केंद्र सरकार के द्वारा भी एनपीएस में बदलाव पर दिए सुझाव
RBI Bulletin: राष्ट्र के शीर्ष बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया ने अपने बुलेटिन में कहा है कि अंतरराष्ट्रीय संभावनाओं के कमजोर होने के बीच, भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है। आरबीआई ने दावा किया है कि राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को मजबूती, सार्वजनिक क्षेत्र के पूंजीगत व्यय के साथ घरेलू निजी खपत और निश्चित निवेश के कारण मिल रही है। इसके साथ ही, राज्यों को नयी पेंशन स्कीम (NPS) की स्थान पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) लागू करने पर भारी वित्तीय मूल्य राज्यों को चुकानी की चेतावनी दी है। गौरतलव है कि रिजर्व बैंक का पेंशन को लेकर ये बयान ऐसे समय में आया है, जब राष्ट्र की प्रमुख विपक्षी पार्टी इसे हर राज्य में लागू करने की बात कह रही है। दूसरी तरफ, केंद्र गवर्नमेंट के द्वारा भी एनपीएस में परिवर्तन पर सुझाव देने के लिए एक समिति का भी गठन कर दिया गया है। इसके साथ ही, कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में पेंशन एक मामला भी है।
अर्थव्यवस्था की स्थिति पर बैंक ने क्या कहा
आरबीआई ने अपने बुलेटिन में अर्थव्यवस्था की स्थिति पर प्रकाशित एक लेख कहता है कि अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए नजरिया अनिश्चित बना हुआ है जो विभिन्न क्षेत्रों में वृहद-आर्थिक स्थितियों में विरोधाभास से प्रेरित है। लेख के मुताबिक, अमेरिका में गोल्डीलॉक्स (आर्थिक प्रणाली की आदर्श स्थिति) की उम्मीदें बल पकड़ रही हैं जबकि चीन एवं यूरोप में सुस्ती को लेकर चिंता बनी हुई है। इसके मुताबिक, आक्रामक मौद्रिक कठोरता के असर में फैलाव हो रहा है और सेवा क्षेत्र भी आवास, बैंक उधारी एवं औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार में गिरावट का हिस्सा हो चुका है। लेख के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय प्रगति की दृष्टि के रूप में वसुधैव कुटुंबकम की सोच के साथ हिंदुस्तान की जी20 अध्यक्षता और इससे मिले नतीजे उस परिवेश में अहम हो जाते हैं जहां अंतरराष्ट्रीय आर्थिक गतिविधि अनेक क्षेत्रों में वृहद-आर्थिक स्थितियों में द्वंद्व के साथ अपनी रफ्तार खोती जा रही है।
देश में सुधर रही है आपूर्ति से जुड़ी प्रतिक्रियाएं
रिजर्व बैंक ने बोला है कि कमजोर अंतरराष्ट्रीय संभावनाओं के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था निजी खपत और मजबूत सार्वजनिक क्षेत्र के पूंजीगत व्यय के साथ निश्चित निवेश जैसे घरेलू चालकों की वजह से ताकत हासिल कर रही है। आपूर्ति से जुड़ी प्रतिक्रियाएं सुधर रही हैं और प्रमुख मुद्रास्फीति भी अगस्त में एक महीने पहले के उच्चस्तर से कम हो गई। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा की प्रतिनिधित्व वाली एक टीम ने यह लेख लिखा है। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने बोला कि लेख में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और उसके विचारों का अगुवाई नहीं करते हैं। इस लेख में हिंदुस्तान के अंतरिक्ष प्रयासों को राष्ट्र के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए जरूरी बताते हुए बोला गया है कि अंतरिक्ष उद्योग ने मौसम पूर्वानुमान, भू-वैज्ञानिक और समुद्र-विज्ञान अध्ययन, आपदा प्रबंधन और कृषि के अतिरिक्त राष्ट्र की रक्षा और सुरक्षा में भी जरूरी किरदार निभाई है। आरबीआई बुलेटिन के लेख में चंद्रयान-3 और आदित्य एल1 के सफल अंतरिक्ष अभियानों का भी उल्लेख किया गया है।
राज्यों को पीछे ले जाएगी ओपीएस: आरबीआई
रिजर्व बैंक ने अपने लेख में दावा किया पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को लागू करना पीछे की ओर ले जाने वाला कदम है। इससे मध्यम से दीर्घावधि में राज्यों की वित्तीय स्थिति अस्थिर हो सकती है। शीर्ष बैंक के अधिकारी, रचित सोलंकी, सोमनाथ शर्मा, आर के सिन्हा, एस आर बेहरा और अत्री मुखर्जी ने अपने लेख में बोला है कि पुरानी पेंशन योजना के मुद्दे में कुल वित्तीय बोझ नयी पेंशन योजना (एनपीएस) का 4.5 गुना तक हो सकता है। नयी पेंशन योजना को एक दशक से भी पहले पेंशन सुधारों के हिस्से के रूप में लागू किया गया था। अध्ययन पत्र में व्यक्त विचार आरबीआई के नहीं हैं। हाल ही में राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश ने एनपीएस से ओपीएस की ओर स्थानांतरित होने की घोषणा की है। ओपीएस में परिभाषित फायदा (डीबी) है, जबकि एनपीएस में परिभाषित अंशदान (डीसी) है। जहां ओपीएस में अल्पकालिक आकर्षण है, वही मध्यम से दीर्घकालिक चुनौतियां भी हैं।
राज्यों का वित्तीय कोष होगा अस्थिर
आरबीआई ने अपने लेख में दावा किया है कि राज्यों के पेंशन व्यय में अल्पकालिक कटौती ओपीएस को बहाल करने के निर्णयों को प्रेरित कर सकती है। यह कटौती लंबे समय में भविष्य में गैर-वित्तपोषित पेंशन देनदारियों में भारी वृद्धि से प्रभावित होगी। जबकि, राज्यों का ओपीएस पर लौटना एक बड़ा कदम होगा और मध्यम से दीर्घावधि में उनके राजकोषीय दबाव को अस्थिर स्तर तक बढ़ा सकता है। इसमें बोला गया है कि ओपीएस में वापस जाने वाले राज्यों के लिए तात्कालिक फायदा यह है कि उन्हें वर्तमान कर्मचारियों के एनपीएस सहयोग पर खर्च नहीं करना पड़ेगा, लेकिन भविष्य में गैर-वित्तपोषित ओपीएस के उनके वित्त पर गंभीर दबाव डालने की संभावना है।
2040 तक जीडीपी पर पड़ेगा बड़ा दवाब
शीर्ष बैंक के लेख में बोला गया है कि राज्यों के ओपीएस पर वापस लौटने से वार्षिक पेंशन व्यय में 2040 तक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का सालाना केवल 0.1 फीसदी बचाएंगे, लेकिन उसके बाद उन्हें वार्षिक जीडीपी के 0.5 फीसदी के बराबर पेंशन पर अधिक खर्च करना होगा। इसमें बोला गया है कि पूर्व में डीबी योजनाओं वाली कई विकसित अर्थव्यवस्थाओं को अपने नागरिकों की बढ़ती जीवन प्रत्याशा के कारण बढ़ते सार्वजनिक व्यय का सामना करना पड़ा है, और बदलते जनसांख्यिकीय परिदृश्य और बढ़ती राजकोषीय लागत ने पूरे विश्व में कई अर्थव्यवस्थाओं को अपनी पेंशन योजनाओं की फिर से समीक्षा करने के लिए विवश किया है।