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सस्ते में बिकवाली करने को राजी नहीं ये

शिकागो एक्सचेंज में कल रात 1.25 फीसदी से अधिक गिरावट के बीच शनिवार को राष्ट्र के ऑयल तिलहन बाजारों में सोयाबीन डीगम के साथ साथ कच्चा पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन ऑयल जैसे आयातित तेलों में गिरावट दर्ज हुई. दूसरी ओर कम मूल्य पर बिकवाली नहीं करने की वजह से आवक घटने के बीच सोयाबीन तिलहन के अतिरिक्त सरसों ऑयल और मूंगफली ऑयल तिलहन के रेट में सुधार दिखा. सरसों, मूंगफली, सोयाबीन और बिनौला की अधिकतर ऑयल मिलों के बंद होने के बीच सरसों तिलहन, सोयाबीन दिल्ली एवं इंदौर ऑयल और बिनौला ऑयल कीमतें पूर्वस्तर पर बनी रहीं. बाजार के जानकार सूत्रों ने बोला कि कल सरसों की आवक घटने का कारण चुनाव की वजह से कई स्थानों पर मंडियों का कारोबार प्रभावित रहना कहा जा रहा था. लेकिन बाद में पता लगा कि किसान नीचे रेट पर बिकवाली नहीं कर रहे थे जिसकी वजह से आवक कम हुई.

सरसों की कम हो रही आवक

पहले चरण के चुनाव के बाद आज आवक बढ़ने की आशा की जा रही थी, लेकिन आज भी आवक में खास वृद्धि नहीं देखी गई. आज सरसों की 6.50 लाख बोरी की आवक हुई जो आवक पिछले वर्ष अप्रैल में 14-15 लाख बोरी की हो रही थी. उन्होंने बोला कि सरसों मिलों को पेराई करने में 5-6 रुपये प्रति किलो का हानि हो रहा है. गवर्नमेंट यदि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर सरसों खरीद करेगी भी तो अधिक से अधिक 28-32 लाख टन ही खरीद पायेगी, बाकी सरसों की विशाल मात्रा कहां खपेगी इसे देखना बाकी है.

देशी तेल-तिलहन बाजार की यह है मुश्किल

सरकारी खरीद के हिसाब से सरसों ऑयल का रेट 125-130 रुपये किलो बैठता है और बाजार में इसका थोक रेट लगभग 100 रुपये किलो बैठता है. बाजार सूत्रों ने बोला कि खाद्यतेलों की लगभग 55 फीसदी कमी को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर इस राष्ट्र में सरसों, मूंगफली, सोयाबीन और बिनौला की लगभग 65 फीसदी पेराई मिलें बंद हो गयी हैं. इसके बारे में क्या कोई ऑयल संगठन गवर्नमेंट को वस्तुस्थिति की जानकारी भी दे रहा है, यह प्रश्न बना हुआ है. उन्होंने बोला कि ऐसे तिलहन उत्पादन बढ़ाने का क्या लाभ जहां आयातित तेलों के थोक मूल्य सस्ता होने के बीच देशी ऑयल तिलहन का खपना कठिन हो जाये. क्या यह स्थिति देशी ऑयल तिलहन का बाजार विकसित करने, इसके हिसाब से आयात नीति बनाने और शुल्क निर्धारित किये जाने की जरुरत नहीं रेखांकित करती?

सस्ते में बिकवाली करने को राजी नहीं सोयाबीन किसान

सूत्रों ने बोला कि कल रात शिकागो एक्सचेंज में गिरावट की वजह से सोयाबीन डीगम ऑयल के मूल्य में गिरावट रही. जबकि किसानों को पिछले दो-तीन वर्षों के मुकाबले सोयाबीन का मौजूदा मूल्य बहुत कम लग रहा है और इस कारण वे सस्ते में बिकवाली करने को राजी नहीं हैं, जिसकी वजह से सोयाबीन दिल्ली और सोयाबीन इंदौर ऑयल में कामकाज कमजोर है जिसके कारण इन तेलों के मूल्य पूर्वस्तर पर बंद हुए.

तेल-तिलहनों के रेट इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 5,235-5,275 रुपये प्रति क्विंटल.

मूंगफली – 6,170-6,445 रुपये प्रति क्विंटल.

मूंगफली ऑयल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,825 रुपये प्रति क्विंटल.

मूंगफली रिफाइंड ऑयल 2,255-2,520 रुपये प्रति टिन.

सरसों ऑयल दादरी- 10,000 रुपये प्रति क्विंटल.

सरसों पक्की घानी- 1,705-1,805 रुपये प्रति टिन.

सरसों कच्ची घानी- 1,705 -1,820 रुपये प्रति टिन.

तिल ऑयल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल.

सोयाबीन ऑयल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,150 रुपये प्रति क्विंटल.

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,800 रुपये प्रति क्विंटल.

सोयाबीन ऑयल डीगम, कांडला- 8,550 रुपये प्रति क्विंटल.

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,925 रुपये प्रति क्विंटल.

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,775 रुपये प्रति क्विंटल.

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,250 रुपये प्रति क्विंटल.

पामोलिन एक्स- कांडला- 9,275 रुपये (बिना GST के) प्रति क्विंटल.

सोयाबीन दाना – 4,800-4,820 रुपये प्रति क्विंटल.

सोयाबीन लूज- 4,600-4,640 रुपये प्रति क्विंटल.

मक्का खल (सरिस्का)- 4,075 रुपये प्रति क्विंटल.

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