भारत में गन्ने का औसत उत्पादन माना गया 62 टन प्रति हेक्टेयर
शाहजहांपुर : धान और गेहूं के मुकाबले गन्ने की फसल किसानों को अच्छी आमदनी देती है। गन्ने की फसल में मौसम की मार को झेलने की अधिक क्षमता होती है। हिंदुस्तान में गन्ने का औसत उत्पादन 62 टन प्रति हेक्टेयर माना गया है। लेकिन गन्ने की नई-नई उपायों के बाद वैज्ञानिकों का दावा है कि गन्ने की पैदावार को 3 से 4 गुना तक बढ़ाया जा सकता है। यूपी गन्ना अध्ययन परिषद के वैज्ञानिकों का बोलना है कि यदि किसान परंपरागत विधि को छोड़कर रिंग पिट विधि का इस्तेमाल करें तो गन्ने का उत्पादन अधिक लिया जा सकता है।
उत्तर प्रदेश गन्ना अध्ययन संस्थान के प्रसार अधिकारी डाक्टर संजीव पाठक ने कहा कि गन्ने की फसल किसानों की पसंदीदा फसलों में से एक है। ऐसे में यदि किसान गन्ने की परंपरागत विधि को छोड़कर रिंग पिट विधि से गन्ने की फसल लगाएं तो किसानों को अच्छा उत्पादन मिलेगा।
परंपरागत विधि से गन्ने की बुवाई में नुकसान
डॉ। संजीव पाठक ने कहा कि परंपरागत ढंग से गन्ने की खेती करने के लिए 90 सेंटीमीटर पर कूड़ खोदे जाते हैं। तीन आंख के टुकड़े से गन्ने की बुवाई की जाती है। जिससे जमाव बहुत कम रहता है। 30% से 40% जमाव ही हो पाता है। परंपरागत विधि से गन्ने की खेती करने में फुटाव भी कम होता है। करीब 40% कल्ले गन्ने में परिवर्तित होते हैं। जिसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ता है। इस विधि से गन्ने की खेती करने में पूरे खेत में सिंचाई करनी होती है तो पानी की खपत भी अधिक होती है। परंपरागत विधि से गन्ने की बुवाई करने के लिए 60 से 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बीज की जरूरत होती है। परंपरागत ढंग से गन्ने की खेती करने से 600 से 700 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की रेट से गन्ने का उत्पादन मिलता है।
कितना लाभ वाला है रिंग पिट विधि?
डॉ। संजीव पाठक ने कहा कि रिंग पिट विधि किसानों को सबसे अधिक उत्पादन देने वाली विधि है। लेकिन इस विधि से गन्ने की खेती करना थोड़ा सा महंगा है। क्योंकि यदि किसान के पास रिंग डिगर नहीं है तो किसानों पर बुवाई के दौरान लेबर खर्च अधिक आता है। वही इस विधि से खेती करने के लिए परंपरागत विधि के मुकाबले अधिक बीज की आवश्यकता होती है। क्योंकि बीज तैयार करते समय मातृ पौधे ही लिए जाते हैं। इस विधि से गन्ना उगाकर सहफसली नहीं कर सकते हैं। लेकिन इस विधि से बोई हुई गन्ने की फसल में मौसम की मार को झेलने की क्षमता अधिक हो जाती है। इस विधि से गन्ने की बंधाई अच्छे से हो जाती है और बारिश के दौरान तेज हवा चलने से गन्ना गिरता नहीं है।
कैसे करें गन्ने की बुवाई ?
डॉ। संजीव पाठक ने कहा कि रिंग पिट से बुवाई करने के लिए किसानों को 90 सेंटीमीटर व्यास का गड्ढा खोदना होता है। गड्ढे की गहराई 30 से 45 सेंटीमीटर रहती है जबकि गड्ढे से गड्ढे की दूरी केंद्र से करीब 120 सेंटीमीटर रखी जाती है। एक हेक्टेयर में करीब 6750 गड्ढे बनाए जाते हैं। हर गड्ढे में दो या तीन आंख वाले गन्ने रखे जाते हैं। एक गड्ढे में 35 से 40 आंखों की बुवाई की जाती है। इस विधि से गन्ने की बुवाई करने से निकलने वाले ज्यादातर कल्ले गन्ने में परिवर्तित हो जाते हैं। रिंग पिट विधि से उगाए हुए गन्ने से चीनी अधिक मिलता है। इस विधि से 900 से 1100 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से किसान उपज ले सकते हैं।