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एप्पल पर उपभोक्ताओं और छोटी कंपनियों को नुकसान पहुंचाने का लगा आरोप

आईफोन बनाने वाली कंपनी एप्पल पर कंज़्यूमरों और छोटी कंपनियों को हानि पहुंचाने का इल्जाम है. अमेरिकी गवर्नमेंट ने ऐप्पल पर एंटीट्रस्ट कानूनों का उल्लंघन करने का केस दाखिल किया. अमेरिकी इन्साफ विभाग और 16 स्टेट अटॉर्नी जनरल ने गुरुवार को एप्पल के विरुद्ध एक एंटीट्रस्ट केस प्रारम्भ किया है.

क्या हैं आरोप

एप्पल ने एंटीट्रस्ट लॉ का उल्लंघन कई नीतियों को रिस्ट्रिक्ट और कंपटीशन को रोककर किया है, जो अन्य कंपनियों को डिजिटल वॉलेट जैसे अपने प्रोडक्ट को कंपटीट करने वाले एप्लिकेशन पेश करने से रोकती है. इससे संभावित रूप से आईफोन का मूल्य कम हो जाता.

न्यू जर्सी डिस्ट्रिक्ट के लिए अमेरिकी जिला कोर्ट में दाखिल मुकदमे के अंश के अनुसार, एप्पल के कार्यों से कंज़्यूमरों और उसकी सेवाओं के साथ कंपटीशन करने वाली छोटी कंपनियों को हानि होता है. गवर्नमेंट का दावा है कि एप्पल के इस आचरण ने पिछले कुछ सालों में उसके SmartPhone एकाधिकार को मजबूत किया है, जिससे अनुचित फायदा हुआ है.

अपने ही प्रोडक्ट और सेवाओं को तरजीह

एप्पल के डिवाइस और सर्विस ने कंपनी को लगभग 2.75 ट्रिलियन $ की इकाई में बदल दिया है. मुकदमे के केंद्र में Apple का प्रमुख उत्पाद iPhone है. आलोचकों का तर्क है कि एप्पल अपने डिवाइस पर यूजर्स एक्सपीरिएंश को कठोरता से कंट्रोल करता है. अपने ही प्रोडक्ट और सेवाओं को कंपटीटर्स से अधिक तरजीह देता है.

यह नियंत्रण फाइनेंस कंपनियों और ब्लूटूथ ट्रैकर्स के लिए कोर फीचर्स तक पहुंच को सीमित करने के लिए है, जिससे यूजर्स के लिए दूसरे मैन्युफैक्चर्रस के डिवाइसेज की तुलना में एप्पल के प्रोडक्ट को आईफोन से कनेक्ट करना सरल हो जाता है. दूसरी ओर एप्पल का तर्क है कि उसके कड़े नियंत्रण तरीका सुरक्षा बढ़ाते हैं.

इस मुकदमे को लकर Apple के एक प्रवक्ता ने चिंता व्यक्त करते हुए बोला कि इससे कंपनी की इन्वोशन की क्षमता को खतरा है और प्रौद्योगिकी डिजाइन में सरकारी हस्तक्षेप के लिए एक घातक मिसाल कायम हो सकती है.

 

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