
भारत कर रहा है निवेश
भारत में सेमीकंडक्टर फैब स्थापित करने की संशोधित योजना के अनुसार धोलेरा में सेमीकंडक्टर सुविधा टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा स्थापित की जाएगी। यह इकाई करीब 91,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। लगभग 27,000 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश के साथ सेमीकंडक्टर असेंबली, टेस्टिंग मार्किंग और पैकेजिंग (एटीएमपी) के लिए संशोधित योजना के अनुसार टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा मोरीगांव में ओएसएटी सुविधा भी विकसित की जाएगी। गुजरात के साणंद में ओएसएटी सुविधा सीजी पावर एंड इंडस्ट्रियल सॉल्यूशंस द्वारा संशोधित योजना के अनुसार लगभग 7,500 करोड़ रुपये के निवेश से स्थापित की जाएगी। ये निवेश हिंदुस्तान में सेमीकंडक्टर प्रणाली को मजबूत करेंगे। इसके साथ ही साथ हिंदुस्तान सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में ग्लोबल हब भी बन जाएगा।