Apple पर EU ने 1.8 अरब डॉलर का लगाया जुर्माना
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, EU के एंटीट्रस्ट रूल्स के अनुसार ऐसा करना गैर कानूनी है। इस रिपोर्ट में बोला गया है कि लगभग एक दशक से एपल इस ढंग से कार्य कर रही है। इसका मतलब है कि बहुत से यूजर्स ने म्यूजिक स्ट्रीमिंग सब्सक्रिप्शंस के लिए अधिक प्राइस का भुगतान किया था। स्वीडन की म्यूजिक स्ट्रीमिंग सर्विस Spotify ने इसे लेकर कंपनी के विरुद्ध कम्पलेन दी थी। इसके बाद हुई जांच में एपल को गुनेहगार पाया गया था। हाल ही में EU ने कुछ बड़ी टेक कंपनियों के विरुद्ध कार्रवाई की थी। इसमें Google और सोशल मीडिया साइट फेसबुक को चलाने वाली Meta पर भारी जुर्माना लगाया गया था। इन कंपनियों पर औनलाइन क्लासिफाइड ऐड बाजार में गलत ढंग अपनाने का इल्जाम लगा था। इसके अतिरिक्त EU ने एपल की मोबाइल पेमेंट्स सर्विस की भी एक अलग जांच प्रारम्भ की थी।
भारत में भी गूगल और मेटा जैसी कंपनियों के इंटरनेट पर दबदबे को लेकर संभावना जताई गई है। पिछले महीने इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी राज्यमंत्री Rajeev Chandrasekhar ने बोला था कि डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स और बड़ी टेक कंपनियों के बीच रेवेन्यू की शेयरिंग का मॉडल इन कंपनियों की ओर से झुका है और ये गवर्नमेंट के लिए चिंता का विषय है। उनका बोलना था कि डिजिटल और टेक सेगमेंट को लेकर राष्ट्र में बड़ा परिवर्तन हुआ है। राष्ट्र को अब कम कॉस्ट वाले बैक ऑफिस प्रारम्भ करने की स्थान के तौर पर नहीं, बल्कि एक जरूरी पार्टनर के तौर पर देखा जाता है। चंद्रशेखर का बोलना था, “कंटेंट को तैयार करने वालों और इसे मॉनेटाइज करने में सहायता करने वालों के बीच बड़े असंतुलन को लेकर हम चिंतित हैं।
पॉलिसी बनाने के नजरिए से हम इंटरनेट को खुला रखना चाहते हैं। हम नहीं चाहते कि इंटरनेट पर मॉनेटाइजेशन एक, दो या तीन कंपनियों के नियंत्रण में रहे।उन्होंने कहा था कि डिजिटल इण्डिया एक्ट से डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स और बड़ी टेक कंपनियों के बीच दिखने वाले असंतुलन की परेशानी का निवारण किया जाएगा। पिछले साल गूगल ने उच्चतम न्यायालय से एंड्रॉयड बाजार में दबदबे वाली स्थिति का गलत इस्तेमाल करने के लिए कंपनी के विरुद्ध दिए गए निर्देशों को खारिज करने की गुहार लगाई थी।