HDFC के मार्केट कैप में ₹74 हजार करोड़ की हुई बढ़ोतरी
पिछले सप्ताह के कारोबार के बाद बाजार कैप के लिहाज से राष्ट्र की टॉप-10 कंपनियों में से 7 का कंबाइन बाजार कैपिटलाइजेशन ₹3,04,477 लाख करोड़ बढ़ा गया है। इनमें HDFC सबसे बड़ा गेनर रहा है। इसके बाजार कैप में ₹74 हजार करोड़ की बढ़ोतरी हुई है।
वहीं LIC का बाजार कैप ₹65,558 करोड़ बढ़कर ₹4.89 लाख करोड़ हो गया है। इसके अतिरिक्त TCS, रिलायंस इंडस्ट्रीज, इंफोसिस, ICICI बैंक और भारतीय स्टेट बैंक की बाजार वैल्यू बढ़ी है। जबकि ITC, हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL) और भारती एयरटेल के बाजार कैप में गिरावट हुई है।
ITC का बाजार कैप ₹935.48 करोड़ गिरकर ₹5.60 रह गया है। वहीं HUL और एयरटेल के बाजार कैप में ₹5.92 और ₹5.62 की गिरावट रही है। बाजार कैप के लिहाज से रिलायंस रिलायंस इंडस्ट्रीज, TCS और HDFC टॉप पर हैं। पिछले सप्ताह कंपनियों का कारोबार बेहतर रहा है। इस दौरान सेंसेक्स और निफ्टी ने दो बार अपना ऑल टाइम हाई बनाया।
कंपनियां जिनकी बाजार वैल्यू बढ़ी
कंपनी | मार्केट वैल्यू में बढ़ोतरी (करोड़ में ) | मौजूदा बाजार कैप (लाख करोड़ में) |
TCS | ₹42,737 | ₹13.27 |
HDFC | ₹74,076 | ₹12.54 |
LIC | ₹65,558 | ₹4.89 |
रिलायंस इंडस्ट्रीज | ₹42,454 | ₹16.62 |
इंफोसिस | ₹15,916 | ₹6.19 |
ICICI बैंक | ₹45,466 | ₹7.09 |
SBI | ₹37,617 | ₹5.48 |
कंपनियां जिनके बाजार कैप गिरे
कंपनी | मार्केट वैल्यू में गिरावट (करोड़ में) | मौजूदा बाजार कैप (लाख करोड़ में) |
ITC | ₹935.48 | ₹5.60 |
हिंदुस्तान यूनिलीवर | ₹9,844.79 | ₹5.92 |
भारती एयरटेल | ₹8,569.98 | ₹5.62 |
मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?
मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो अभी उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटस नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है। बाजार कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के मुताबिक उन्हें चुनने में सहायता मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।
मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)
मार्केट कैप कैसे काम आता है?
किसी कंपनी के शेयर में फायदा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर बाजार कैप भी होता है। निवेशक बाजार कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है। कंपनी का बाजार कैप जितना अधिक होता है उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के मुताबिक स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए बाजार कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।
मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?
मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की मूल्य से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी यदि शेयर का रेट बढ़ेगा तो बाजार कैप भी बढ़ेगा और शेयर का रेट घटेगा तो बाजार कैप भी घटेगा।